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डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल, वेंटिलेटर पर चल रही स्वास्थ्य सुविधाएं - Shortage of doctors in District Hospital

नरसिंहपुर जिला अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. हालात ये है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज नर्स और वार्ड बॉय कर रहे हैं. जबकि अस्पताल को ट्रामा सेंटर की सौगात मिली हुई है लेकिन डॉक्टरों की कमी के चलते लाखों की मशीन भी कबाड़ में तब्दील हो रही है.

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल
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Published : Sep 1, 2019, 10:58 AM IST

नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बड़े-बड़े दावे करती हो लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है. मध्यप्रदेश आज भी डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. प्रदेश में चिकित्‍सा विशेषज्ञ के 3195 पद स्‍वीकृत हैं. पर महज 1210 पद ही भरे है. इनमें से भी केवल 1063 विशेषज्ञ है. बाकि विशेषज्ञ ही नहीं है. जिसके चलते प्रदेश की स्वास्थ सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर है.

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल

सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भरभार है लेकिन डॉक्टर नहीं है. इसका खमियाजा बेबस मरीजों को उठाना पड़ रहा है. सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों के उपलब्ध रहने का समय सुबह 9 से शाम 4 बजे तक निर्धारित किया गया है. लेकिन यहां डॉक्टर नदारद रहते है.

अस्पताल में पहले से भर्ती मरीजों का हाल भी बेहाल है. यहां जो पिछले 1 हफ्ते से अस्पतालों में नर्स और वार्ड बॉय के भरोसे ही इलाज कराने को मजबूर है. मरीज बताते हैं कि भर्ती होने के बावजूद भी कई दिन हो गए डॉक्टर देखने नहीं आए है सिर्फ नर्स आती हैं और दवा देकर चली जाती हैं. उनसे पूछो तो वह कहती हैं कि डॉक्टर साहब अस्पताल में ही नहीं है तो आएंगे कहां से.

कुछ मरीज तो ऐसे हैं जो एचआईवी से पीड़ित हैं जिन्हें सघन जांच की जरूरत है लेकिन उन्हें भी डॉक्टर नसीब नहीं है. इतना ही नहीं अस्पताल की हालत तो नर्क से भी बदतर है. फटे बदबूदार बिस्तर और संक्रमण के बीच मरीज अपना इलाज कराने को मजबूर है और तो और अस्पताल के कई एक्यूमेंट निर्जीव पड़े हुए हैं. ब्लड बैंक में रखी कई महीनों से लाखों की सीबीसी मशीन खराब पड़ी हुई है और मजबूरन लैब टेक्नीशियन मरीजों को बाहर से टेस्ट कराने की सलाह दे रहे है. ऐसा नहीं है कि उन्होंने शिकायत नहीं की लगातार शिकायतों के बाद भी सुनने वाला कोई नहीं है.

अस्पताल कबाड़ में तब्दील
हैरानी की बात ये है कि दो साल जिला अस्पताल को दो साल पहले ट्रामा सेंटर की सौगात मिली हुई है और जिले में एक करोड़ सत्तर लाख कि चलित एंबुलेंस सुविधा मिली हुई है. जिसमें ऑपरेशन से लेकर वेंटिलेटर सहित तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है लेकिन डॉक्टर की कमी के चलते वह भी कबाड़ में बदलने लगी है.

सीएमएचओ डॉक्टर अनीता अग्रवाल बताती है कि जिला अस्पताल में 31मेडिकल ऑफिसर के पद है. जिसमें से केवल जिला अस्पताल में चार डाक्टर ही वर्तमान में पदस्थ है. जिला अस्पताल में एक भी फिजिशियन ड्रमोटोलाजिस्ट, कड़ियोलाजिस्ट और लगभग 500 डिलेवरी होने के बाद भी गायनोकोलॉजिस्ट नहीं है और मजबूरन फिजिएमो द्वारा डिलेवरी कराई जाती है. यहां तक की इतने बड़े हॉस्पिटल में केवल एक ही सर्जन मौजूद है.

जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का यह हाल है तो प्रदेश में क्या स्थिति होगी बावजूद इसके सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे करती नजर तो आती है लेकिन डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा अस्पताल और अस्पताल की ये बयां करती हालात इस बात की तस्दीक कर रही है कि सरकार को दावे नहीं बल्कि अमल करने की जरूरत है.

नरसिंहपुर। मध्यप्रदेश सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के बड़े-बड़े दावे करती हो लेकिन जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है. मध्यप्रदेश आज भी डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. प्रदेश में चिकित्‍सा विशेषज्ञ के 3195 पद स्‍वीकृत हैं. पर महज 1210 पद ही भरे है. इनमें से भी केवल 1063 विशेषज्ञ है. बाकि विशेषज्ञ ही नहीं है. जिसके चलते प्रदेश की स्वास्थ सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर है.

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल

सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भरभार है लेकिन डॉक्टर नहीं है. इसका खमियाजा बेबस मरीजों को उठाना पड़ रहा है. सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों के उपलब्ध रहने का समय सुबह 9 से शाम 4 बजे तक निर्धारित किया गया है. लेकिन यहां डॉक्टर नदारद रहते है.

अस्पताल में पहले से भर्ती मरीजों का हाल भी बेहाल है. यहां जो पिछले 1 हफ्ते से अस्पतालों में नर्स और वार्ड बॉय के भरोसे ही इलाज कराने को मजबूर है. मरीज बताते हैं कि भर्ती होने के बावजूद भी कई दिन हो गए डॉक्टर देखने नहीं आए है सिर्फ नर्स आती हैं और दवा देकर चली जाती हैं. उनसे पूछो तो वह कहती हैं कि डॉक्टर साहब अस्पताल में ही नहीं है तो आएंगे कहां से.

कुछ मरीज तो ऐसे हैं जो एचआईवी से पीड़ित हैं जिन्हें सघन जांच की जरूरत है लेकिन उन्हें भी डॉक्टर नसीब नहीं है. इतना ही नहीं अस्पताल की हालत तो नर्क से भी बदतर है. फटे बदबूदार बिस्तर और संक्रमण के बीच मरीज अपना इलाज कराने को मजबूर है और तो और अस्पताल के कई एक्यूमेंट निर्जीव पड़े हुए हैं. ब्लड बैंक में रखी कई महीनों से लाखों की सीबीसी मशीन खराब पड़ी हुई है और मजबूरन लैब टेक्नीशियन मरीजों को बाहर से टेस्ट कराने की सलाह दे रहे है. ऐसा नहीं है कि उन्होंने शिकायत नहीं की लगातार शिकायतों के बाद भी सुनने वाला कोई नहीं है.

अस्पताल कबाड़ में तब्दील
हैरानी की बात ये है कि दो साल जिला अस्पताल को दो साल पहले ट्रामा सेंटर की सौगात मिली हुई है और जिले में एक करोड़ सत्तर लाख कि चलित एंबुलेंस सुविधा मिली हुई है. जिसमें ऑपरेशन से लेकर वेंटिलेटर सहित तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है लेकिन डॉक्टर की कमी के चलते वह भी कबाड़ में बदलने लगी है.

सीएमएचओ डॉक्टर अनीता अग्रवाल बताती है कि जिला अस्पताल में 31मेडिकल ऑफिसर के पद है. जिसमें से केवल जिला अस्पताल में चार डाक्टर ही वर्तमान में पदस्थ है. जिला अस्पताल में एक भी फिजिशियन ड्रमोटोलाजिस्ट, कड़ियोलाजिस्ट और लगभग 500 डिलेवरी होने के बाद भी गायनोकोलॉजिस्ट नहीं है और मजबूरन फिजिएमो द्वारा डिलेवरी कराई जाती है. यहां तक की इतने बड़े हॉस्पिटल में केवल एक ही सर्जन मौजूद है.

जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का यह हाल है तो प्रदेश में क्या स्थिति होगी बावजूद इसके सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे करती नजर तो आती है लेकिन डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा अस्पताल और अस्पताल की ये बयां करती हालात इस बात की तस्दीक कर रही है कि सरकार को दावे नहीं बल्कि अमल करने की जरूरत है.

Intro: - मध्य प्रदेश डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है प्रदेश में चिकित्‍सा विशेषज्ञ के 3195 पद स्‍वीकृत हैं मगर महज 1210 पद ही भरे है इनमें से भी केवल 1063 विशेषज्ञ है शेष विशेषज्ञ ही नहीं प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर की कमी और प्रदेश की स्वास्थ सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर चल रही है आखिर किन हालातों से मरीजों को दो चार होना पड़ रहा है इसको लेकर हमने नरसिंहपुर के शासकीय जिला चिकित्सालय मैं जा कर तफ्तीश की देखिए या ग्राउंड रिपोर्ट Body: - मध्य प्रदेश डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है प्रदेश में चिकित्‍सा विशेषज्ञ के 3195 पद स्‍वीकृत हैं मगर महज 1210 पद ही भरे है इनमें से भी केवल 1063 विशेषज्ञ है शेष विशेषज्ञ ही नहीं प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर की कमी और प्रदेश की स्वास्थ सेवाएं खुद वेंटिलेटर पर चल रही है आखिर किन हालातों से मरीजों को दो चार होना पड़ रहा है इसको लेकर हमने नरसिंहपुर के शासकीय जिला चिकित्सालय मैं जा कर तफ्तीश की देखिए या ग्राउंड रिपोर्ट

मध्य प्रदेश मैं मरीजों की भरमार है लेकिन डॉक्टर कहीं नजर नहीं आते और हालात सुधरने के बजाय दिन-ब-दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं जिसका खामियाजा बेबस मरीजों को उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी को देखते हुए डॉक्टरों के उपलब्ध रहने का समय सुबह 9 से शाम 4 बजे तक निर्धारित किया गया है मगर जब शासन या यूं कहें स्वास्थ्य अमला डॉक्टरी उपलब्ध नहीं करा पा रहा है तो फिर इन निश्चित समय में भी डॉक्टर कैसे मिलेंगे यह बड़ा सवाल है नरसिंहपुर की जिला अस्पताल में भी जब हमने डॉक्टरों को खोजना चाहा तो ड्यूटी टाइम में भी डॉक्टर नदारद ही मिले हमें ऐसे कई मरीज मिल गए जो सुबह से दोपहर तक मरीज और उनके परिजन डॉक्टरों को ही खोजते देखें मगर डॉक्टर हो तब तो उन्हें मिले और थक हार कर ऐसे हालों में मरीज प्राइवेट अस्पतालों में महंगे खर्च पर इलाज कराने को मजबूर है आप खुद ही सुनिए मरीज और उनके परिजनों की मुंह जुबानी


- अब जरा पहले से अस्पताल में भर्ती इन मरीजों की हाल भी देख लीजिए जो पिछले 1 सप्ताह से अस्पतालों में नर्स और वार्ड बॉय के भरोसे ही इलाज कराने को मजबूर है मरीज बताते हैं कि भर्ती होने के बावजूद भी कई दिन हो गए डॉक्टर देखने नहीं आए सिर्फ नर्स आती हैं और दवा देकर चली जाती हैं उनसे पूछो तो वह कहती हैं कि डॉक्टर साहब अस्पताल में ही नहीं है तो आएंगे कहां से कुछ मरीज तो ऐसे हैं जो एचआईवी से पीड़ित हैं जिन्हें सघन जांच की जरूरत है लेकिन उन्हें भी डॉक्टर नसीब नहीं है


बाइट - अन्निलाल ,मरीज

बाइट - बिमलेश ,मरीज

वी ओ 03 - अस्पताल के कई वादों की हालत तो नर्क से भी बदतर है फटे बदबूदार बिस्तर और संक्रमण के बीच मरीज अपना इलाज कराने को मजबूर है और तो और अस्पताल के कई एक्यूमेंट निर्जीव पड़े हुए हैं जिन्हें लाखों खर्च करके अस्पताल में लाया गया जैसे ब्लड बैंक में कई महीनों से सीबीसी मशीन खराब पड़ी हुई है और मजबूरन लैब टेक्नीशियन मरीजों को बाहर से टेस्ट कराने की सलाह देते नजर आते हैं ऐसा नहीं है कि उन्होंने शिकायत नहीं की लगातार शिकायतों के बाद भी सुनने वाला कोई नहीं

- जिला अस्पताल को 2 वर्ष पहले ट्रामा सेंटर की सौगात मिली और जिले में एक करोड़ सत्तर लाख कि चलित एंबुलेंस सुविधा मिली जिसमें आपरेशन से लेकर वेंटिलेटर सहित तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है लेकिन डॉक्टर की कमी के चलते वह भी कबाड़ में बदलने लगी है खुद जिला के मुख्य चिकत्साधिकारी बताती है कि जिला अस्पताल में 31मेडिकल ऑफिसर के पद है जिसमें से केवल जिला अस्पताल में चार डाक्टर ही वर्तमान में पदस्थ है जिला अस्पताल में एक भी फिजिशियन ड्रमोटोलाजिस्ट, कड़ियोलाजिस्ट और लगभग 500 डिलेवरी होने के बाद भी गायनिक डाक्टर नहीं है और मजबूरन फिजिएमो द्वारा डिलेवरी कराई जाती है यहां तक की इतने बड़े हॉस्पिटल में केवल एक ही सर्जन मौजूद है और उन्ही में से डे और नाईट सिफ्ट में ड्यूटी रहती है तो इसे में तय समय पर डाक्टर अस्पताल को नहीं मिल पाते है और इसी वजह से चलित एंबुलेंस भी कबाड़ बनती जा रही है वहीं ट्रामा सेन्टर सहित कमी स्वास्थ रक्षक उपकरण उपयोगी भी साबित नहीं हो रहे है


बाइट - डॉ अनीता अग्रवाल , सीएमएचओ नरसिंहपुर

- नरसिंहपुर में ईटीवी भारत की एक ग्राउंड रिपोर्ट से साफ समझा जा सकता है कि जब नरसिंहपुर जैसे एकमात्र जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का यह हाल है तो प्रदेश में क्या स्थिति होगी बावजूद इसके सरकार हैं बेहतर स्वास्थ्य के दावे करती नजर आती है लेकिन यह दावे जमीनी हकीकत में खोखले ही नजर आते हैंConclusion:नरसिंहपुर में ईटीवी भारत की एक ग्राउंड रिपोर्ट से साफ समझा जा सकता है कि जब नरसिंहपुर जैसे एकमात्र जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का यह हाल है तो प्रदेश में क्या स्थिति होगी बावजूद इसके सरकार हैं बेहतर स्वास्थ्य के दावे करती नजर आती है लेकिन यह दावे जमीनी हकीकत में खोखले ही नजर आते हैं
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