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खाकी ने जीता मजदूर परिवार का दिल, कुछ ऐसे की मदद - पृथ्वीपुर ब्लॉक

अनुविभागीय अधिकारी संतोष पटेल जब चैक पोस्ट का निरीक्षण करने जा रहे थे, तभी उन्हें कुछ लोग पैदल अपने घर छतरपुर जाते दिखे. ऐसे में उन्होंने उन लोगों के जाने की पूरी व्यवस्था कराई.

मजदूर परिवार
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Published : May 1, 2021, 7:09 PM IST

निवाड़ी। पृथ्वीपुर ब्लॉक के अनुविभागीय अधिकारी संतोष पटेल अपने शासकीय वाहन से रानी गंज तिगैला नाका चैक पोस्ट का निरीक्षण करने जा रहे थे, तभी दो मासूम बच्चों के साथ सिर पर बैग रखे एक मां अपने पति और भाई के साथ पैदल जाते हुए मिली. पटेल ने उन्हें रोककर पूंछा, तो उन्होंने बताया की वह मजदूरी करने झांसी गये थे. लेकिन काम बंद होने की बजह से वह वहां से 120 किलोमीटर दूर अपने घर छत्तरपुर जिला जा रहे हैं.

अनुविभागीय अधिकारी संतोष पटेल

पैदल जा रहे लोगों की ऐसे की मदद

पैदल जा रहे लोगों की कहानी सुनकर पुलिस अधिकारी का दिल पसीज गया. उन्होंने पहले बच्चों को बिस्किट खिलाए और फिर उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाकर टीकमगढ़ सीमा तक छोड़ दिया. वहां से उनके घर जाने की व्यवस्था भी कराई. ऐसा अक्सर बहुत कम देखने को मिलता है कि पुलिस भी किसी की मदद कर रही है. अगर इसी तरह की कार्यशैली पुलिस की हो जाए तो जो लोगों में पुलिस के प्रति गलत धारणा है वह दूर हो जाएगी.


कोरोना कर्फ्यू का पालन कराने सड़कों पर उतरी पुलिस, नियम तोड़ने वालों पर बरसाई लाठियां

अनुविभागीय अधिकारी ने कही ये बात

अनुविभागीय अधिकारी पटेल का कहना है कि यह समय सुरक्षा सहयोग और समन्वय का है. उन्हें इस जनसेवा की प्रेरणा उनके पुलिस कप्तान आलोक कुमार सिंह से मिलती है, जो पूरे पुलिस स्टॉप का ख्याल परिवार की तरह रखते हैं.

निवाड़ी। पृथ्वीपुर ब्लॉक के अनुविभागीय अधिकारी संतोष पटेल अपने शासकीय वाहन से रानी गंज तिगैला नाका चैक पोस्ट का निरीक्षण करने जा रहे थे, तभी दो मासूम बच्चों के साथ सिर पर बैग रखे एक मां अपने पति और भाई के साथ पैदल जाते हुए मिली. पटेल ने उन्हें रोककर पूंछा, तो उन्होंने बताया की वह मजदूरी करने झांसी गये थे. लेकिन काम बंद होने की बजह से वह वहां से 120 किलोमीटर दूर अपने घर छत्तरपुर जिला जा रहे हैं.

अनुविभागीय अधिकारी संतोष पटेल

पैदल जा रहे लोगों की ऐसे की मदद

पैदल जा रहे लोगों की कहानी सुनकर पुलिस अधिकारी का दिल पसीज गया. उन्होंने पहले बच्चों को बिस्किट खिलाए और फिर उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाकर टीकमगढ़ सीमा तक छोड़ दिया. वहां से उनके घर जाने की व्यवस्था भी कराई. ऐसा अक्सर बहुत कम देखने को मिलता है कि पुलिस भी किसी की मदद कर रही है. अगर इसी तरह की कार्यशैली पुलिस की हो जाए तो जो लोगों में पुलिस के प्रति गलत धारणा है वह दूर हो जाएगी.


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