पन्ना। गुनौर के किसान भी अब दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों के पक्ष में आ गए हैं. किसानों ने भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष बसंत लाल पटेल के नेतृत्व में प्रधानमंत्री के नाम तहसीलदार निकेत चौरसिया को ज्ञापन सौंपा है. इसके जरिए किसानों ने प्रमुख मांगों के रूप में फार्मर प्रोड्यूस टेड एंड कॉमर्स ऑर्डिनेंस को लेकर मांग की है.
उनका कहना है कि इस अध्यादेश के जरिए व्यापारी मंडी के बाहर कहीं भी फसल खरीद सकता है, जिससे मंडियों में आने वाला टैक्स खत्म हो जाएगा. और किसानों को उचित मूल्य मिलना संभव नहीं होगा. मंडी व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो जाएगी और बिचौलियों का बोलबाला हो जाएगा. वहीं दूसरे अध्यादेश के जरिए एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 को खत्म कर व्यापारियों के स्टॉक करने की क्षमता अनलिमिटेड कर दिया गया है. इससे आगे ब्लैक मार्केटिंग का रास्ता खुल जाएगा. इस अध्यादेश से किसानों और उपभोक्ताओं दोनों की खुली लूट होगी.
फार्मर एग्रीमेंट ऑन प्राइस इंश्योरेंस एंड फॉर्मेट ऑर्डिनेंस अध्यादेश के जरिए कांट्रैक्ट फार्मिंग को आगे किया जाएगा, जिसमें किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बनकर रह जाएगा. इसमें कांट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन है, जिसमें फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य का किसी प्रकार का जिक्र नहीं किया गया है. किसानों ने यह तीनों किसान विरोधी अध्यादेश को वापस लिए जाने की मांग करते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून के दायरे में लाया जाए. समर्थन मूल्य से कम पर खरीद करने वालों पर कानूनी कार्रवाई हो.
धान खरीदी में भी किसानों ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
किसानों का आरोप है कि जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही धान खरीदी में भी व्यापक स्तर पर लापरवाही और भ्रष्टाचार किया जा रहा है. किसानों को मैसेज भेजने के नाम पर लेटलतीफी, पदस्थ अधिकारियों की लापरवाही के कारण की जाती है. इससे किसानों की परेशान बढ़ रही हैं. किसानों ने जिले की और कई मांगों का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो गुनौर से हजारों की तादाद में किसान हफ्ते भर के अंदर दिल्ली कूच कर जाएंगे.