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सरकारी डॉक्टर की मनमानी, शासकीय आवास को बनाया निजी अस्पताल

शासकीय अस्पतालों की सूरत और व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कई तरह के बदलाव किए गए हैं. लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही. अमानगंज के सरकारी अस्पताल में पदस्थ्य एक डॉक्टर ने सरकारी आवाज को निजी अस्तपताल बना लिया है.

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Published : Sep 5, 2019, 9:06 PM IST

सरकारी डॉक्टर की मनमानी

पन्ना। स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार लाखों- करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं. लेकिन लापरवाह सरकारी डॉक्टर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे. ताजा मामला जिले के अमानगंज से सामने आया है. जहां के सरकारी अस्पताल में पदस्थ्य डॉक्टर ने अपने शासकीय आवास को निजी अस्पताल में तब्दील कर दिया है.

सरकारी डॉक्टर की मनमानी


हालात ये हैं कि मरीजों को डॉक्टर के सरकारी आवास पर जाकर इलाज कराना पड़ता है. ऐसी स्थिति इसलिए बनी क्योंकि डॉक्टर एमके गुप्ता मनमर्जी से अस्पाताल आते-जाते हैं. नियमों से उन्हें कोई मतलब नहीं. हालात यहां तक हैं कि डॉक्टर गुप्ता ने सरकारी आवास को ही अस्पताल बना लिया. वे मरीजों का वहीं इलाज करते हैं.


जिस वक्त डॉक्टर एमके गुप्ता मरीजों का अपने आवास पर इलाज करते हैं, वो अस्पताल का टाइम होता है. मामले में अमानगंज तहसीलदार ने कार्रवाई करते हुए डॉक्टर के खिलाफ एक पंचनामा बनाकर कलेक्टर को भेजा है.

पन्ना। स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार लाखों- करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं. लेकिन लापरवाह सरकारी डॉक्टर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे. ताजा मामला जिले के अमानगंज से सामने आया है. जहां के सरकारी अस्पताल में पदस्थ्य डॉक्टर ने अपने शासकीय आवास को निजी अस्पताल में तब्दील कर दिया है.

सरकारी डॉक्टर की मनमानी


हालात ये हैं कि मरीजों को डॉक्टर के सरकारी आवास पर जाकर इलाज कराना पड़ता है. ऐसी स्थिति इसलिए बनी क्योंकि डॉक्टर एमके गुप्ता मनमर्जी से अस्पाताल आते-जाते हैं. नियमों से उन्हें कोई मतलब नहीं. हालात यहां तक हैं कि डॉक्टर गुप्ता ने सरकारी आवास को ही अस्पताल बना लिया. वे मरीजों का वहीं इलाज करते हैं.


जिस वक्त डॉक्टर एमके गुप्ता मरीजों का अपने आवास पर इलाज करते हैं, वो अस्पताल का टाइम होता है. मामले में अमानगंज तहसीलदार ने कार्रवाई करते हुए डॉक्टर के खिलाफ एक पंचनामा बनाकर कलेक्टर को भेजा है.

Intro:पन्ना।
एंकर :- शासन द्वारा शासकीय अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कई तरह के बदलाव किए गए जिसमें ओपीडी का समय 10:00 से 4:00 बजे तक तय किया गया जिससे दूर दराज से आए मरीज मरीजों का सही उपचार हो सके लेकिन शासन कितने भी प्रयास करें व्यवस्थाओं में सुधार देखने को नहीं मिलता है जिसका कारण अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टरों की लापरवाही मानी जाती है ऐसा ही मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमानगंज में देखने को मिला जहां तहसीलदार के द्वारा जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया तो वहां पर ओपीडी में मरीजों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली लेकिन अस्पताल में डाक्टरों की मौजूदगी नहीं रही डॉक्टरों के घर में जाकर देखा तो वहां अपने घर में मरीजों को देखते हुए नजर आए इतना ही नहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमानगंज में पदस्थ डॉक्टर अन्य डॉक्टर भी शासकीय आवास पर मरीजों की लंबी लाइन थी और डॉक्टर अस्पताल में मरीजो का उपचार न कर घर मे मरीजों का उपचार कर रहे थे।Body:डॉक्टरों के आवास में मरीज बाटल चढ़ाए हुए नजर आए एक तरफ जहां सामुदायिक स्वास्थ्य के नामांकन में गरीब मरी उपचार के लिए यहां-वहां भटक रहे थे और डॉक्टर के आने का इंतजार कर रहे थे तो वहीं अमानगंज के जिम्मेदार डॉक्टर अस्पताल समय में अपने आवास में मरीजों का उपचार करने में मस्त रहे। Conclusion: क्षेत्र की हजारों की आबादी उपचार के लिए आश्चर्य थे और वह पैसे खर्च कर दूर दराज से उपचार कराने के लिए अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं लेकिन जब अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलता तो वह मजबूरी में शासकीय डॉक्टरों के घर में पैसे देकर उपचार करवाते हैं जिन्हें शासन ने शासकीय अस्पतालों में उपचार के लिए नियुक्त किया गया है वह हॉस्पिटल में इलाज ना कर अपने घर में प्राइवेट प्रैक्टिस करते रहेंगे तो स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था कैसे सुधरेगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
बाइट :- 1 रामलाल विश्वकर्मा
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