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भ्रष्टाचार की अफीम! जितनी ज्यादा घूस, उतनी कड़क अफीम, साहब की गाड़ी से मिले 16 लाख 32 हजार रुपए

अफीम किसानों से पट्टे जारी करने और अफीम की क्वालिटी अच्छी बताने का मेहनताना अफीम महाप्रबंधक पूरी शिद्दत से लेते थे. इसमें उनका हाथ बटाने वाले लोग भी थे. एक तरह से ये गैंग की तरह काम करते थे. दलालों को पकड़ने से लेकर किसानों को साहब से मिलाने तक का प्लान तय था.

corrupt officer caught
भ्रष्ट अफसर ACB के कब्जे में
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Published : Jul 18, 2021, 12:03 PM IST

Updated : Jul 18, 2021, 12:09 PM IST

नीमच। नशा कोई भी हो सेहत और शख्सियत दोनों के लिए नुकसानदेह होता है. घूसखोरी भी एक नशा ही है. अफीम और घूसखोरी की जुगलबंदी को अंजाम दिया है अफीम महाप्रबंधक गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) के डॉक्टर शांक यादव ने. जिनका संबंध नीमच से भी है. उनके पास नीमच फैक्ट्री का अतिरिक्त प्रभार है.

साहब अफीम किसानों से पट्टे जारी करने और अफीम की क्वालिटी अच्छी बताने का मेहनताना लेते थे. उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कोटा (राजस्थान ) से पकड़ा. अफीम महाप्रबंधक शशांक यादव की गाड़ी से 16 लाख 32 हजार 410 रुपए की मोटी रकम बरामद की गई.

Fourth Grade कर्मचारी कैसे बना करोड़पति ? नगर निगम में बेलदार असलम खान की 5 करोड़ की संपत्ति अटैच

अफीम महाप्रबंधक के पास मिली वसूली की रकम
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कोटा की टीम ने अफीम महाप्रबंधक, यह कार्रवाई शनिवार को हैगिंग ब्रिज टोल नाके के पास चेकिंग के दौरान हुई. इतनी बड़ी राशि को लेकर संतोषजनक जवाब नहीं देने पर एसीबी ने शशांक यादव को पकड़ा है.

यह रकम अफीम किसानों से पट्टे जारी करने व अफीम की क्वालिटी अच्छी बताने के एवज में रिश्वत के रूप में वसूली गई थी. कोटा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसीबी) ठाकुर चन्द्रशील ने बताया कि शशांक यादव के खिलाफ शिकायत मिली थी. इसमें बताया गया था कि अफीम फैक्ट्री नीमच में लाइसेंसी काश्तकारों की अफीम भेजी जाती है. इससे पहले यहां अफीम सैम्पलों की जांच का काम चल रहा है.

दरअसल, अफीम की गाढ़ता और मॉर्फिन प्रतिशत के हिसाब से ही नारकोटिक्स विभाग काश्तकारों को पट्टे जारी करता है.

60 से 80 हजार रुपए प्रति किसान
एसीबी के एएसपी चंद्रशील के मुताबिक, शशांक यादव अफीम फैक्ट्री नीमच में राजस्थान के लाइसेंसी काश्तकारों की अफीम जमा कराते हैं. वर्तमान में फैक्ट्री को अफीम देने वाले मध्य प्रदेश व राजस्थान के काश्तकारों के सैंपल की जांच हो रही है. सेंटरों पर जांच के बाद प्रतिशत के हिसाब से काश्तकारों को भुगतान किया जाता है.

आरोप है कि शशांक और नीमच में कार्यरत अन्य कर्मचारी अजीत सिंह, दीपक यादव और दलालों के माध्यम से 60 से 80 हजार रुपए प्रति किसान वसूले जा रहे थे. ये रकम ही अफीम की क्वालिटी तय करती थी.

एसीबी को जानकारी मिली कि रिश्वत लेकर अफीम की मारफीन और गाढ़ता ज्यादा बताकर 10 और 12 आरी के पट्टे दिए जाते हैं. कोटा, प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़़ और झालावाड़ के किसानों से एक पट्टा जारी करने के लिए एवज में 60 से 80 हजार रुपए वसूलते रही ये घूसखोरों की टीम.


30 से 36 करोड़ एडवांस वसूले
एएसपी के मुताबिक अफीम लैब के अजीत सिंह व कोडिंग टीम के दीपक कुमार यादव ने दलालों के जरिए 6 हजार से ज्यादा किसानों से 10/12 आरी के पट्टे दिलवाने के नाम पर 30 से 36 करोड़ रुपए एडवांस वसूल कर लिए हैं.

अभी भी 40 हजार से अधिक किसानों की अफीम की जांच होनी बाकी है. एसीबी को सूचना मिली थी कि अवैध रूप से वसूल किए गए लगभग 15 लाख रुपए लेकर शशांक यादव नीमच आया है. इसके बाद एसीबी की टीम ने कोटा-उदयपुर हाइवे पर हैंगिंग ब्रिज टोल नाके पर आकस्मिक चेकिंग की और भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी को रकम सहित पकड़ लिया.

नीमच। नशा कोई भी हो सेहत और शख्सियत दोनों के लिए नुकसानदेह होता है. घूसखोरी भी एक नशा ही है. अफीम और घूसखोरी की जुगलबंदी को अंजाम दिया है अफीम महाप्रबंधक गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) के डॉक्टर शांक यादव ने. जिनका संबंध नीमच से भी है. उनके पास नीमच फैक्ट्री का अतिरिक्त प्रभार है.

साहब अफीम किसानों से पट्टे जारी करने और अफीम की क्वालिटी अच्छी बताने का मेहनताना लेते थे. उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कोटा (राजस्थान ) से पकड़ा. अफीम महाप्रबंधक शशांक यादव की गाड़ी से 16 लाख 32 हजार 410 रुपए की मोटी रकम बरामद की गई.

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अफीम महाप्रबंधक के पास मिली वसूली की रकम
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कोटा की टीम ने अफीम महाप्रबंधक, यह कार्रवाई शनिवार को हैगिंग ब्रिज टोल नाके के पास चेकिंग के दौरान हुई. इतनी बड़ी राशि को लेकर संतोषजनक जवाब नहीं देने पर एसीबी ने शशांक यादव को पकड़ा है.

यह रकम अफीम किसानों से पट्टे जारी करने व अफीम की क्वालिटी अच्छी बताने के एवज में रिश्वत के रूप में वसूली गई थी. कोटा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसीबी) ठाकुर चन्द्रशील ने बताया कि शशांक यादव के खिलाफ शिकायत मिली थी. इसमें बताया गया था कि अफीम फैक्ट्री नीमच में लाइसेंसी काश्तकारों की अफीम भेजी जाती है. इससे पहले यहां अफीम सैम्पलों की जांच का काम चल रहा है.

दरअसल, अफीम की गाढ़ता और मॉर्फिन प्रतिशत के हिसाब से ही नारकोटिक्स विभाग काश्तकारों को पट्टे जारी करता है.

60 से 80 हजार रुपए प्रति किसान
एसीबी के एएसपी चंद्रशील के मुताबिक, शशांक यादव अफीम फैक्ट्री नीमच में राजस्थान के लाइसेंसी काश्तकारों की अफीम जमा कराते हैं. वर्तमान में फैक्ट्री को अफीम देने वाले मध्य प्रदेश व राजस्थान के काश्तकारों के सैंपल की जांच हो रही है. सेंटरों पर जांच के बाद प्रतिशत के हिसाब से काश्तकारों को भुगतान किया जाता है.

आरोप है कि शशांक और नीमच में कार्यरत अन्य कर्मचारी अजीत सिंह, दीपक यादव और दलालों के माध्यम से 60 से 80 हजार रुपए प्रति किसान वसूले जा रहे थे. ये रकम ही अफीम की क्वालिटी तय करती थी.

एसीबी को जानकारी मिली कि रिश्वत लेकर अफीम की मारफीन और गाढ़ता ज्यादा बताकर 10 और 12 आरी के पट्टे दिए जाते हैं. कोटा, प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़़ और झालावाड़ के किसानों से एक पट्टा जारी करने के लिए एवज में 60 से 80 हजार रुपए वसूलते रही ये घूसखोरों की टीम.


30 से 36 करोड़ एडवांस वसूले
एएसपी के मुताबिक अफीम लैब के अजीत सिंह व कोडिंग टीम के दीपक कुमार यादव ने दलालों के जरिए 6 हजार से ज्यादा किसानों से 10/12 आरी के पट्टे दिलवाने के नाम पर 30 से 36 करोड़ रुपए एडवांस वसूल कर लिए हैं.

अभी भी 40 हजार से अधिक किसानों की अफीम की जांच होनी बाकी है. एसीबी को सूचना मिली थी कि अवैध रूप से वसूल किए गए लगभग 15 लाख रुपए लेकर शशांक यादव नीमच आया है. इसके बाद एसीबी की टीम ने कोटा-उदयपुर हाइवे पर हैंगिंग ब्रिज टोल नाके पर आकस्मिक चेकिंग की और भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी को रकम सहित पकड़ लिया.

Last Updated : Jul 18, 2021, 12:09 PM IST
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