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कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों के साथ किसानों के बीच पहुंचे कलेक्टर - अधिकारियों के साथ पहुंचे कलेक्टर

कलेक्टर आशीष भार्गव ने केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम के साथ निवाड़ी जिले के लाडपुरा, राधापुर, पूछीकरगवा, बाघाट, बीजोर आदि ग्रामों का दौरा किया, इन गांवों में जिला प्रशासन और कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने पहुंचकर खरीफ की फसलों का जायजा लिया.

Niwari news
किसानों के बीच कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों के साथ पहुंचे कलेक्टर
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Published : Sep 6, 2020, 11:49 PM IST

निवाड़ी। कलेक्टर आशीष भार्गव ने केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम के साथ निवाड़ी जिले के लाडपुरा, राधापुर, पूछीकरगवा, बाघाट, बीजोर आदि गांव का दौरा किया, इन गांव में जिला प्रशासन और कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने पहुंचकर खरीफ की फसलों का जायजा लिया और यह पाया कि अधिकांश किसान, जिन्होंने मूंगफली लगाई है, वह लगातार तीन वर्षों की तरह आज भी ठीक महसूस कर रहे हैं. लेकिन उड़द की फसल लगातार उन्हें धोखा दे रही है, कभी पीला मोजेक तो कभी कीड़े-मकोड़े कभी घास-पूस तो कभी अतिवृष्टि के कारण फसल अच्छी नहीं हो रही है.

केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों की टीम में शामिल एग्रोनॉमिस्ट डॉक्टर योगेश्वर सिंह ने बताया कि किसान भाई उड़द की जगह खरीफ में कोई ना कोई वैकल्पिक फसल लेने का प्रयास करें. वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. प्रशांत जंभुलकर और डॉ. विजय मिश्रा भी शामिल रहे.

कलेक्टर ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह जिले के किसानों के नाम, पता, मोबाइल नंबर कृषि विज्ञान केंद्र और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को भेजें ताकि आवश्यक जानकारियां व्हाट्सएप मैसेज या SMS के माध्यम से किसानों तक पहुंचाई जा सकें. दौरे में सभी तहसीलदार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, विद्युत विभाग के इंजीनियर, कृषि विभाग के अधिकारी सहित सभी क्षेत्रीय अधिकारी उनके साथ उपस्थित रहे.

निवाड़ी जिले के कलेक्टर के साथ कृषि वैज्ञानिक और कृषि अधिकारियों ने किसानों को मूंग, उड़द, सोयाबीन में पीला मोजेक रोग से बचने के लिए उन्हें प्रारंभिक अवस्था में रोग ग्रसित पौधे को उखाड़कर नष्ट करने की सलाह दी और रोग का प्रकोप ज्यादा होने पर किसानों को रासायनिक दवाओं के छिड़काव की सलाह दी गई है.

निवाड़ी। कलेक्टर आशीष भार्गव ने केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम के साथ निवाड़ी जिले के लाडपुरा, राधापुर, पूछीकरगवा, बाघाट, बीजोर आदि गांव का दौरा किया, इन गांव में जिला प्रशासन और कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने पहुंचकर खरीफ की फसलों का जायजा लिया और यह पाया कि अधिकांश किसान, जिन्होंने मूंगफली लगाई है, वह लगातार तीन वर्षों की तरह आज भी ठीक महसूस कर रहे हैं. लेकिन उड़द की फसल लगातार उन्हें धोखा दे रही है, कभी पीला मोजेक तो कभी कीड़े-मकोड़े कभी घास-पूस तो कभी अतिवृष्टि के कारण फसल अच्छी नहीं हो रही है.

केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों की टीम में शामिल एग्रोनॉमिस्ट डॉक्टर योगेश्वर सिंह ने बताया कि किसान भाई उड़द की जगह खरीफ में कोई ना कोई वैकल्पिक फसल लेने का प्रयास करें. वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. प्रशांत जंभुलकर और डॉ. विजय मिश्रा भी शामिल रहे.

कलेक्टर ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह जिले के किसानों के नाम, पता, मोबाइल नंबर कृषि विज्ञान केंद्र और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को भेजें ताकि आवश्यक जानकारियां व्हाट्सएप मैसेज या SMS के माध्यम से किसानों तक पहुंचाई जा सकें. दौरे में सभी तहसीलदार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, विद्युत विभाग के इंजीनियर, कृषि विभाग के अधिकारी सहित सभी क्षेत्रीय अधिकारी उनके साथ उपस्थित रहे.

निवाड़ी जिले के कलेक्टर के साथ कृषि वैज्ञानिक और कृषि अधिकारियों ने किसानों को मूंग, उड़द, सोयाबीन में पीला मोजेक रोग से बचने के लिए उन्हें प्रारंभिक अवस्था में रोग ग्रसित पौधे को उखाड़कर नष्ट करने की सलाह दी और रोग का प्रकोप ज्यादा होने पर किसानों को रासायनिक दवाओं के छिड़काव की सलाह दी गई है.

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