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ठंड और नील गाय से परेशान हैं अफीम के किसान

मनासा क्षेत्र अफीम की खेती के लिए काफी मशहूर है. लेकिन लगातार ठंड के बढ़ते प्रकोप के चलते किसानों को फसल खराब होने का डर सताने लगा है.कड़कड़ाती ठंड अफीम के छोटे पौधों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है. इसके अलावा इन दिनों नील गाय के आतंक से किसान परेशान हैं.

neelgay
नील गाय
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Published : Jan 1, 2021, 5:04 PM IST

नीमच। मनासा क्षेत्र अफीम की खेती के लिए काफी मशहूर है. लेकिन लगातार ठंड के बढ़ते प्रकोप के चलते किसानों को फसल खराब होने का डर सताने लगा है.कड़कड़ाती ठंड अफीम के छोटे पौधों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है. अफीम के पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं. इससे अफीम का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका किसानों को सता रही है. ठंड का मौसम जनजीवन को प्रभावित कर ही रहा है, फसलों पर भी इसका विपरीत असर हो रहा है. खासतौर से अफीम जैसी महंगी फसल पर ठंड के बादल कहर बरपा रहे हैं.

इन दिनों नील गाय के आतंक से किसान परेशान हैं. इससे निपटने के लिए किसानों ने हजारों रुपए खर्च की खेतों पर तार व जाली लगाकर फसल बचाने का प्रयास किया. लेकिन इसमें भी आंशिक सफलता ही मिली. नील गाय के झुंड जाली व तारों को तोड़कर भी खेतों में प्रवेश कर जाता हैं. अब मजबूरी में अन्नदाता को २४ घंटे खेतों पर मौजूद रहकर फसल बचाने के लिए चौकीदारी करना पड़ रही है.

नीमच। मनासा क्षेत्र अफीम की खेती के लिए काफी मशहूर है. लेकिन लगातार ठंड के बढ़ते प्रकोप के चलते किसानों को फसल खराब होने का डर सताने लगा है.कड़कड़ाती ठंड अफीम के छोटे पौधों के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है. अफीम के पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं. इससे अफीम का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका किसानों को सता रही है. ठंड का मौसम जनजीवन को प्रभावित कर ही रहा है, फसलों पर भी इसका विपरीत असर हो रहा है. खासतौर से अफीम जैसी महंगी फसल पर ठंड के बादल कहर बरपा रहे हैं.

इन दिनों नील गाय के आतंक से किसान परेशान हैं. इससे निपटने के लिए किसानों ने हजारों रुपए खर्च की खेतों पर तार व जाली लगाकर फसल बचाने का प्रयास किया. लेकिन इसमें भी आंशिक सफलता ही मिली. नील गाय के झुंड जाली व तारों को तोड़कर भी खेतों में प्रवेश कर जाता हैं. अब मजबूरी में अन्नदाता को २४ घंटे खेतों पर मौजूद रहकर फसल बचाने के लिए चौकीदारी करना पड़ रही है.

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