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दिव्यांगों और महिलाओं के लिए मिसाल हैं निधि गुप्ता - Women's Day

हम आपको एक ऐसी खास शख्सियत से आपको मिलवाते हैं जिसने विकलांगता की परिभाषा बदल कर रख दी. गांव में रहने वाली जन्म से ही दिव्यांग निधि गुप्ता ने विकलांगता को अपने हौसलों के आगे दीवार नहीं बनने दिया. महिला सशक्तिकरण और बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारे को जीवंत करके रख दिया. कैसे पढ़िए ये रिपोर्ट...

Nidhi Gupta is an example for women
महिलाओं के लिए मिसाल हैं निधि गुप्ता
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Published : Mar 9, 2021, 5:23 PM IST

नरसिंहपुर। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, लहरों से डरकर कभी नौका पार नहीं होती. लिखने वाले ने शायद निधि जैसी युवतियों को ध्यान में रखकर ही इसे लिखा होगा. आज निधि उन दिव्यांगों को हौसला देती नजर आ रही हैं, जो अपने आप को असहाय और कमजोर समझ कर समाज से खुद को अलग-थलग कर लेती हैं. किसी ने सच ही कहा है कि जीत उन्हीं की होती है, जिनके सपनों में जान होती है.

महिलाओं के लिए मिसाल हैं निधि गुप्ता

दोनों हाथ नहीं पर हौसले आसमां को बांहों में समेटने का

हर काम को अपने दम पर करने का जज्बा रखती है निधि गुप्ता. निधि के साथ जन्म से ही कुदरत ने अजीब खेल खेला. ईश्वर ने एक ओर उसे दिव्यांग का जीवन दिया पर. लेकिन साथ ही दिल में जीवन जीने का हौसला भी. वो अपने आप में खुद मिसाल बन गई. निधि के जन्म से हाथ नहीं हैं, लेकिन उसे कभी अपने हाथों की कमी महसूस नहीं हुई. वह कभी किसी के लिए बोझ नहीं बनी, बल्कि आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई जो दूसरों के लिए भी प्रेरणादायक है.

निधि नरसिंहपुर जिले के आमगांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करती हैं. बचपन से ही निधि ने कभी हाथ ना होने का गम महसूस नहीं किया और पैरों को उसने अपनी ढाल बना लिया. पैरों से लिखकर ही उसने पहले बीए, आईटीआई पैरामेडिकल, बीसीए और पीएचडब्ल्यू कर लिया. जिसके दम पर आज वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संविदा पर कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब को बखूबी कर रही हैं. डाटा एंट्री ऑपरेटर का काम पैरों के दम पर करती हैं.

निधि गुप्ता बताती हैं कि यह जरूरी नहीं है कि हर कोई शारीरिक रूप से परिपक्व हो. यदि हौसला और जीवन में कुछ करने की चाह है, तो मुश्किलें खुद पीछे हट जाती हैं.

एक छोटे से गांव के साधारण परिवार में रहने वाली निधि बचपन से ही अपना सारा काम खुद करती हैं. चाहे पढ़ाई लिखाई करना हो या फिर अपनी सहेलियों से मोबाइल पर गपशप. निधि ने कभी किसी का सहारा नहीं लिया. यही उसके हौसले की असल उड़ान बन गई. ग्रामीण बताते हैं कि निधि बहुत साधारण परिवार से है. प्रशासन ने कई बार मदद की बात तो कहीं है, लेकिन आज तक किसी ने मदद नहीं दी.

नरसिंहपुर। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, लहरों से डरकर कभी नौका पार नहीं होती. लिखने वाले ने शायद निधि जैसी युवतियों को ध्यान में रखकर ही इसे लिखा होगा. आज निधि उन दिव्यांगों को हौसला देती नजर आ रही हैं, जो अपने आप को असहाय और कमजोर समझ कर समाज से खुद को अलग-थलग कर लेती हैं. किसी ने सच ही कहा है कि जीत उन्हीं की होती है, जिनके सपनों में जान होती है.

महिलाओं के लिए मिसाल हैं निधि गुप्ता

दोनों हाथ नहीं पर हौसले आसमां को बांहों में समेटने का

हर काम को अपने दम पर करने का जज्बा रखती है निधि गुप्ता. निधि के साथ जन्म से ही कुदरत ने अजीब खेल खेला. ईश्वर ने एक ओर उसे दिव्यांग का जीवन दिया पर. लेकिन साथ ही दिल में जीवन जीने का हौसला भी. वो अपने आप में खुद मिसाल बन गई. निधि के जन्म से हाथ नहीं हैं, लेकिन उसे कभी अपने हाथों की कमी महसूस नहीं हुई. वह कभी किसी के लिए बोझ नहीं बनी, बल्कि आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई जो दूसरों के लिए भी प्रेरणादायक है.

निधि नरसिंहपुर जिले के आमगांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करती हैं. बचपन से ही निधि ने कभी हाथ ना होने का गम महसूस नहीं किया और पैरों को उसने अपनी ढाल बना लिया. पैरों से लिखकर ही उसने पहले बीए, आईटीआई पैरामेडिकल, बीसीए और पीएचडब्ल्यू कर लिया. जिसके दम पर आज वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संविदा पर कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब को बखूबी कर रही हैं. डाटा एंट्री ऑपरेटर का काम पैरों के दम पर करती हैं.

निधि गुप्ता बताती हैं कि यह जरूरी नहीं है कि हर कोई शारीरिक रूप से परिपक्व हो. यदि हौसला और जीवन में कुछ करने की चाह है, तो मुश्किलें खुद पीछे हट जाती हैं.

एक छोटे से गांव के साधारण परिवार में रहने वाली निधि बचपन से ही अपना सारा काम खुद करती हैं. चाहे पढ़ाई लिखाई करना हो या फिर अपनी सहेलियों से मोबाइल पर गपशप. निधि ने कभी किसी का सहारा नहीं लिया. यही उसके हौसले की असल उड़ान बन गई. ग्रामीण बताते हैं कि निधि बहुत साधारण परिवार से है. प्रशासन ने कई बार मदद की बात तो कहीं है, लेकिन आज तक किसी ने मदद नहीं दी.

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