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यूरिया घोटाले में खाद विक्रेताओं पर कार्रवाई के बाद गुस्सा

जिले में हुए यूरिया घोटाले को लेकर कलेक्टर की जांच टीम की रिपोर्ट के बाद निजी यूरिया उर्वरक विक्रेताओं के खिलाफ अपराधिक प्रकरण व मार्कफेड सहित विपणन अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है.

Angry after action on fertilizer vendors in urea scam
यूरिया घोटाले में खाद विक्रेताओं पर कार्रवाई के बाद गुस्सा
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Published : Aug 30, 2020, 7:35 PM IST

नरसिंहपुर। जिले में हुए यूरिया घोटाले को लेकर कलेक्टर की जांच टीम की रिपोर्ट के बाद निजी यूरिया उर्वरक विक्रेताओं के खिलाफ अपराधिक प्रकरण व मार्कफेड सहित विपणन अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. इसे लेकर खाद विक्रेताओं में गुस्सा भी है. उन्हें ऐसा लगता है कि एक ओर उनके साथियों को गुनहगार मान उन पर मामले दर्ज किए जा रहे हैं तो वहीं सरकारी संस्थाओं के लोगों पर सिर्फ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है.

नरसिंहपुर में इसी साल अप्रैल माह से लेकर जुलाई तक का यूरिया किसानों के नाम पर महज 22 लोगों को बांट दिया गया. पीओएस मशीन से आधार कार्ड के चलते जिस यूरिया को किसानों को बांटा जाना चाहिए उन्हें महज 22 लोगों को दे दे दिया गया. सरकारी पोर्टल में जब यह खामी पकड़ में आई तो जिला कलेक्टर वेद प्रकाश ने जांच दल का गठन किया.

जांच दल प्रभारी उप संचालक कृषि इस मामले को लेकर रिकॉर्ड दुरुस्ती करण की वजह से ऐसा होना मान रहे हैं. साथ ही यह भी कह रहे हैं कि सारा का सारा यूरिया सही हाथों में किसानों के पास पहुंचा है पर ऐसा क्या हुआ कि इस प्रतिवेदन के बाद कलेक्टर ने सख्त कदम उठाते हुए जिम्मेदारों पर कार्रवाई सुनिश्चित कर दी. अब चार निजी खाद विक्रेताओं पर आपराधिक मामला दर्ज करने और शेष मार्कफेड के गोदाम प्रभारी और जिला विपणन अधिकारी यशवर्धन सिंह पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु उच्च अधिकारियों को अनुशंसा की गई है.

गौरतलब है कि इस दौरान जिले में करीब 900 मीट्रिक टन यूरिया बांटा गया. यह यूरिया किसानों के नाम पर कम मार्कफेड सोसाइटी के गोदाम प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर उनके परिजन व अन्य के नाम पर दे दिया गया और खास बात यह रही कि किसानों को दो से चार बोरी यूरिया जद्दोजहद के बाद मिलता है, पर यहां 22 लोगों को टनों से यूरिया बांट दिया गया. इस मामले में 4 निजी उर्वरक विक्रेता और शेष मार्कफेड के गोदाम प्रभारी व विपणन संघ के द्वारा यूरिया को बेचा गया.

अब निजी खाद विक्रेता अपने साथियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई और सरकारी अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर कलेक्टर के रवैये को दोहरा बता रहे हैं वहीं उनका साफ कहना है कि खाद की पूरी बिक्री का बीस प्रतिशत निजी हाथों से बेचा जाता है जबकि 80 प्रतिशत सरकार खुद बेचती है. ऐसे में कार्रवाई में पक्षपात किया जा रहा है जबकि उन्होंने कोरोना को देखते हुये पीओएस मशीन पर किसानों को यूरिया न देकर दस्तावेज लेकर दिया है. इनकी मानें तो आगे खाद बुलाने के लिए पीओएस मशीन पर स्टॉक खत्म दिखाने के लिए उन्हें ही उच्च अधिकारियों ने ही जल्द स्टॉक खत्म दिखाने के लिए दवाव बनाया था जिसके चलते ये गफलत हुई. अब इन खाद विक्रेताओं ने कलेक्टर से मुलाकात कर उन्हें मामले से अवगत करा बड़ी कार्रवाई न करने की मांग की है.

नरसिंहपुर। जिले में हुए यूरिया घोटाले को लेकर कलेक्टर की जांच टीम की रिपोर्ट के बाद निजी यूरिया उर्वरक विक्रेताओं के खिलाफ अपराधिक प्रकरण व मार्कफेड सहित विपणन अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है. इसे लेकर खाद विक्रेताओं में गुस्सा भी है. उन्हें ऐसा लगता है कि एक ओर उनके साथियों को गुनहगार मान उन पर मामले दर्ज किए जा रहे हैं तो वहीं सरकारी संस्थाओं के लोगों पर सिर्फ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर उन्हें बचाने की कोशिश की जा रही है.

नरसिंहपुर में इसी साल अप्रैल माह से लेकर जुलाई तक का यूरिया किसानों के नाम पर महज 22 लोगों को बांट दिया गया. पीओएस मशीन से आधार कार्ड के चलते जिस यूरिया को किसानों को बांटा जाना चाहिए उन्हें महज 22 लोगों को दे दे दिया गया. सरकारी पोर्टल में जब यह खामी पकड़ में आई तो जिला कलेक्टर वेद प्रकाश ने जांच दल का गठन किया.

जांच दल प्रभारी उप संचालक कृषि इस मामले को लेकर रिकॉर्ड दुरुस्ती करण की वजह से ऐसा होना मान रहे हैं. साथ ही यह भी कह रहे हैं कि सारा का सारा यूरिया सही हाथों में किसानों के पास पहुंचा है पर ऐसा क्या हुआ कि इस प्रतिवेदन के बाद कलेक्टर ने सख्त कदम उठाते हुए जिम्मेदारों पर कार्रवाई सुनिश्चित कर दी. अब चार निजी खाद विक्रेताओं पर आपराधिक मामला दर्ज करने और शेष मार्कफेड के गोदाम प्रभारी और जिला विपणन अधिकारी यशवर्धन सिंह पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु उच्च अधिकारियों को अनुशंसा की गई है.

गौरतलब है कि इस दौरान जिले में करीब 900 मीट्रिक टन यूरिया बांटा गया. यह यूरिया किसानों के नाम पर कम मार्कफेड सोसाइटी के गोदाम प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर उनके परिजन व अन्य के नाम पर दे दिया गया और खास बात यह रही कि किसानों को दो से चार बोरी यूरिया जद्दोजहद के बाद मिलता है, पर यहां 22 लोगों को टनों से यूरिया बांट दिया गया. इस मामले में 4 निजी उर्वरक विक्रेता और शेष मार्कफेड के गोदाम प्रभारी व विपणन संघ के द्वारा यूरिया को बेचा गया.

अब निजी खाद विक्रेता अपने साथियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई और सरकारी अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर कलेक्टर के रवैये को दोहरा बता रहे हैं वहीं उनका साफ कहना है कि खाद की पूरी बिक्री का बीस प्रतिशत निजी हाथों से बेचा जाता है जबकि 80 प्रतिशत सरकार खुद बेचती है. ऐसे में कार्रवाई में पक्षपात किया जा रहा है जबकि उन्होंने कोरोना को देखते हुये पीओएस मशीन पर किसानों को यूरिया न देकर दस्तावेज लेकर दिया है. इनकी मानें तो आगे खाद बुलाने के लिए पीओएस मशीन पर स्टॉक खत्म दिखाने के लिए उन्हें ही उच्च अधिकारियों ने ही जल्द स्टॉक खत्म दिखाने के लिए दवाव बनाया था जिसके चलते ये गफलत हुई. अब इन खाद विक्रेताओं ने कलेक्टर से मुलाकात कर उन्हें मामले से अवगत करा बड़ी कार्रवाई न करने की मांग की है.

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