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आदिवासी बहुल क्षेत्र में सरकारी स्कूलों का बुरा हाल, नौनिहाल करते हैं शिक्षकों का इंतजार

पन्ना जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र में प्राथमिक स्कूलों में बच्चे शिक्षक के आने का इंतजार करते रहते हैं, ताकि उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके और उनका भविष्य सुधर सके, लेकिन ये स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है, जो शिक्षक हैं भी वो समय पर स्कूल नहीं पहुंचते हैं.

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Published : Oct 7, 2019, 8:28 PM IST

स्कूल में शिक्षक का इंतजार करते नौनिहाल

पन्ना। जिले में आदिवासी बहुल क्षेत्र में शिक्षा का हाल बेहाल है. जहां शिक्षकों की कमी का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. ब्लॉक के अधिकांश स्कूल या तो शिक्षक विहीन हैं या फिर एकल शिक्षक से स्कूल चलाए जा रहे हैं. रहुनिया ग्राम पंचायत के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में लगभग सौ बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन इन बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में तीन शिक्षक पदस्थ हैं, जिनमें से एक महिला शिक्षक 15 दिन से ज्यादा स्कूल से गायब हैं. अब ऐसे में दो शिक्षकों के भरोसे ही पूरे स्कूल की जिम्मेदारी है.

स्कूल में शिक्षक का इंतजार करते नौनिहाल

अब ऐसे में दो शिक्षकों के भरोसे प्राथमिक और माध्यमिक की जिम्मेदारी है. जिसमे एक शिक्षक पर प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी भी है, इसलिए उन्हें अधिकतर समय सरकारी कार्यों में भी देना पड़ता है. ऐसे में एक ही शिक्षक पर 8 कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है.

वहीं अगर स्कूल की व्यवस्थाओं की बात की जाए, तो बद से बदत्तर है, स्कूल की बिल्डिंग की छत से बरसात के मौसम में पानी टपकता रहता है और बिना सुरक्षा के छोटे- छोटे बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. इतना ही नहीं स्कूल तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ता तक नहीं है. नौनिहाल कच्ची,टूटी-फूटी सड़कों से गुजर अपना भविष्य सवारने जाते हैं, लेकिन कभी शासन और प्रशासन ने इन मासूमों की तकलीफ दूर करने की जहमत नहीं उठाई.

पन्ना। जिले में आदिवासी बहुल क्षेत्र में शिक्षा का हाल बेहाल है. जहां शिक्षकों की कमी का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. ब्लॉक के अधिकांश स्कूल या तो शिक्षक विहीन हैं या फिर एकल शिक्षक से स्कूल चलाए जा रहे हैं. रहुनिया ग्राम पंचायत के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में लगभग सौ बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन इन बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल में तीन शिक्षक पदस्थ हैं, जिनमें से एक महिला शिक्षक 15 दिन से ज्यादा स्कूल से गायब हैं. अब ऐसे में दो शिक्षकों के भरोसे ही पूरे स्कूल की जिम्मेदारी है.

स्कूल में शिक्षक का इंतजार करते नौनिहाल

अब ऐसे में दो शिक्षकों के भरोसे प्राथमिक और माध्यमिक की जिम्मेदारी है. जिसमे एक शिक्षक पर प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी भी है, इसलिए उन्हें अधिकतर समय सरकारी कार्यों में भी देना पड़ता है. ऐसे में एक ही शिक्षक पर 8 कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है.

वहीं अगर स्कूल की व्यवस्थाओं की बात की जाए, तो बद से बदत्तर है, स्कूल की बिल्डिंग की छत से बरसात के मौसम में पानी टपकता रहता है और बिना सुरक्षा के छोटे- छोटे बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. इतना ही नहीं स्कूल तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ता तक नहीं है. नौनिहाल कच्ची,टूटी-फूटी सड़कों से गुजर अपना भविष्य सवारने जाते हैं, लेकिन कभी शासन और प्रशासन ने इन मासूमों की तकलीफ दूर करने की जहमत नहीं उठाई.

Intro:पन्ना।
एंकर-पन्ना जिले में आदिवाशी बाहुल्य क्षेत्र में शिक्षा का स्तर किस प्रकार दम तोड़ रही है । इसका जीता जागता उदारहण पन्ना जनपद की रहुनिया पंचायत से देखेंने को मिला है । जहाँ पर रहुनिया ग्राम में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल है । जिनमे लगभग 1 सैकड़ा बच्चे अपना भविष्य संवारने की कोसिस कर रहे हैं । लेकिन सरकार और सिस्टम को इन गरीब आदिवाशी समुदाय के बच्चों की एक भी खबर नही है।
Body:बच्चों के भविष्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है । माध्यमिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए 18 साल से एक भी शिक्षक की पदस्थापना नही हो पाई है । जिससे प्राथमिक स्कूल में तीन शिक्षक पदस्थ है जिनमे एक महिला शिक्षक है जो कभी कभार ही स्कूल जाती है । महीने 15 दिन से ज्यादा स्कूल से गायब रहती है । अब ऐसे में दो शिक्षकों के भरोसे प्राथमिक और माध्यमिक की जिम्मेदारी है । जिंसमे एक शिक्षक पर प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी भी इसलिए उन्हें अधिकतर समय सरकारी कामो में भी देना पड़ता है । इसलिए अब एक ही शिक्षक एक सैकड़ा बच्चों की 8 क्लासों की पढ़ाई की जिम्मेदारी बेबसी में उठा रहे हैं ।


Conclusion:वही अगर स्कूल की व्यवस्थाओं की बात की जाए तो बत से बत्तर है । स्कूल की बिल्डिंग की छत से बरसात के मौषम में पानी टपकता रहता है ।और बिना सुरक्षा के छोटे छोटे बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं । न ही स्कूल तक जाने के लिए रास्ता है । कच्ची झाड़ीनुमा रास्ता से बच्चे निकलने को मजबूर है ।ग्रामपंचायत के द्वारा न तो स्कूल के बॉउंड्रीवाल का निर्माण करवाया गया है औऱ न ही स्कूल तक पहुँच मार्ग ।अब ऐसे के जिम्मेदारों की जिम्मेदारी पर सावलिया निशान खड़े होना लाजमी है ।
बाइट-1 स्कूल छात्र
बाइट-2 विश्वनाथ सिंह(प्रधानाध्यापक )
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