पन्ना। बुंदेलखंड के मशहूर लोकगायक देशराज पटेरिया का हार्ट अटैक से निधन हो गया. वह 67 वर्ष के थे, उनका जन्म 25 जुलाई 1953 में छतरपुर के नौगांव कस्बे के पास तिटानी गांव में हुआ था. वह पिछले चार दिनों से छतरपुर के मिशन अस्पताल में भर्ती थे.
जानकारी के अनुसार बुधवार को देशराज पटेरिया को दिल का दौरा पड़ा था, उसके बाद इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इलाज के दौरान शनिवार की सुबह 3.15 बजे उन्हें फिर दिल का दौरा पड़ा और उनकी हृदय गति रुक गई, जिससे उनका निधन हो गया. वह 4 दिन से छतरपुर के मिशन अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे.
दरअसल अपने गायन में श्रृंगार, भक्ति और वीर रस का अद्भुत सम्मेलन करने वाले देशराज पटेरिया की आवाज मध्य प्रदेश की जनता के बीच एक आत्ममुग्धता का बोध कराती थी. उनके गायन को हमेशा उन्होंने उत्कृष्टता और जीवंत कला को समर्पित किया था. मुकेश कुमार को आदर्श मानने वाले देशराज पटेरिया का ऐसे चला जाना निश्चित ही मध्य प्रदेश के लिए एक अपूर्ण क्षति है.
पटेरिया का जन्म छतरपुर जिले के नौगांव कस्बे के पास तिटानी गांव में हुआ था. 18 साल की उम्र से ही वो कीर्तन मंडलियों में भाग लेकर गांव-गांव गायन करने जाते थे. गायन कला के साथ-साथ उन्होंने प्रथम श्रेणी हायर सेकंडरी की परीक्षा पास की. गायन कला में उनकी रूचि जागती गई और वे कीर्तनकार से लोक गीतकार हो गए. सबसे पहले उन्होंने 1976 में लोकगीत गाया.
किया दिलों पर राज
लोक गीतकार देशराज पटेरिया ने हमेशा श्रृंगार, भक्ति व वीर रस को प्रस्तुत किया. पटेरिया का सबसे पसंदीदा लोकगीत है-'वो किसान की लली, खेत खलियान को चली... मगरे पर बोल रहा था कऊआ लगत तेरे मायके से आ गए लिबऊआ..' ऐसे सैकड़ों गीत हैं जो आज भी लोगों को मुंह जुबानी याद हैं. लोकगायक को प्रदेश की जनता हमेशा याद रखेगी.