नीमच। चौकड़ी ग्राम पंचायत अंतर्गत आने वाले बरला का खेड़ा गांव में भील जाति के 18 परिवार भूमिहीन हैं. कई सालों से वे गांव में जमीन को समतल कर उसे कृषि योग्य बना रहे हैं और उस पर किसानी कर अपना पेट पाल रहे हैं. इन मजदूरों के पास आय का भी कोई साधन नहीं है. हाल ही में वे खेतों में सोयाबीन, मक्का, उड़द, चावल, तुअर जैसी फसल बोए हुए हैं और यह भूमि ही इनके जीवनयापन का एकमात्र साधन है लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के कर्मचारी हमारे पास भूमि का पट्टा नहीं होने के कारण आए दिन परेशान कर प्रताड़ित कर रहे हैं और हमारी फसलों को कई बार नष्ट कर चुके हैं.
ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के कर्मचारी उनके पास भूमि का पट्टा नहीं होने के कारण आए दिन परेशान कर प्रताड़ित करते हैं. साथ ही कभी केरोसीन डालकर फसल जला देते हैं तो कभी आकर फसल नष्ट कर देते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि हमारे पास मजदूरी करने के लिए कोई उपाय नहीं हैं. बस रोजी-रोटी का यही एकमात्र उपाय है. वहीं कई बार इन मजदूर परिवारों ने लिखित में आवेदन देकर जमीनों के पट्टे और सीमा निर्धारित करने की मांग की, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.
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बता दें, सरकार ने योजना के तहत वन भूमि में काबिज किसानों को वन अधिकार के तहत खेती करने के लिए जगह तो दे दी लेकिन पट्टा अब तक नहीं दिया गया है, जिसके चलते आदिवासी किसान परेशान हैं.