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सांसों के लिए मां को लेकर तीन घंटे भटकती रही बेटी, नहीं मिला बेड - नीमच में आक्सीजन

नीमच में एक बेटी इलाज के लिए अपनी मां को लेकर भटकती रही. जिसे न तो निजी चिकित्‍सालय में भर्ती किया न ही शासकीय अस्‍पताल में भर्ती किया. मरीज को घबराहट के साथ सांस लेने में परेशानी हो रही थी.

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Published : Apr 26, 2021, 6:43 PM IST

नीमच। जिले में कोरोना के कारण अन्य बीमारी के गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती ही नहीं किये जा रहे हैं. जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मरीजों को इधर-उधर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है.

जिला अस्पताल ने पहले लौटाया बाद में किया भर्ती.

तीन घंटे तक भटकती रही बेटी
एक बेटी अपनी मां को ऑटो में तीन घंटे तक शहर भर में घूमती रही. जिसे न तो निजी चिकित्‍सालय में भर्ती किया न ही शासकीय अस्‍पताल में भर्ती किया. मरीज को घबराहट के साथ सांस लेने में परेशानी हो रही थी. जानकारी के अनुसार बघाना निवासी टमाबाई को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. जिसे उसका पवन ऑटो रिक्‍शा में बैठाकर अस्‍पताल-अस्‍पताल भटकता रहा. पवन उज्जैनिया ने बताया कि उनकी मां को सांस लेने में परेशानी होने के बाद ऑटो रिक्शा से वह जिला अस्पताल पहुंचे.

कोरोना मृतकों की बदनसीबी! कचरा वाहन से पहुंचाया जा रहा मुक्ति धाम

डॉक्टरों ने उन्हें बेड उपलब्ध नहीं होने की बात कही. इसके बाद वे ऑटो से निजी चिकित्सालय चौरड़िया नर्सिंग होम पहुंचे. वहां भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया. इस प्रकार परिजन मरीज को तीन घण्टे तक ऑटो रिक्शा से अलग-अलग निजी चिकित्सालय पर लेकर घूमते रहे लेकिन कहीं भी भर्ती नहीं किया गया. वे पुनः ऑटो से जिला चिकित्सालय पहुंचे. आधे घण्टे तक इधर-उधर घूमते रहे. बड़ी मुश्किल से डॉक्टर मनीष यादव के कहने पर महिला को जनरल वार्ड में भर्ती करवाया गया. डॉक्टर मनीष यादव ने बताया कि मामला संज्ञान में आते ही तुरंत मरीज को भर्ती करवा दिया है.

नीमच। जिले में कोरोना के कारण अन्य बीमारी के गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती ही नहीं किये जा रहे हैं. जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मरीजों को इधर-उधर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है.

जिला अस्पताल ने पहले लौटाया बाद में किया भर्ती.

तीन घंटे तक भटकती रही बेटी
एक बेटी अपनी मां को ऑटो में तीन घंटे तक शहर भर में घूमती रही. जिसे न तो निजी चिकित्‍सालय में भर्ती किया न ही शासकीय अस्‍पताल में भर्ती किया. मरीज को घबराहट के साथ सांस लेने में परेशानी हो रही थी. जानकारी के अनुसार बघाना निवासी टमाबाई को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. जिसे उसका पवन ऑटो रिक्‍शा में बैठाकर अस्‍पताल-अस्‍पताल भटकता रहा. पवन उज्जैनिया ने बताया कि उनकी मां को सांस लेने में परेशानी होने के बाद ऑटो रिक्शा से वह जिला अस्पताल पहुंचे.

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डॉक्टरों ने उन्हें बेड उपलब्ध नहीं होने की बात कही. इसके बाद वे ऑटो से निजी चिकित्सालय चौरड़िया नर्सिंग होम पहुंचे. वहां भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया. इस प्रकार परिजन मरीज को तीन घण्टे तक ऑटो रिक्शा से अलग-अलग निजी चिकित्सालय पर लेकर घूमते रहे लेकिन कहीं भी भर्ती नहीं किया गया. वे पुनः ऑटो से जिला चिकित्सालय पहुंचे. आधे घण्टे तक इधर-उधर घूमते रहे. बड़ी मुश्किल से डॉक्टर मनीष यादव के कहने पर महिला को जनरल वार्ड में भर्ती करवाया गया. डॉक्टर मनीष यादव ने बताया कि मामला संज्ञान में आते ही तुरंत मरीज को भर्ती करवा दिया है.

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