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कैदी बना रहे हैं इको फ्रेंडली दीए, घरों के साथ- साथ नर्मदा तट भी होगा रोशन

नरसिंहपुर केंद्रीय जेल में कैदियों के द्वारा इको फ्रेंडली दीए बनाए जा रहे हैं. इन दीयों को लोग खूब पसंद भी कर रहे हैं. ये दीए गोबर के मिश्रण से बनाए जाते हैं.

कैदियों ने बनाए इको फ्रेंडली दीए
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Published : Oct 22, 2019, 1:23 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 3:17 PM IST

नरसिंहपुर। नरसिंहपुर केंद्रीय जेल इन दिनों अपनी अभिनव पहल के लिए चर्चा में है. इस जेल में कैदियों द्वारा गोबर के मिश्रण से बने इको फ्रेंडली दीपकों और गमलों का निमार्ण कराया जा है. जिसे बाजारों में बेचा जाएगा. इन दीपकों की खासियत ये है कि इनसे पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा. साथ ही ये दीपक पानी में घुलनशील भी होते हैं.

कैदियों ने बनाए इको फ्रेंडली दीए


नर्मदा नदी के तट पर जिला होने के कारण इन दीपों का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. एक ओर ये दीयें दीपावली में लोगों के घरों को रोशन करेंगे, तो वहीं दूसरी ओर नर्मदा नदी में होने वाले लाखों दीपदान से मछलियों को आहार भी मिलेगा. जिससे इस पुण्य का कुछ हिस्सा कैदियों को भी मिलेगा.

इको फ्रेंडली दीए से रोशन होंगे घर

प्रशिक्षण लेकर कैदी गोबर और अनाज की दीए और गमले बना रहे हैं. जिसमें दलिया के बारीक दाने, चावल के बारिक दाने और उड़द की दाल मिलाया गया है. जिससे पर्यपरण प्रदूषित नहीं होगा. साथ ही इन दीयों से लोगों के घरों में उजाला होगा और मछलियों को भोजन मिलेगा.


कैदियों के परिवारों को मिलेगा हिस्सा

कैदियों द्वारा बनाए गए इन दीपों से होने वाली आय का एक हिस्सा उनके परिवार को मिलेगा. साथ ही 50 प्रतिशत हिस्सा पीड़ित परिवारों को दिया जाएगा. जिससे कैदियों द्वारा किए गए अपराध से टूटे पीड़ितों के परिवार और कैदियों के परिवारों को भी सहारा मिलेगा.


जेल अधिक्षक का मानना

इस पहल को अंजाम तक पहुंचाने वाली सेंट्रल जेल की महिला अधीक्षक सेफाली तिवारी का मानना है कि गलतियां इंसानों से ही होती है. लेकिन उसका अपराधबोध होना और उसका प्रश्चित करना सबसे बड़ी बात है. यहां के कैदियों द्वारा उसका अनुसरण करना अपने आप में सबसे अहम है.

जेल अधीक्षक की इस अभिनव सृजनात्मक पहल से कैदी भी उत्साहित हैं. उनका मानना है कि हमें अपने किए पर पश्चाताप करने का भी मौका मिल रहा है. और हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सहभागिता दे रहे हैं.

नरसिंहपुर। नरसिंहपुर केंद्रीय जेल इन दिनों अपनी अभिनव पहल के लिए चर्चा में है. इस जेल में कैदियों द्वारा गोबर के मिश्रण से बने इको फ्रेंडली दीपकों और गमलों का निमार्ण कराया जा है. जिसे बाजारों में बेचा जाएगा. इन दीपकों की खासियत ये है कि इनसे पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा. साथ ही ये दीपक पानी में घुलनशील भी होते हैं.

कैदियों ने बनाए इको फ्रेंडली दीए


नर्मदा नदी के तट पर जिला होने के कारण इन दीपों का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. एक ओर ये दीयें दीपावली में लोगों के घरों को रोशन करेंगे, तो वहीं दूसरी ओर नर्मदा नदी में होने वाले लाखों दीपदान से मछलियों को आहार भी मिलेगा. जिससे इस पुण्य का कुछ हिस्सा कैदियों को भी मिलेगा.

इको फ्रेंडली दीए से रोशन होंगे घर

प्रशिक्षण लेकर कैदी गोबर और अनाज की दीए और गमले बना रहे हैं. जिसमें दलिया के बारीक दाने, चावल के बारिक दाने और उड़द की दाल मिलाया गया है. जिससे पर्यपरण प्रदूषित नहीं होगा. साथ ही इन दीयों से लोगों के घरों में उजाला होगा और मछलियों को भोजन मिलेगा.


कैदियों के परिवारों को मिलेगा हिस्सा

कैदियों द्वारा बनाए गए इन दीपों से होने वाली आय का एक हिस्सा उनके परिवार को मिलेगा. साथ ही 50 प्रतिशत हिस्सा पीड़ित परिवारों को दिया जाएगा. जिससे कैदियों द्वारा किए गए अपराध से टूटे पीड़ितों के परिवार और कैदियों के परिवारों को भी सहारा मिलेगा.


जेल अधिक्षक का मानना

इस पहल को अंजाम तक पहुंचाने वाली सेंट्रल जेल की महिला अधीक्षक सेफाली तिवारी का मानना है कि गलतियां इंसानों से ही होती है. लेकिन उसका अपराधबोध होना और उसका प्रश्चित करना सबसे बड़ी बात है. यहां के कैदियों द्वारा उसका अनुसरण करना अपने आप में सबसे अहम है.

जेल अधीक्षक की इस अभिनव सृजनात्मक पहल से कैदी भी उत्साहित हैं. उनका मानना है कि हमें अपने किए पर पश्चाताप करने का भी मौका मिल रहा है. और हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सहभागिता दे रहे हैं.

Intro:कैदियों की अपनी जिंदगी भले ही अंधेरी हो पर वह अपराधबोध से दूसरों के जीवन में उजाला बांटने की कोशिश में जुटे है ताकि उन्हें मन से पाप का बोझ कम हो साथ ही पर्यावरण को बचाने के लिए एक अनोखी और सुंदर पहल की शुरुआत भी कर रहे है और गोबर एंव अन्न से बने इको फ्रेंडली दीपक और गमले बना रहे है Body: कैदियों की अपनी जिंदगी भले ही अंधेरी हो पर वह अपराधबोध से दूसरों के जीवन में उजाला बांटने की कोशिश में जुटे है ताकि उन्हें मन से पाप का बोझ कम हो साथ ही पर्यावरण को बचाने के लिए एक अनोखी और सुंदर पहल की शुरुआत भी कर रहे है और गोबर एंव अन्न से बने इको फ्रेंडली दीपक और गमले बना रहे है देखिए यह खास रिपोर्ट .....

- जाने अंजाने में किया अपराध की सजा भले ही कानून मुलजिम को दे दे मगर उसका अपराधबोध हर पल गुनहगार को कचोटता है और इस अपराधबोध के मुक्ति दिलाने नरसिंहपुर के केंद्रीय कारागार के अधीक्षक द्वारा एक अभिनव पहल की गई है जो चर्चा का विषय बनी हुई है नरसिंहपुर की इस जेल में कैदियों द्वारा गोबर और अनाज के मिश्रण से बने दीपक इको फ्रेंडली दीपकों और गमलों का निमार्ण कराया जा है जिसे बाजारों में विक्रय किया जाएगा इन दीपकों की खासियत यह है कि पर्यावरण को प्रदूषित नहीं होंगे और पानी में घुलनशील होंगे नरसिंहपुर नर्मदा नदी के तट पर बसा होने से इन दीपक का महत्व और अधिक बढ़ जाता है यह दीवाली में लोगों को घरों को तो रोशन करेंगे ही साथ ही नर्मदा में होने वाले लाखों दीपदान से मछलियों को अनाज का आहार भी मिलेगा जिसके पुण्य का कुछ हिस्से का लाभ कैदियों को भी मिल सकेगा

बाइट 01 - वीरू ,बंदी (सेंट्रल जेल नरसिंहपुर )


- बंदियों के द्वारा इन दीपो से होने वाली आय का एक हिस्सा बंदियों के परिवार और 50% हिस्सा पीड़ित परिवारों को दिया जाएगा जिससे कैदियों द्वारा किए गए अपराध से टूटे पीड़ितो के परिवार और कैदियों के परिवारों को भी सहारा मिल सकें और उनके जीवन में भी खुशियां लौटेंगी जिससे बंदियों के मन से भी पाप का बोझ कम हो सकेगा , जेल अधीक्षक की इस अभिनव सृजनात्मक पहल से कैदी भी खासे उत्साहित है उनका मानना है कि हमें अपने किए का प्रश्चताप करने का भी मौका मिल रहा है और हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी खुद को सहभागी बनाते नजर आ रहे है

बाइट 02 - संतोष मालवीय , बंदी



- इस अनुकरणीय पहल को अंजाम तक पहुंचाने वाली सेंट्रल जेल की महिला अधीक्षक का मानना है कि गलतियां इंसानों से ही होती है लेकिन उसका अपराधबोध होना और उसका प्रश्चित करना सबसे बड़ी बात होती है और यहां के बंदियों द्वारा उसका अनुसरण करना अपने आप में सबसे अहम है जिसके लिए कैदी प्रशिक्षण लेकर इको फ्रेंडली गोबर और अनाज की दीएं और गमले बना रहे है जिससे पर्यपरण प्रदूषित भी नहीं होगा ,लोगो के घरों में उजाला भी होगा साथ ही दीपदान से मछलियों को भोजन भी मिलेगा जिसका पुण्य लाभ कैदियों के हिस्से में आएगा और सबसे खास बात इनके विक्रय से होने वाली आय इनके परिवारों के साथ साथ कैदियों के द्वारा किए गए अपराध के पीड़ित परिवारों को भी जाएगा जिससे उन्हें परिवारों और बदियों के परिवारों में भी खुशियां लौटेंगी

बाइट 03- सैफाली तिवारी ,जेल अधीक्षक


बंदियों का यह आत्मबोध उन्हें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित तो करेगा ही बल्कि आने वाले कल में उनके लिए स्वरोजगार के नए नए रास्ते द्वार भी खोलेगा जेल प्रशासन के इस अनूठी पहल ने बकाई कारागार को सुधारगृह में बदलकर रख दिया है जिसकी जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है ......Conclusion:बंदियों का यह आत्मबोध उन्हें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित तो करेगा ही बल्कि आने वाले कल में उनके लिए स्वरोजगार के नए नए रास्ते द्वार भी खोलेगा जेल प्रशासन के इस अनूठी पहल ने बकाई कारागार को सुधारगृह में बदलकर रख दिया है जिसकी जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है ......
Last Updated : Oct 22, 2019, 3:17 PM IST
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