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अपना ही वजूद तलाश रहा लाल महल, कहीं इतिहास के पन्नों में न हो जाए दफन

प्रशासनिक अनदेखी के चलते नरसिंहपुर की गौरव गाथा का चित्रण करता ये लाल महल अपनी पहचान खोता जा रहा है. 1817 में नरसिंहपुर के राजा रायबहादुर ने लाल महल का निर्माण कराया था.

खंडर में तब्दील होता जा रही ऐतिहासिक धरोहर
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Published : Nov 23, 2019, 2:17 PM IST

नरसिंहपुर। खंडहर में तब्दील ये इमारत कभी सत्ता का सबसे शक्तिशाली केंद्र हुआ करती थी, तब यहीं से राज्य के लिए कायदे-कानून तामीर किये जाते थे, लेकिन वक्त के साथ इस इमारत का वजूद भी घटता गया और अब तो ये इमारत खुद की पहचान ढूंढ़ रही है. प्रशासनिक अनदेखी के चलते नरसिंहपुर की गौरव गाथा का चित्रण करता ये लाल महल अपनी पहचान खोता जा रहा है. 1817 में नरसिंहपुर के राजा रायबहादुर ने लाल महल का निर्माण कराया था, जिसके देखरेख की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग की है, लेकिन ये विरासत अब असामाजिक तत्वों-शराबियों का अड्डा बन कर रह गया है.

खंडर में तब्दील होता जा रही ऐतिहासिक धरोहर
स्थानीय जानकार बताते हैं कि इस महल में पहले स्कूल लगाया जाता था, ताकि किसी तरह इमारत आबाद रहे, लेकिन इसके कई दावेदार सामने आए, जिसके चलते लाल महल पर स्टे लग गया और बच्चों को तालीम मिलने का जरिया भी बंद हो गया.कभी अपनी अलग पहचान रखने वाला लाल महल अपने गौरवशाली इतिहास का साक्षी हुआ करता था, जो अब अपनी ही पहचान खोज रहा है, सरकार समय रहते इस धरोहर को संजोने का जतन नहीं करती है तो ये महल सिर्फ इतिहास के पन्नों में ही सिमट कर रह जाएगा.

नरसिंहपुर। खंडहर में तब्दील ये इमारत कभी सत्ता का सबसे शक्तिशाली केंद्र हुआ करती थी, तब यहीं से राज्य के लिए कायदे-कानून तामीर किये जाते थे, लेकिन वक्त के साथ इस इमारत का वजूद भी घटता गया और अब तो ये इमारत खुद की पहचान ढूंढ़ रही है. प्रशासनिक अनदेखी के चलते नरसिंहपुर की गौरव गाथा का चित्रण करता ये लाल महल अपनी पहचान खोता जा रहा है. 1817 में नरसिंहपुर के राजा रायबहादुर ने लाल महल का निर्माण कराया था, जिसके देखरेख की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग की है, लेकिन ये विरासत अब असामाजिक तत्वों-शराबियों का अड्डा बन कर रह गया है.

खंडर में तब्दील होता जा रही ऐतिहासिक धरोहर
स्थानीय जानकार बताते हैं कि इस महल में पहले स्कूल लगाया जाता था, ताकि किसी तरह इमारत आबाद रहे, लेकिन इसके कई दावेदार सामने आए, जिसके चलते लाल महल पर स्टे लग गया और बच्चों को तालीम मिलने का जरिया भी बंद हो गया.कभी अपनी अलग पहचान रखने वाला लाल महल अपने गौरवशाली इतिहास का साक्षी हुआ करता था, जो अब अपनी ही पहचान खोज रहा है, सरकार समय रहते इस धरोहर को संजोने का जतन नहीं करती है तो ये महल सिर्फ इतिहास के पन्नों में ही सिमट कर रह जाएगा.
Intro:कभी नरसिंहपुर सियासत की विरासत रहा लाल महल आज दुर्दशा का शिकार होकर रह गया है प्रशासनिक इच्छाशक्ति के अभाव के चलते इतिहासिक और नरसिंहपुर की गौरव गाथा का चित्रण करने वाला यह महल जमींदोज होने की कगार पर है


Body:कभी नरसिंहपुर सियासत की विरासत रहा लाल महल आज दुर्दशा का शिकार होकर रह गया है प्रशासनिक इच्छाशक्ति के अभाव के चलते इतिहासिक और नरसिंहपुर की गौरव गाथा का चित्रण करने वाला यह महल जमींदोज होने की कगार पर है 1817 में यहां के शासक रायबहादुर द्वारा इसका निर्माण कराया गया था लेकिन इस ऐतिहासिक इमारत की कभी भी प्रशासन ने सुध नहीं हालत यह है कि अब यह पुरातत्व धरोहर असामाजिक तत्वों की शराब खोरी का अड्डा बन कर रह गया है स्थानीय जानकार बताते हैं कि कभी यह लाल महल अपनी अलग पहचान रखता था और नरसिंहपुर इसकी गौरवशाली इतिहास का साक्षी हुआ करता है एक समय ऐसा भी आया कि इसमें स्कूल लगने लगा ताकि है किसी तरह इमारत आबाद रह सके लेकिन उसके बाद प्रशासन ने कभी इसकी सुध नहीं ली और इसके कई दावेदार भी सामने आ गए शहर के युवा चाहते हैं कि इसे संरक्षित किया जाए ताकि नरसिंहपुर के पर्यटन के रूप में पहचान पहचाना जाए और लोग आकर इस लाल महल की गौरवशाली इतिहास से रूबरू हो सकें
वाइट 01 इकबाल खान स्थानीय जानकार
वाइट 02 आशुतोष स्थानीय


Conclusion:लाल महल के कई दावेदार भी सामने आ गए शहर के युवा चाहते हैं कि इसे संरक्षित किया जाए ताकि नरसिंहपुर के पर्यटन के रूप में पहचान पहचाना जाए और लोग आकर इस लाल महल की गौरवशाली इतिहास से रूबरू हो सकें
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