जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर के सीनियर फिजिशियन डॉक्टर परिमल स्वामी ने AI की मदद से पर्सनलाइज डायट प्लान तैयार किया है, जो हर मरीज के लिए अलग होगा. डॉक्टर परिमल स्वामी का दावा है कि उन्होंने कई मरीजों पर इसका प्रयोग किया और मरीजों की दवाई पर निर्भरता कम हुई है. डॉ. परिमल स्वामी ने इसका एक रिसर्च पेपर भी जारी किया है. उनका दावा है कि इस तरह का प्रयोग फिलहाल कहीं और नहीं हुआ है.
मरीज अक्सर पूछते हैं कि क्या खाएं?
जबलपुर के डॉक्टर परिमल स्वामी सीनियर जनरल फिजिशियन हैं. डॉ. परिमल स्वामी जब अपने मरीज का इलाज करते हैं, तो इलाज के बाद मरीज उनसे यह जानना चाहता है कि वह खाने में क्या खाएं? सामान्य तौर पर मरीज के लिए अलग से खाना बनाया जाता है, जो बहुत सादा होता है. लेकिन डॉक्टर परिमल स्वामी का शुरू से यह मानना रहा है कि हर आदमी के खान-पान की आदत अलग-अलग होती है. उसकी संस्कृति उसके रहन-सहन और उसकी भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से उसकी यह आदत बनती है. इसलिए सभी मरीजों के लिए एक सा खाना तय नहीं किया जा सकता है.

डाइटीशियन ज्यादा विकल्प नहीं देते
डॉक्टर परिमल स्वामी को जब यह समस्या समझ में आई, तो उन्होंने इसके निदान की ओर कदम बढ़ाया. उन्होंने डाइटीशियन से सलाह ली लेकिन हर मरीज के लिए ब्रेकफास्ट से डिनर तक का डायट प्लान 15 दिनों के लिए तैयार करने में एक डाइटीशियन को दिन भर का समय लग जाता है. इस तरह से हर एक ही मरीज को लेकर डाइटिशियन इतनी लंबी तैयारी करके डायट प्लान नहीं बना सकता है. ऐसी स्थिति में डॉ. परिमल स्वामी ने इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेने का फैसला किया.
डायट प्लान के लिए AI की मदद
डॉ. परिमल स्वामी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे सॉफ्टवेयर चैट जीपीटी से भी मरीज के लिए डाइट प्लान तैयार करने का टास्क दिया, लेकिन यहां भी उन्हें पूरी सफलता नहीं मिली. क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पास जो भी डाटा आता है वह किसी न किसी इनपुट से आता है. यदि सही इनपुट नहीं मिलता तो जानकारी गलत हो जाती है, जो मरीज के मामले में नुकसान कर सकती थी.
पर्सनलाइज डाइट मास्टर
डॉ. परिमल स्वामी ने इस समस्या का समाधान खोजने के लिए आईटी एक्सपर्ट संदीप देशपांडे से एक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया. इस सॉफ्टवेयर में मरीज की कई जानकारियां भरी जाती हैं. इसमें मरीज की उम्र, वजन, शुगर लेवल, बीपी लेवल, मरीज की किसी पुरानी बीमारी की हिस्ट्री जैसे कॉलम फिल करने के बाद मरीज का पर्सनल डाटा फीड किया जाता है, जो उसकी जेनेटिकल हिस्ट्री से जुड़ा होता है. यदि मरीज के पूर्वजों में हृदय रोग, डायबिटीज या दूसरी बीमारी का इतिहास रहा है, तो इसकी जानकारी भी सॉफ्टवेयर में फीड की जाती है.
बिना परहेज का डाइट प्लान
इसके बाद बारी आती है उस क्षेत्र की, जहां का मरीज रहने वाला है. मतलब उसे उत्तर भारतीय खाना पसंद है या दक्षिण भारतीय खाना पसंद है. वह वेजिटेरियन है या नॉन वेजिटेरियन है? इस तरीके से मरीज के स्वास्थ्य से जुड़ी सामान्य, अनुवांशिक, पारिवारिक और संस्कृतिक जानकारी जब सॉफ्टवेयर में फीड की जाती है, तो सॉफ्टवेयर में मरीज का एक ड्राफ्ट तैयार हो जाता है. इसी ड्राफ्ट के आधार पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सॉफ्टवेयर मरीज का अगले 7 दिनों का ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का शेड्यूल बनाकर तैयार करता है. इस शेड्यूल में कई वैरायटी का खाना होता है, खाना रिपीट नहीं होता. डॉ. परिमल स्वामी का कहना है कि "इसमें खान की इतनी वैरायटी होती है कि मरीज खाने से उबता नहीं है."

मरीजों के दो समूहों पर प्रयोग
डॉ. परिमल स्वामी ने जब इस प्रक्रिया के जरिए डायट प्लान बनाया तो उन्होंने एक प्रयोग शुरू किया और डायबिटीज के सामान्य मरीज जो उनके क्लीनिक में इलाज करवाने के लिए आते थे उनके दो ग्रुप बनाए. इनमें 15-15 मरीजों को शामिल किया गया. इनमें से एक ग्रुप को सामान्य डाइट प्लान दिया गया और दूसरे ग्रुप को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए तैयार डाइट प्लान दिया. इसके बाद दोनों ग्रुपों का लगातार 3 महीनों तक निरीक्षण किया गया. इसके बाद जो नतीजे सामने आए, वो चौंकाने वाले थे.
डॉ. परिमल स्वामी ने पाया कि सामान्य डाइटीशियन मरीज को जो डाइट प्लान दे रहा था. वह मरीज ठीक तो हो रहे थे, लेकिन उनके स्वास्थ्य में बहुत अच्छा परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा था. जबकि दूसरी तरफ जो डाइट प्लान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए तैयार किए जा रहे थे. उन मरीजों के स्वास्थ्य में कुछ ज्यादा सुधार था.
डाइट से दवाई पर निर्भरता कम हुई
डाइट प्लान के बारे में बात करते हुए डॉ. परिमल स्वामी ने बताया, "कई डाइट प्लान ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल करके मरीजों की दवाई पर निर्भरता बहुत हद तक घटाई जा सकती है. खास तौर पर किडनी, डायबिटीज, हृदय रोग, कब्ज और पेट से संबंधी बीमारियों में डायट प्लान का अहम रोल है. इस पर्सनलाइज्ड डाइट प्लान से मरीजों को बीमार रहते हुए भी स्वादिष्ट खाना खाने का मौका मिल सकता है."
दूसरे डॉक्टर भी जल्द ही कर सकेंगे इस्तेमाल
डॉक्टर परिमल स्वामी ने इस पूरे प्रयोग को पर्सनलाइज डायट मास्टर का नाम दिया है. उन्होंने इससे जुड़ा हुआ एक रिसर्च पेपर भी जारी किया है. डॉक्टर परिमल स्वामी का कहना है कि "उनके रिसर्च पेपर को कई दूसरे डॉक्टर ने सराहा है. वे जल्द ही इसे इतना सरल बना देंगे की दूसरे डॉक्टर भी इसका इस्तेमाल कर सकेंगे.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पास लगातार जा रहा है डाटा
आईटीसी एक्सपर्ट संदीप देशपांडे ने कहा, " वह इस तैयारी में हैं कि उनके द्वारा मरीज को जो डाइट प्लान मुहैया करवाए जा रहे हैं, उनका डाटा लगातार हिंदी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर पर अपलोड होता जा रहा है. धीरे-धीरे यह डाटा बढ़ रहा है और अब भी इसे दूसरे डॉक्टर को भी इस्तेमाल करने के लिए भी एक्सेस देना चाहते हैं. क्योंकि यह अभी केवल डॉक्टर परिमल स्वामी के अकाउंट पर है. इसलिए इसे कैसे दूसरे डॉक्टर इस्तेमाल करेंगे इसको लेकर चैट जीपीटी से भी बात चल रही है.
- स्वर्ग जैसा भोजन, बिर्रा की रोटी से लेकर भेजरे की चटनी तक, चखना है स्वाद तो चले आइये माचागोरा
- महुए के कुकीज ने मचाया धमाल, चार महिलाओं के हाथ के स्वाद का जादू, देशभर के लोग दीवाने
बीमारी के दौरान मरीज की इच्छा बहुत अधिक खाने की नहीं होती, ऐसी स्थिति में यदि उसे मनचाहा भोजन मिल जाए, जिसमें मरीज की जरूरत के अनुसार कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन और फैट भी हो तो इससे बेहतर और क्या होगा. यदि खाने से ही आदमी ठीक हो जाए और दवाओं की जरूरत ना पड़े, तो यह तो सोने पर सुहागा हो जाएगा. डॉ. परिमाल स्वामी और उनके टीम की कोशिश कुछ इसी तरफ चल रही.