नरसिंहपुर। कोरोना वायरस ने सब कुछ ठप कर दिया. उद्योग धंधों से लेकर आम आदमी तक की कमर टूट गई. किसानों का भी बड़ा नुकसान हुआ और प्रतिदिन कमाने वालों के हाल बेहाल हो चुके हैं. कुछ ऐसी ही बेबसी की तस्वीर नरसिंहपुर से सामने आयी, जहां दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने के लिए चंदू मोची चिलचिलाती धूप में किसी ग्राहक के इंतजार में बैठा है कि कोई आएगा और उसके घर में चूल्हा जल सकेगा.
गरीबी और बेबसी के हालातों से जूझ रहे चंदू मोची इस वक्त कोरोना के चलते किए गए लॉकडाउन से टूट गया है. हालांकि लॉकडाउन में कुछ राहत मिलते ही चंदू अपना सुई-धागा लेकर सड़क किनारे बैठ गया है. उसके घर में सरकार ने राशन तो पहुंचा दिया लेकिन उसे पकाने के लिए लकड़ी का बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है.
अब तक कमाए सिर्फ 20 रूपए
जूता पॉलिस करने वाले चंदू मोची के पास सुबह से मात्र एक ग्राहक आया और अब तक उसने सिर्फ 20 रुपये कमाए हैं. गोटेगांव का करने वाला चंदू कई सालों से जूता-चप्पल सिलने का काम कर रहा है. ये उसका पुश्तैनी काम है. फिलहाल लॉकडाउन के चलते उसका रोजगार पूरी तरह ठप हो चुका है. कमाई का दूसरा साधन भी नहीं हैं.
'कैसे जलेगा चूल्हा'
ऐसे में चंदू को अपने बच्चों की फिक्र है, क्योंकि बच्चे इसी आस में घर पर हैं कि पापा आएंगे और घर में भोजन बन सकेगा. चंदू ने बताया कि घर में थोड़ा बहुत अनाज है, लेकिन लकड़ी नहीं है. घर लकड़ी लेकर जाना है, तब घर का खाना सकेगा. चंदू के घर में 4 बच्चे हैं दो नाती पोते हैं और पत्नी है. लॉकडाउन के चलते स्थिति बेहद खराब हो गई है.
घर भी लाइट भी काट दी गई
चंदू ने बताया कि सामान्य दिनों में वो 200 रुपये दिन काम लेता था. जिससे उसका गुजारा आराम से चल जाता था, लेकिन अब हालत बेहद खराब है. उसने बताया कि बिल जमा न करने से घर की लाइट भी काट दी गई है. अब अंधेरे में ही चंदू गुजर-बसर कर रहा है. अपनी कहानी बयां करते हुए उसकी आंखें भर आईं. लॉकडाउन की वजह से अकेला चंदू नहीं बल्कि ऐसे सैकड़ों परिवार हैं, जिनके घर कुछ नहीं बचा .