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जमीन हड़पने के आरोपों पर बीजेपी नेता ने तोड़ी चुप्पी, खुद पर लगे आरोप बताए निराधार - मुड़िया पहाड़ की सरकारी जमीन

पन्ना में बीजेपी नेता अंकुर त्रिवेदी पर गरीबों की जमीन हड़पने का आरोप लगा था. जिस पर सफाई देते हुए बीजेपी ने कहा कि उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार है. उन्होंने किसी जमीन पर कब्जा नहीं किया है.

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जमीन हड़पने के आरोपों पर भाजपा नेता ने तोड़ी चुप्पी
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Published : Sep 18, 2020, 4:37 PM IST

Updated : Sep 19, 2020, 6:44 AM IST

पन्ना। जिले के बीजेपी नेता अंकुर त्रिवेदी पर नयापुरा गांव के मुड़िया पहाड़ की जमीन हड़पने का आरोप लगा था. यहां रहने वाले लोगों का आरोप है कि बीजेपी नेता ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यह जमीन अपने नाम करा ली. जबकि वह यहां सालों से रहे हैं. इस पूरे मामले में बीजेपी नेता ने सफाई देते हुए कहा कि उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार है. अंकुर त्रिवेदी ने बताया कि भूमि बेंचने से पहले विक्रेता द्वारा राजस्व मंडल ग्वालियर से जून 2016 में अनुमति ली गई थी. जिसके बाद राजस्व विभाग द्वारा जांच भी की गई और मौके पर कोई कब्जा नहीं पाया गया था जिसके बाद ही विक्रय की अनुमति दे दी गई थी. अनुमति मिलने के बाद ही अक्टूबर 2016 में इस जमीन की रजिस्ट्री हुई. नामांतरण आवेदन में कतिपय लोगों द्वारा आपत्ति की गई, जिसे आयुक्त सागर ने निरस्त कर दिया था. जिसके बाद ही जमीन का नामांतरण हुआ है.

जमीन हड़पने के आरोपों पर बीजेपी नेता ने तोड़ी चुप्पी

हालांकि यहां रहने वाले लोगों ने इस जमीन पर कब्जे का आरोप लगाया है. पन्ना राजपरिवार की सदस्य महारानी जीतेश्वरी देवी के नेतृत्व में प्रभावित परिवारों की महिलाओं ने गले में फांसी का फंदा डालकर कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च कर विरोध जताया था, इस मामले में कलेक्टर को भी एक ज्ञापन सौंपा गया था. महिलाओं के इस प्रदर्शन के बाद अब बीजेपी नेता ने पूरे मामले में अपना पक्ष रखा है. अंकुर त्रिवेदी के वकील रामलखन त्रिपाठी ने बताया कि जो जमीन अंकुर त्रिवेदी और वैष्णो माता विधि महाविद्यालय के नाम पर खरीदी गई है, वो जमीन 1963 के राजस्व रिकार्ड में भूमि स्वामी व स्वत्व कब्जे की भूमि रही है. उन्होंने वहां काबिज लोगों को अतिक्रमणकारी बताते हुए कहा कि उनके द्वारा इस भूमि पर 80-90 साल से कब्जा बताया जा रहा है, जबकि राजस्व रिकार्ड से यह स्पष्ट है कि उस समय क्षेत्र में कोई भी रहता ही नहीं था.

रामलखन ने कहा कि अंकुर त्रिवेदी तथा उनके पिता अवधेश त्रिवेदी के खिलाफ अभी तक कोई भी अपराध प्रमाणित नहीं हुये हैं, जबकि शिकायतकर्ताओं मे शामिल एक महिला गंगा बाई जो अपने अवैध अतिक्रमण को बचाना चाहती है, उसे धारा 307 के अपराध में उसे सन् 2006 में सजा हुई थी. रामलखन ने बताया कि अंकुर त्रिवेदी और वैष्णोमाता विधि महाविद्यालय ने जो भूमि खरीदी है, उस व्यक्ति ने स्वयं रजिस्टर्ड विक्रय से करीब 26 साल पहले यह भूमि खरीदी थी. शिकायतकर्तागणों ने हाईकोर्ट मे भी यह केस पेश किया लेकिन हाईकोर्ट ने भी दिनांक 13 मार्च को उनकी याचिका को निरस्त कर दिया था. जमीन की खरीदी में नियम एवं प्रक्रियाओं का पालन किया गया है. बता दे कि यह मामला पन्ना जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है.

पन्ना। जिले के बीजेपी नेता अंकुर त्रिवेदी पर नयापुरा गांव के मुड़िया पहाड़ की जमीन हड़पने का आरोप लगा था. यहां रहने वाले लोगों का आरोप है कि बीजेपी नेता ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यह जमीन अपने नाम करा ली. जबकि वह यहां सालों से रहे हैं. इस पूरे मामले में बीजेपी नेता ने सफाई देते हुए कहा कि उन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार है. अंकुर त्रिवेदी ने बताया कि भूमि बेंचने से पहले विक्रेता द्वारा राजस्व मंडल ग्वालियर से जून 2016 में अनुमति ली गई थी. जिसके बाद राजस्व विभाग द्वारा जांच भी की गई और मौके पर कोई कब्जा नहीं पाया गया था जिसके बाद ही विक्रय की अनुमति दे दी गई थी. अनुमति मिलने के बाद ही अक्टूबर 2016 में इस जमीन की रजिस्ट्री हुई. नामांतरण आवेदन में कतिपय लोगों द्वारा आपत्ति की गई, जिसे आयुक्त सागर ने निरस्त कर दिया था. जिसके बाद ही जमीन का नामांतरण हुआ है.

जमीन हड़पने के आरोपों पर बीजेपी नेता ने तोड़ी चुप्पी

हालांकि यहां रहने वाले लोगों ने इस जमीन पर कब्जे का आरोप लगाया है. पन्ना राजपरिवार की सदस्य महारानी जीतेश्वरी देवी के नेतृत्व में प्रभावित परिवारों की महिलाओं ने गले में फांसी का फंदा डालकर कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च कर विरोध जताया था, इस मामले में कलेक्टर को भी एक ज्ञापन सौंपा गया था. महिलाओं के इस प्रदर्शन के बाद अब बीजेपी नेता ने पूरे मामले में अपना पक्ष रखा है. अंकुर त्रिवेदी के वकील रामलखन त्रिपाठी ने बताया कि जो जमीन अंकुर त्रिवेदी और वैष्णो माता विधि महाविद्यालय के नाम पर खरीदी गई है, वो जमीन 1963 के राजस्व रिकार्ड में भूमि स्वामी व स्वत्व कब्जे की भूमि रही है. उन्होंने वहां काबिज लोगों को अतिक्रमणकारी बताते हुए कहा कि उनके द्वारा इस भूमि पर 80-90 साल से कब्जा बताया जा रहा है, जबकि राजस्व रिकार्ड से यह स्पष्ट है कि उस समय क्षेत्र में कोई भी रहता ही नहीं था.

रामलखन ने कहा कि अंकुर त्रिवेदी तथा उनके पिता अवधेश त्रिवेदी के खिलाफ अभी तक कोई भी अपराध प्रमाणित नहीं हुये हैं, जबकि शिकायतकर्ताओं मे शामिल एक महिला गंगा बाई जो अपने अवैध अतिक्रमण को बचाना चाहती है, उसे धारा 307 के अपराध में उसे सन् 2006 में सजा हुई थी. रामलखन ने बताया कि अंकुर त्रिवेदी और वैष्णोमाता विधि महाविद्यालय ने जो भूमि खरीदी है, उस व्यक्ति ने स्वयं रजिस्टर्ड विक्रय से करीब 26 साल पहले यह भूमि खरीदी थी. शिकायतकर्तागणों ने हाईकोर्ट मे भी यह केस पेश किया लेकिन हाईकोर्ट ने भी दिनांक 13 मार्च को उनकी याचिका को निरस्त कर दिया था. जमीन की खरीदी में नियम एवं प्रक्रियाओं का पालन किया गया है. बता दे कि यह मामला पन्ना जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है.

Last Updated : Sep 19, 2020, 6:44 AM IST
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