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अजब एमपी का गजब 'विकास', नांव के सहारे चल रही है ग्रामीणों की जिंदगी

नीमच के मनासा जनपद की कुंदवासा पंचायत के अंतर्गत आने वाला मेरियाखेड़ी ढाणी गांव के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. वहीं भारी बारिश ने भी ग्रामीणों का हाल बेहाल कर दिया है.

अजब एमपी का गजब 'विकास'
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Published : Sep 11, 2019, 8:17 PM IST

नीमच। राज्य सरकार शहर और गांवों के विकास के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. नीमच जिला मुख्यायल से 80 किलोमीटर दूर गांधीसागर डूब क्षेत्र में बसा गांव मेरियाखेड़ी ढाणी गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. भारी बारिश से मेरियाखेड़ी ढाणी गांव का हाल बेहाल है. हालत यह है कि इस गांव को अन्य गांवों से जोड़ने वाली सड़क 80 फीट तक बह गई है. ऐसे में ग्रामीणों की जिंदगी नाव के सहारे चल रही है.

अजब एमपी का गजब 'विकास'


मनासा जनपद की कुंदवासा पंचायत के अंतर्गत आने वाला मेरियाखेड़ी ढाणी गांव गांधी सागर के पानी से टापू बन गया है. भारी बारिश से अन्य गांवों से जोड़ने वाली सड़क बह गई है, जिससे लोग नाव के सहारे अपनी जिंदगी की गाड़ी चलाने को मजबूर हैं. सड़क बहने से आवाजाही करना किसी के लिए चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में बीमार लोगों को इलाज के लिए गांव से बाहर निकलना तक मुश्किल हो रहा है. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि गांव के पास अस्पताल नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए एक महीने पहले किसी दूसरे गांव में शिफ्ट होना पड़ता है.


करीब 500 लोगों की आबादी वाले इस गांव में 50 से ज्यादा बच्चे दूसरे गांव में पढ़ने जाते हैं, लेकिन गांवों से संपर्क कटने के बाद बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है. पूरे गांव की प्यास एक हैंडपंप बुझाता है, लेकिन गांव में पानी भरने से हैंडपंप से गंदा पानी आ रहा है. बता दें कि 2017 में 2 करोड़ 94 लाख रुपए स्वीकृत हुआ था, जिसमें नलवा, कुंडला रोड साम्याखेडी और फंटे से ढाणी तक तीन किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ था.


ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिन पहले कलेक्टर ने अपनी टीम के साथ गांव का निरीक्षण किया था. जब ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं से अधिकारियों को अवगत कराया, तो कलेक्टर ने जन सहयोग से सड़क निर्माण की बात कही. इससे ग्रामीणों में नाराजगी देखने को मिल रही है.

नीमच। राज्य सरकार शहर और गांवों के विकास के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. नीमच जिला मुख्यायल से 80 किलोमीटर दूर गांधीसागर डूब क्षेत्र में बसा गांव मेरियाखेड़ी ढाणी गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. भारी बारिश से मेरियाखेड़ी ढाणी गांव का हाल बेहाल है. हालत यह है कि इस गांव को अन्य गांवों से जोड़ने वाली सड़क 80 फीट तक बह गई है. ऐसे में ग्रामीणों की जिंदगी नाव के सहारे चल रही है.

अजब एमपी का गजब 'विकास'


मनासा जनपद की कुंदवासा पंचायत के अंतर्गत आने वाला मेरियाखेड़ी ढाणी गांव गांधी सागर के पानी से टापू बन गया है. भारी बारिश से अन्य गांवों से जोड़ने वाली सड़क बह गई है, जिससे लोग नाव के सहारे अपनी जिंदगी की गाड़ी चलाने को मजबूर हैं. सड़क बहने से आवाजाही करना किसी के लिए चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में बीमार लोगों को इलाज के लिए गांव से बाहर निकलना तक मुश्किल हो रहा है. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि गांव के पास अस्पताल नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए एक महीने पहले किसी दूसरे गांव में शिफ्ट होना पड़ता है.


करीब 500 लोगों की आबादी वाले इस गांव में 50 से ज्यादा बच्चे दूसरे गांव में पढ़ने जाते हैं, लेकिन गांवों से संपर्क कटने के बाद बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है. पूरे गांव की प्यास एक हैंडपंप बुझाता है, लेकिन गांव में पानी भरने से हैंडपंप से गंदा पानी आ रहा है. बता दें कि 2017 में 2 करोड़ 94 लाख रुपए स्वीकृत हुआ था, जिसमें नलवा, कुंडला रोड साम्याखेडी और फंटे से ढाणी तक तीन किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ था.


ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिन पहले कलेक्टर ने अपनी टीम के साथ गांव का निरीक्षण किया था. जब ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं से अधिकारियों को अवगत कराया, तो कलेक्टर ने जन सहयोग से सड़क निर्माण की बात कही. इससे ग्रामीणों में नाराजगी देखने को मिल रही है.

Intro:ऐसा गाँव जहां गर्भवती महिलाओं को समय से पहले भेज दिया जाता है दूसरे गाँव

स्पेशल खबर Body:ऐसा गाँव जहां गर्भवती महिलाओं को समय से पहले भेज दिया जाता है दूसरे गाँव

जिला मुख्यायल से 80 किलोमीटर दूर गाँधीसागर डूब क्षेत्र में बसा गाँव मेरियाखेड़ी ढाणी जिसमे करीब 50 परिवार एवं 500 की आबादी वाला मेरियाखेड़ी का मजरा गांव हैं। जो मनासा जनपद की कुंदवासा पंचायत के अंतर्गत आता हैं। वर्तमान में गांव का अन्य गांवों से संपर्क कटने पर ढाणी चारों तरफ से गांधी सागर के पानी से घिर गया है। गांधी सागर के कैचमेंट एरिया में लगातार हो रही बारिश के कारण ग्रामीण दहशत में हैं कि कहीं गांधी सागर का पानी गांव तक नहीं पंहुच जाए। गांव का अन्य गांवों से संपर्क कटने से लोगों को जरूरत के सामान सहित अन्य सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ रहा है।बरसात के दिनो में ग्रामीण किराना सामान सहित दूध का व्यापार व्यवसाय नहीं कर पा रहे है गांव में स्कूल तो है पर समय पर लगता नही व करीब 50 से ज्यादा प्रायवेट पड़ने वाले बच्चे तीन किलो मीटर दूर कुंडला पढऩे जाते हैं। लेकिन वे भी कभी कभी 10 दिन तक स्कूल नहीं पहुंच पाते है कभी कभी हालात इतने बुरे है के बच्चे परीक्षा में तक नही बेठ पाते है परीक्षा के दिनों में पड़ने वाले बच्चों को दूसरे गाँव मे रात रुकना पड़ता है गाँव मे पहली से लेकर पाँचवी तक स्कूल है जिसमे 20 के करिब बच्चे पढ़ते है पर बाँहर से आने वाले शिक्षक भी अधिक बरसात में नही आ सकते है जिसके चलते पढ़ाई कई दिनों तक बन्द भी रहती है वही मरीजों को लाने ले जाने की खाट ले आलावा कोई सुविधा नही है , गांधी सागर के पानी से चारों तरफ से घिरे गांव ढाणी का नजारा एक टापू के समान है । जहां आवाजाही करना किसी के लिए चुनौती से कम नहीं है, ऐसे में गांव में बीमार होने वाले लोगों को भी उपचार के लिए गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है गाँव मे एक दो डॉक्टर भी आते है वो भी दो किलोमीटर दूर से खुद की नाव चलाकर इलाज करने आते है ,गाँव मे पीने के पानी का एकमात्र विकल्प सिर्फ हेण्डपम्प है जो गाँव से आधा किलोमीटर दूर है वो भी अधिक बरसात में डूब जाता है व नदी नालों का गन्दा पानी उस मे घुस जाता है जिस से गाँव मे महामारी फैलने का खतरा है / गाँव मे न सड़क है ,न नल है ,यहां के लोग इस पुलिया के न बनने की वजह से नरकीय जीवन जीने को मजबुर है
जब etv टीम बड़ी मशक्कत के बाद इस गांव में पहुची ओर वहां का हाल जाना तो गाँव वालों का गुस्सा ओर ज्यादा फुट पड़ा -गाँव के लोगो ने बताया के सिर्फ इस पुलिया की वजह से हमारे गाँव मे लोग शादी के लिए लडकिया तक नही देते है और तो और गर्भवती महिलाओं को 3 ,4 महीने पहले ही दूसरे गांव भेज दिया जाता है ताकि कब क्या पता अस्पताल के लिए जाना पड़े -बीमार लोगो को तो इस गाँव से ले जाना बहुत ही जोखिम भरा काम है नदी अगर बहाव पर हो लोगो को घण्टो इंतजार करना पड़ता है 20 फिर की रपट को पार करने लिए यहा तक कभी कभी पूरी रात नदी के पास बैठकर इंतजार करते है शाम को अगर 7 बजे बाद तो गाँधीसागर के कई मगरमछ उस पुल के आसपास आकर बैठ जाते है जिस से जान का खतरा बना रहता है -

वही जब ईटीवी की टीम ने बोट चलाने वाले से जानकारी ली तो पता चला के बोट में न तो डीजल है न बैट्री चार्ज है और जो डीजल कम्पनी ने दिया था वो तो कब का जल गया उस के बाद रस्सी से ही काम चला रहे है अगर रस्सी टूट गयी तो नाव चंबल की तरफ पानी मे घूमती रह जायेगी -


2 करोड 94 लाख हुए थे स्वीकृत, कलेक्टर ने एसडीएम से मांगी थी रिपोर्ट
गांव ढाणी में सड़क की समस्या के स्थाई समाधान को लेकर वर्ष 2017 में 2 करोड 94 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे। जिसमें नलवा, कुंडला रोड साम्याखेडी फंंटे से ढाणी तक तीन किलोमीटर सड़क के लिए शासन से राशि स्वीकृत हुई थी। लेकिन विधानसभा चुनाव एवं पीडब्ल्यूडी विभाग की लापरवाही के चलते सड़क का टेंडर नहीं होने से कार्य ठंडे बस्ते में चला गया। जिसको लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर को अवगत कराया। कलेक्टर ने मनासा एसडीएम को सोमवार को होने वाली बैठक में सड़क को लेकर संपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश थे

वही वेस्टवेयर कम पुलिया का निर्माण 9 लाख 73 हजार रुपए में हुआ था। समस्या सामने आने पर ऊंचाई बढ़ाने में 1 लाख 23 हजार रुपए का अतिरिक्त खर्च आया पर वो भी पानी अपने साथ बहा ले गया

कुछ समय पहले गाव के लोगो ने रोड़ का सम्पर्क कट जाने से आने जाने हेतु बॉस से बरसात में बरसते पानी मे बल्लियों व पाइप से सेतु बनाया था पर तेज बहाव के चलते वो भी भ गया ग्रामीणों की एकमात्र उम्मीद भी पानी मे बह जाने के कारण लोगो का अन्य गाँव मे आना जाना बंद हो गया था

पर अभी भी इस समय वहां के लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर है इनका एक मात्र आने जाने का साधन सिर्फ नाव ही है जो हाथ से खीच रहे व सड़ी हुई रस्सी के सहारे चल रही है

बाइट-ग्रामीणजन निवासी
बाइट नीमच जिला कलेक्टर - अजय गंगवार


मंगल कुशवाह मनासा Conclusion:
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