नरसिंहपुर। इंजीनियर बनने का था सपना, लेकिन परीक्षा में मिली असफलता ने किया खेती करने को मजबूर. पुश्तैनी जमीन पर गन्ने की खेती तो की, लेकिन लागत ज्यादा थी और पैसे कम. फिर उन्होंने कुछ जुगाड़ लगाने की ठानी. जुगाड़ भी ऐसा जिसने उन्हें राष्ट्रपति सम्मान का हकदार बना दिया.
हम बात कर रहे हैं नरसिंहपुर के किसान रोशन लाल विश्वकर्मा की. रोशन लाल के पास गन्ने की खेती करने के लिए पूंजी नहीं थी, लेकिन कुछ कर दिखाने के उनके जज्बे में कोई कमी नहीं आई. उन्होंने एक ऐसी मशीन का अविष्कार किया, जिसकी डिमांड आज देश-विदेश में है.
इन तस्वीरों में जो मशीन आप देख रहे हैं इसका नाम वटक्षेपर है. रोशन लाल बताते हैं कि इस मशीन से गन्ने का बड यानी उसकी आंख या बीज बड़ी आसानी से निकाले जा सकते हैं. इसके बाद इन बीजों को खेती के लिए उपयोग में लाया जा सकता है. वटक्षेपर से एक दिन में 220 गन्नों के बीज निकाले जा सकते हैं. खास बात यह है कि इस मशीन को बनाने में सिर्फ 1200 रुपए की लागत आती है.
रोशन लाल के खेत का एक हिस्सा कारखाने में तब्दील हो गया है. उन्हें नाबार्ड सहित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से सम्मानित होने मौका मिला है. मशीन बनाने के शौक ने रोशन लाल को देश-विदेश में पहचान दिलाई है. वे प्रदेश के किसानों के लिए एक मिसाल हैं.