नरसिंहपुर। नरसिंहपुर केंद्रीय जेल इन दिनों अपनी अभिनव पहल के लिए चर्चा में है. इस जेल में कैदियों द्वारा गोबर के मिश्रण से बने इको फ्रेंडली दीपकों और गमलों का निमार्ण कराया जा है. जिसे बाजारों में बेचा जाएगा. इन दीपकों की खासियत ये है कि इनसे पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा. साथ ही ये दीपक पानी में घुलनशील भी होते हैं.
नर्मदा नदी के तट पर जिला होने के कारण इन दीपों का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. एक ओर ये दीयें दीपावली में लोगों के घरों को रोशन करेंगे, तो वहीं दूसरी ओर नर्मदा नदी में होने वाले लाखों दीपदान से मछलियों को आहार भी मिलेगा. जिससे इस पुण्य का कुछ हिस्सा कैदियों को भी मिलेगा.
इको फ्रेंडली दीए से रोशन होंगे घर
प्रशिक्षण लेकर कैदी गोबर और अनाज की दीए और गमले बना रहे हैं. जिसमें दलिया के बारीक दाने, चावल के बारिक दाने और उड़द की दाल मिलाया गया है. जिससे पर्यपरण प्रदूषित नहीं होगा. साथ ही इन दीयों से लोगों के घरों में उजाला होगा और मछलियों को भोजन मिलेगा.
कैदियों के परिवारों को मिलेगा हिस्सा
कैदियों द्वारा बनाए गए इन दीपों से होने वाली आय का एक हिस्सा उनके परिवार को मिलेगा. साथ ही 50 प्रतिशत हिस्सा पीड़ित परिवारों को दिया जाएगा. जिससे कैदियों द्वारा किए गए अपराध से टूटे पीड़ितों के परिवार और कैदियों के परिवारों को भी सहारा मिलेगा.
जेल अधिक्षक का मानना
इस पहल को अंजाम तक पहुंचाने वाली सेंट्रल जेल की महिला अधीक्षक सेफाली तिवारी का मानना है कि गलतियां इंसानों से ही होती है. लेकिन उसका अपराधबोध होना और उसका प्रश्चित करना सबसे बड़ी बात है. यहां के कैदियों द्वारा उसका अनुसरण करना अपने आप में सबसे अहम है.
जेल अधीक्षक की इस अभिनव सृजनात्मक पहल से कैदी भी उत्साहित हैं. उनका मानना है कि हमें अपने किए पर पश्चाताप करने का भी मौका मिल रहा है. और हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सहभागिता दे रहे हैं.