नीमच। सरकार विकास के लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ ओर तस्वीरें बयां करती है.जिले मुख्यालय से सटे हुए गांव राजपुरा में लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है. सरकारी योजनाएं गांव तक पहुंची है,लेकिन सिर्फ कागज पर सिमट कर रह गई है. जिसके कारण लोग आज भी अभाव में जिंदगी जीने को मजबूर है.
कहने को तो सरकार ने राजपुरा को गोकुल ग्राम घोषित कर दिया है,लेकिन 1200 की जनसंख्या वाले इस गांव में स्वच्छता और विकास के नाम पर सिर्फ दावे है पर हकीकत कुछ नही. ग्रामीण सुविधा के अभाव में काफी परेशानियों भरी जिंदगी गुजारने को मजबूर है.
वृद्ध पेंशन योजना के हाल
राजपुरा के बुजुर्ग बताते है कि गांव में किसी भी वृद्ध को पेंशन का लाभ नही मिलता है.लाचार और असहाय बुजुर्गो का कोई सहारा नही है.कई बार तो उन्हें भूखे ही दिन गुजारना पड़ता है.
प्रधानमंत्री अवास योजना की हकीकत
सरकार ने भले दावे 2022 तक सबको पक्के मकान देने का वादा किया है.लेकिन गांव में 3 सालों में सिर्फ 8 मकान ही पक्के बने है.बारिश के बाद अधिकतर कच्चे मकान गिर गए है.लोगो के पास रहने तक का आसरा नही बचा है.
पीने का पानी मिलना मुश्किल
गांव में पीने के पानी लिए तीन टंकी तो बना दी पर जबसे बनी तब से बंद पड़ी ,नलजल योजना के अंतर्गत गाँव के किसी भी घर मे नल नही ग्रामीणों को पानी के लिए दूर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है व सिर्फ एकमात्र हेण्डपम्प है जिस से पूरे गाँव के लोग पानी पीते है.गाँव मे पीने के पानी के लिए कुंआ तो बना दिया पर नालियों का गंदा पानी कुंआ में जाने के कारण वह पीने के लिए नही रहता है.
स्वास्थ्य सेवाओं का हाल
गाँव में सरकार ने उपस्वास्थ्य केंद्र तो बना दिया लेकिन उसका आजतक ताला नही खुला है. ग्रामीणों को इलाज के लिए 40 किलोमीटर दूर मनासा आना पड़ता है
कभी-कभी नही हो पाता दाह संस्कार
सरकार ने गांव में श्मशान बनाने के लिए 14 लाख रुपए स्वीकृत किए थे.लेकिन उसमें से आजतक 1 रुपए भी श्मशान के लिए नही लगा है.श्मशान में लोगो के निजी सहयोग से चादर का सेट बनाया गया है पर पंचायत से कोई सहयोग नही किया जाता है.वही कभी-कभी श्मशान तक जाने वाले रास्ते मे पानी भर जाने पर कभी दाह संस्कार भी नही हो पाता है
मूलभूत सुविधाओं की राह देखता राजपुरा गांव, प्रशासन बना मूकदर्शक - Rajpura village
नीमच जिले के राजपुरा गांव का हाल बेहाल है. यहां रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बन कर बैठे है.
नीमच। सरकार विकास के लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ ओर तस्वीरें बयां करती है.जिले मुख्यालय से सटे हुए गांव राजपुरा में लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे है. सरकारी योजनाएं गांव तक पहुंची है,लेकिन सिर्फ कागज पर सिमट कर रह गई है. जिसके कारण लोग आज भी अभाव में जिंदगी जीने को मजबूर है.
कहने को तो सरकार ने राजपुरा को गोकुल ग्राम घोषित कर दिया है,लेकिन 1200 की जनसंख्या वाले इस गांव में स्वच्छता और विकास के नाम पर सिर्फ दावे है पर हकीकत कुछ नही. ग्रामीण सुविधा के अभाव में काफी परेशानियों भरी जिंदगी गुजारने को मजबूर है.
वृद्ध पेंशन योजना के हाल
राजपुरा के बुजुर्ग बताते है कि गांव में किसी भी वृद्ध को पेंशन का लाभ नही मिलता है.लाचार और असहाय बुजुर्गो का कोई सहारा नही है.कई बार तो उन्हें भूखे ही दिन गुजारना पड़ता है.
प्रधानमंत्री अवास योजना की हकीकत
सरकार ने भले दावे 2022 तक सबको पक्के मकान देने का वादा किया है.लेकिन गांव में 3 सालों में सिर्फ 8 मकान ही पक्के बने है.बारिश के बाद अधिकतर कच्चे मकान गिर गए है.लोगो के पास रहने तक का आसरा नही बचा है.
पीने का पानी मिलना मुश्किल
गांव में पीने के पानी लिए तीन टंकी तो बना दी पर जबसे बनी तब से बंद पड़ी ,नलजल योजना के अंतर्गत गाँव के किसी भी घर मे नल नही ग्रामीणों को पानी के लिए दूर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है व सिर्फ एकमात्र हेण्डपम्प है जिस से पूरे गाँव के लोग पानी पीते है.गाँव मे पीने के पानी के लिए कुंआ तो बना दिया पर नालियों का गंदा पानी कुंआ में जाने के कारण वह पीने के लिए नही रहता है.
स्वास्थ्य सेवाओं का हाल
गाँव में सरकार ने उपस्वास्थ्य केंद्र तो बना दिया लेकिन उसका आजतक ताला नही खुला है. ग्रामीणों को इलाज के लिए 40 किलोमीटर दूर मनासा आना पड़ता है
कभी-कभी नही हो पाता दाह संस्कार
सरकार ने गांव में श्मशान बनाने के लिए 14 लाख रुपए स्वीकृत किए थे.लेकिन उसमें से आजतक 1 रुपए भी श्मशान के लिए नही लगा है.श्मशान में लोगो के निजी सहयोग से चादर का सेट बनाया गया है पर पंचायत से कोई सहयोग नही किया जाता है.वही कभी-कभी श्मशान तक जाने वाले रास्ते मे पानी भर जाने पर कभी दाह संस्कार भी नही हो पाता है
Body:कहने को तो गोकुल ग्राम घोषित पर स्वछता व विकास को लेकर जीरो
जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर मनासा तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत राजपुरा की जिसकी जनसंख्या 1200 के करीब है जो अभी तक शासन की मूलभुत सुविधाओं से वंचित है योजनाए तो आती है पर केवल कागजो में सिमट कर रह जाती है ग्रामीणों की माने तो अभी तक इस गाँव मे किसी भी वृद्ध व विधवा महिलाओं पेंशन नही मिलती है कहने को तो इस गांव को गोकुल ग्राम घोषित किया पर स्वच्छता और शासन की योजनाओं की उड़ रही है धज्जिया गांव में सीसी रोड तो बनाया पर नालियां नही जिससे रास्तो में कीचड़ भरा रहता है गांव में पीने के पानी लिए तीन टंकी तो बना दी पर जबसे बनी तब से बंद पड़ी ,नलजल योजना के अंतर्गत गाँव के किसी भी घर मे नल नही ग्रामीणों को पानी के लिए दूर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है व सिर्फ एकमात्र हेण्डपम्प है जिस से पूरे गाँव के लोग पानी पीते है -गाँव मे पीने हेतु कुआ तो बना दिया पर नालियों का गंदा पानी कुवे में उतरता है जो पीने योग्य भी नही है व मरे हुए जानवर कुवे में पड़े हुए है जब से गाँव मे उपस्वास्थ्य केंद्र बनाया गया जो तब से ताला भी नही खुला और केवल मरम्मत के पैसे आ जाते हे स्वास्थ्य के नाम पर भी लीपापोती होती है इलाज के लिए भी जरूरत के समय 40 किलोमीटर दूर मनासा आना पड़ता है पुरे गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केवल 8 मकान बने 3 वर्ष से विधवा पेंशन भी नही मिली। गांव वालों को पंचायत द्वारा शासन द्वारा योजनाओं की कोई जानकारी नही दी जाती| वही ग्रामीणों का कहना है श्मशान के लिए 14 लाख आए पर अभी तक कोई सुविधा नही है श्मशान निजी सहयोग से चदर का सेट डाला गया पर पंचायत द्वारा कोई सहयोग नही है वही श्मशान तक जाने वाले रास्ते मे पानी भर जाने पर कभी कभी दाह संस्कार भी नही हो पाता-
गाँव शोचालय ना होने से महिलाओं को खेतों व रोड के आसपास जाना पड़ता है महिलाओं को सोच के लिए शाम होने का इंतजार करना पड़ता है
कहने को तो गोकुल ग्राम है पर स्वछता व सुविधा के नाम पर सिर्फ जीरो
इस समस्या को लेकर ग्रामीणों ने सरपंच सचिव को कई बार अवगत करवाया पर कोई भी जिम्मेदार ध्यान देने को तैयार नही है ,Conclusion: