पन्ना। बुंदेलखंड के पन्ना जिले की गुन्नौर विधानसभा की बात करें, तो ये विधानसभा 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आयी है. गुन्नौर पन्ना की एक तहसील है, यह छोटी सी एक तहसील काफी प्राचीन पहचान अपने आप में समेटे है. कहा जाता है कि ये इलाका अगस्त्य मुनि की तपोस्थली रहा है, खास बात ये है कि वनगमन के दौरान गुन्नौर भगवान राम पहुंचे थे और उन्होंने अगस्त्य मुनि से मुलाकात की थी. गुन्नौर की पहचान उत्तरभारत और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक सेतु का निर्माण करने वाले अगस्त्य मुनि के कारण है, यहां आज भी अगस्त्य मुनि का आश्रम है. मौजूदा विधानसभा चुनाव के लिए खास बात ये है कि बीजेपी यहां अपने प्रत्याशी के तौर पर राजेश कुमार वर्मा के नाम का एलान कर चुकी है और बीजेपी के पूर्व विधायक महेन्द्र बागरी ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया है.
गुन्नौर विधानसभा सीट का परिचय: गुन्नौर विधानसभा की बात करें तो ये सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आयी, जो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है. गुन्नौर विधानसभा में गुन्नौर तहसील, देवेन्द्रनगर और ककरहाटी नगर परिषद प्रमुख कस्बे है, फिलहाल इस विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा है. गुन्नौर विधानसभा की खास बात ये है कि यहां भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा का भी जनाधार है और हर चुनाव एक तरह से त्रिकोणीय होता है. खास बात ये है कि यहां के मिजाज को देखते हुए हर बार प्रमुख राजनीतिक दल अपना प्रत्याशी बदल देते हैं, गुन्नौर विधानसभा को 2008 के पहले अमानगंज विधानसभा के नाम से जाना जाता था.
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गुन्नौर विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास: 2008 में अस्तित्व में आई गुन्नौर विधानसभा सीट के मिजाज की बात करें तो अनूसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट का फैसला अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता करते हैं, सीट पर कांग्रेस भाजपा के साथ बसपा का गुन्नौर सीट पर हर चुनाव में प्रभाव देखने मिलता है. अब तक हुए तीन चुनावों में दो बार भाजपा और एक बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है, आगामी विधानसभा चुनाव में फिलहाल कांग्रेस और भाजपा की सीधी टक्टर देखने मिल रही है. कांग्रेस और बसपा प्रत्याशी के एलान के बाद तस्वीर और साफ हो जाएगी.
गुन्नौर विधानसभा चुनाव 2008 का रिजल्ट: गुन्नौर विधानसभा चुनाव 2008 में बीजेपी के राजेश वर्मा को गुन्नौर से जीत मिली थी. 2008 में चुनावी मुकाबला भाजपा के राजेश वर्मा और बीएसपी के जीवन लाल सिद्धार्थ के बीच था, जिसमें बीजेपी ने करीब 5 हजार वोटों से जीत हासिल की. विजयी प्रत्याशी राजेश वर्मा को 33 हजार 12 वोट मिले और दूसरे स्थान पर बसपा के जीवन लाल सिद्धार्थ रहे, जिनको 28 हजार 184 वोट मिले. इस तरह बीजेपी प्रत्याशी 4 हजार 828 वोटों से जीत हासिल करने में कामयाब रहे.
गुन्नौर विधानसभा चुनाव 2013 का रिजल्ट: विधानसभा चुनाव 2008 में जहां कांग्रेस एक तरह से मुकाबले से बाहर थी, लेकिन 2013 चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शिवदयाल बागरी ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी और महज 13 सौ वोटों से चुनाव हार गये. इस चुनाव में भाजपा के महेन्द्र सिंह बागरी को 41 हजार 980 वोटें हासिल हुई और कांग्रेस के शिवदयाल बागरी ने 40 हजार 643 वोट हासिल की, नजदीकी चुनाव में शिवदयाल बागरी 1 हजार 337 वोटों से चुनाव हार गए.
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गुन्नौर विधानसभा चुनाव 2018 का रिजल्ट: 2018 विधानसभा चुनाव में गुन्नौर से कांग्रेस ने जोरदार प्रदर्शन किया और जीत हासिल की, कांग्रेस के शिवदयाल बागरी भाजपा के राजेश वर्मा को हराने में सफल रहे. हांलाकि जीत हार का अंतर काफी कम था, 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी शिवदयाल बागरी ने 57 हजार 658 वोट हासिल की. वहीं बीजेपी उम्मीदवार राजेश कुमार वर्मा को 55 हजार 674 वोट हासिल हुई और 1984 वोटों से कांग्रेस चुनाव जीत गयी.
गुन्नौर विधानसभा के जातीय समीकरण: गुन्नौर विधानसभा के जातीय समीकरण की बात करें तो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर निर्णायक मतदाता एससी मतदाता ही है, इसीलिए इलाके में बसपा की अपनी मजबूत पैठ बनाने में कामयाब रही है. अनुसूचित जाति के अलावा आदिवासी मतदाता भी गुन्नौर विधानसभा सीट पर अच्छी संख्या में है, लेकिन निर्णायक भूमिका में अनूसूचित जाति के मतदाता हैं.
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गुन्नौर विधानसभा चुनाव के प्रमुख मुद्दे: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गुन्नौर विधानसभा सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार का है, इलाके के अनुसूचित जाति की जनसंख्या ज्यादातर पलायन के लिए मजबूर है. यहां पर दो साल पहले एक सीमेंट फैक्ट्री खुली है, जिसमें स्थानीय लोगों को रोजगार का वादा किया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों को यहां मजदूरी भी बमुश्किल हासिल होती है. ऐसे में विधानसभा के लोग पलायन के लिए मजबूर है.
भाजपा-कांग्रेस के प्रमुख दावेदार: गुन्नौर विधानसभा की बात करें तो सत्ताधारी दल बीजेपी पहले ही यहां से प्रत्याशी तय कर चुका है, पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार से महज 2 हजार वोटों से हारे राजेश वर्मा पर भाजपा ने फिर भरोसा जताया है. हालांकि कांग्रेस ने अभी अपने प्रत्याशी का एलान नहीं किया है, लेकिन भाजपा के टिकट का एलान होते ही 2008 में भाजपा के टिकट पर विधायक बने महेन्द्र बागरी ने भाजपा का दामन छोडकर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. ये बीजेपी के लिए बड़ा नुकसान बताया जा रहा है. कांग्रेस के प्रमुख दावेदारों की बात करें मौजूदा विधायक शिवदयाल बागरी के अलावा बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए महेन्द्र बागरी,लक्ष्मी दहायक, देवकी प्रजापति, काशीप्रसाद बागरी, जीवन लाल सिद्धार्थ और कुंदनलाल चौधरी प्रमुख दावेदार है.