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नरसिंहपुर जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही, ऑपरेशन के बाद महिला मरीजों को जमीन पर लिटाया - एनपी प्रजापति

नरसिंहपुर के जिला अस्पताल में महिला मरीजों की नसबंदी के बाद उन्हें जमीन पर ही लिटा दिया गया. जबकि इतनी बड़ी घटना की जानकारी सिविल सर्जन को ही नहीं थी.

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Published : Jan 11, 2020, 12:45 PM IST

नरसिंहपुर। शहर के जिला अस्पताल में एक बार फिर लापरवाही का मामला सामने आया है. जहां महिला मरीजों की नसबंदी करने के बाद उन्हें जमीन पर ही लिटा दिया गया है. महिलाओं को न तो अस्पताल में बैड तक नहीं मिला. जिसकी जानकारी अस्पताल के सिविल सर्जन को भी नहीं थी.

नरसिंहपुर जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही


बड़ा सवाल यह है कि नरसिंहपुर के इस जिला अस्पताल का लोकार्पण दो माह पहले ही सीएम कमलनाथ ने किया था. लेकिन अस्पताल में सुविधाओं का अभाव इतना है कि महिला मरीजों को भर्ती कराने के लिए पर्याप्त बैड तक नहीं है. मरीजों के परिजनों का कहना है कि ठंड होने के बाद भी महिलाओं को पर्याप्त सुविधाएं नहीं दी गईं. पहले तो एक-एक बैड पर तीन-तीन महिलाओं को एक साथ लिटा दिया गया है. जबकि बैड कम पड़ने पर महिलाओं को नीचे ही सुला दिया गया.


सिविल सर्जन को नहीं थी मामले की जानकारी
मामले में जब जिला अस्पताल के सिविल सर्जन से बात की गई. तो उन्होंने बताया कि इस बात की उन्हें कोई जानकारी नहीं है. हालांकि वो अस्पताल प्रबंधन को लेकर सफाई देते जरुर नजर आई. टीटी ऑपरेशन ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर द्वारा कराए गए हैं इसलिए उन्हें इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई. उन्होंने कहा कि वह इस मामले की जांच करेगी.


अब नरसिंहपुर जिला अस्पताल के इन हालातों से आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस जिला अस्पताल का 2 माह पहले प्रदेश के मुखिया कमलनाथ ने उद्घाटन किया हो उस अस्पताल के ही ऐसे हालात होंगे तो फिर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के क्या हालात होंगे.

नरसिंहपुर। शहर के जिला अस्पताल में एक बार फिर लापरवाही का मामला सामने आया है. जहां महिला मरीजों की नसबंदी करने के बाद उन्हें जमीन पर ही लिटा दिया गया है. महिलाओं को न तो अस्पताल में बैड तक नहीं मिला. जिसकी जानकारी अस्पताल के सिविल सर्जन को भी नहीं थी.

नरसिंहपुर जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही


बड़ा सवाल यह है कि नरसिंहपुर के इस जिला अस्पताल का लोकार्पण दो माह पहले ही सीएम कमलनाथ ने किया था. लेकिन अस्पताल में सुविधाओं का अभाव इतना है कि महिला मरीजों को भर्ती कराने के लिए पर्याप्त बैड तक नहीं है. मरीजों के परिजनों का कहना है कि ठंड होने के बाद भी महिलाओं को पर्याप्त सुविधाएं नहीं दी गईं. पहले तो एक-एक बैड पर तीन-तीन महिलाओं को एक साथ लिटा दिया गया है. जबकि बैड कम पड़ने पर महिलाओं को नीचे ही सुला दिया गया.


सिविल सर्जन को नहीं थी मामले की जानकारी
मामले में जब जिला अस्पताल के सिविल सर्जन से बात की गई. तो उन्होंने बताया कि इस बात की उन्हें कोई जानकारी नहीं है. हालांकि वो अस्पताल प्रबंधन को लेकर सफाई देते जरुर नजर आई. टीटी ऑपरेशन ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर द्वारा कराए गए हैं इसलिए उन्हें इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई. उन्होंने कहा कि वह इस मामले की जांच करेगी.


अब नरसिंहपुर जिला अस्पताल के इन हालातों से आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस जिला अस्पताल का 2 माह पहले प्रदेश के मुखिया कमलनाथ ने उद्घाटन किया हो उस अस्पताल के ही ऐसे हालात होंगे तो फिर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के क्या हालात होंगे.

Intro:मध्यप्रदेश की अस्पतालों में किस तरह की अंधेरगर्दी चल रही है इसकी बानगी नरसिंहपुर में देखने को मिलती है जहां अव्यवस्थाओं के बीच जिला अस्पताल में बड़ी संख्या में महिलाओं की नसबंदी की जाती है और इसकी भनक जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को भी नहीं होती है बातें ही आकर खत्म नहीं होती ऑपरेशन के बाद ना महिलाओं को वार्ड में ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक नसीब होती है और ना ही मूर्छित अवस्था में महिला को कहीं पलंग नसीब नहीं होते तो कहीं गद्दे तो कहीं जमीन पर ही उन्हें सोने को मजबूर होना पड़ता है देखिए खास रिपोर्टBody: - मध्यप्रदेश की अस्पतालों में किस तरह की अंधेरगर्दी चल रही है इसकी बानगी नरसिंहपुर में देखने को मिलती है जहां अव्यवस्थाओं के बीच जिला अस्पताल में बड़ी संख्या में महिलाओं की नसबंदी की जाती है और इसकी भनक जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को भी नहीं होती है बातें ही आकर खत्म नहीं होती ऑपरेशन के बाद ना महिलाओं को वार्ड में ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक नसीब होती है और ना ही मूर्छित अवस्था में महिला को कहीं पलंग नसीब नहीं होते तो कहीं गद्दे तो कहीं जमीन पर ही उन्हें सोने को मजबूर होना पड़ता है देखिए खास रिपोर्ट

सरकार जनसंख्या निवारण के चलते अस्पतालों में पुरुष एवं महिला नसबंदी शिविर लगाती है जिस पर बजट भी आता है और हर मरीज के ऊपर हजारों रुपए खर्च करने के बिल भी पास होते हैं पर जब यही नसबंदी शिविर दुर्दशा का शिकार हो तो फिर क्या कहेंगे इतनी भीषण ठंड में शीत लहर के चलते जहां लोग रजाई में दुबकने मजबूर है। ऐसे में जिला अस्पताल की दुर्दशा देखिए जिसमें महिलाएं फर्श पर ऑपरेशन के बाद लिटा दी गई है तो कहीं ऑपरेशन के बाद एक पलंग पर दो से तीन महिलाएं लेटी है और तो और इतने बड़े ऑपरेशन के बाद स्टेचर से लाने की बजाय हाथों के ऊपर परिजन लेकर आ रहे हैं यह बानगी है नरसिंहपुर के जिला अस्पताल की जहां आज ही इन महिलाओं का नसबंदी टीटी ऑपरेशन हुआ है परिजन बताते हैं कि ना तो हमें पलंग मिल पा रहे हैं और ना ही फर्श पर गद्दे ऐसे में ऑपरेशन के बाद इंफेक्शन के चांस बढ़ जाते हैं और बाद में कई बार मौत तक हो जाती है
बाईट- 01 रवि - परिजन
बाइट - 02 संगीता - परिजन
- वहीं इस पूरे मामले पर जब हमने जिला अस्पताल के सिविल सर्जन से बात की तो पहले तो उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि उनकी जानकारी में कोई टीटी ऑपरेशन यहा हुए हैं और ना ही ऐसे किसी ऑपरेशन की उन्हें जानकारी है और जब हमने उन्हें जिला अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं के बारे में बताया तो वह सफाई देते हुए नजर आईं की सफाई देते नजर आईं कि टीटी ऑपरेशन ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर द्वारा कराए गए हैं और जिसकी मुझे जानकारी नहीं है और यह सारी व्यवस्थाएं उनको देखनी चाहिए पर यदि ऐसा हुआ है तो मैं देखूंगी
बाईट- 04 अनीता अग्रवाल सिविल सर्जन जिला अस्पताल नरसिंहपुर
- अंधेर नगरी चौपट राजा की कहानी तो आपने सुनी होगी अब जिला अस्पताल के इन हालातों से आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस जिला अस्पताल का 2 माह पहले प्रदेश के मुखिया कमलनाथ ने उद्घाटन किया हो अस्पताल के ऐसे हालात हैं कि अस्पताल के प्रभारी यानी सिविल सर्जन को ही बड़े पैमाने पर हुए नसबंदी ऑपरेशन की ही जानकारी नहीं और वहां फैली अव्यवस्थाओं को लेकर वह तर्कों के ताने बुनते नजर आए तो आप प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य की परिकल्पना कैसे कर सकेंगे यह एक बड़ा सवाल है शायद इसका जवाब प्रदेश के मुखिया के पास भी ना हो


वाइट तुलसीराम सिलावट लोक स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्री मध्य प्रदेश शासन
यह वाइट होल्ड लगाई गई है जनसंपर्क की फेसबुक से निकालकरConclusion:अंधेर नगरी चौपट राजा की कहानी तो आपने सुनी होगी अब जिला अस्पताल के इन हालातों से आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस जिला अस्पताल का 2 माह पहले प्रदेश के मुखिया कमलनाथ ने उद्घाटन किया हो अस्पताल के ऐसे हालात हैं कि अस्पताल के प्रभारी यानी सिविल सर्जन को ही बड़े पैमाने पर हुए नसबंदी ऑपरेशन की ही जानकारी नहीं और वहां फैली अव्यवस्थाओं को लेकर वह तर्कों के ताने बुनते नजर आए तो आप प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य की परिकल्पना कैसे कर सकेंगे यह एक बड़ा सवाल है शायद इसका जवाब प्रदेश के मुखिया के पास भी ना हो
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