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कॉलेज में फिर पहुंचा जांच दल, निकलकर आईं ढेर सारी विसंगतियां

नरसिंहपुर जिले में विसंगतियों की बीच बीते दिनों अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. आरके चैकसे, डाॅ. जवाहर शुक्ला और डाॅ. धीरेंद्र सिंह जाट के द्वारा महाविद्यालय खुलने के समय औचक निरीक्षण किया गया.

Narsinghpur news
महाविद्यालय में फिर पहुंचा जांच दल निकलकर आयीं ढेर सारी विसंगतियां
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Published : Sep 5, 2020, 1:23 AM IST

नरसिंहपुर। तहसील तेंदूखेड़ा का एक मात्र सरकारी कॉलेज इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. यहां नियमित अधिकारियों और अतिथि विद्वानों की चल रही मनमानीपूर्ण कार्यशैली के चलते छात्रों का भविष्य चौपट हो रहा है. बार-बार स्थानीय वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा औचक निरीक्षण किये जाने के बाद कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं.

इन सब विसंगतियों के बीच विगत दिवस अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. आरके चैकसे, डाॅ. जवाहर शुक्ला एवं डाॅ. धीरेंद्र सिंह जाट द्वारा जब महाविद्यालय खुलने के समय औचक निरीक्षण किया गया. उस वक्त भी व्यापक स्तर पर विसंगतियां उजागर हुईं और एक बार फिर पत्रकारों के माध्यम से जो खुलासे कॉलेज को लेकर किये जा रहे थे वे सभी सही निकले हैं. जांच के दौरान धीरे धीरे नियमित अधिकारी और अतिथि विद्वान अपने समय के हिसाब से महाविद्यालय में पहुंचते चले गये. लेकिन जब इनसे लेट आने का कारण पूछा गया और पंचनामा बनाया जा रहा था, उस वक्त जांच दल पर मनमानी करने वालों का गुस्सा फूट पड़ा और आरोप प्रत्यारोपों का दौर काफी देर तक चलता रहा.

इसी बीच अनुविभागीय अधिकारी आरएस राजपूत और पत्रकारों के पहुंचने के बाद मामला कुछ शांत हुआ. लेकिन बात रोटेशन को लेकर अतिथि विद्वानों के द्वारा कई प्रकार के सवाल किये गये. अग्रणी प्राचार्य द्वारा किये गये बिन्दुवार निरीक्षण के उपरांत तरह-तरह की विसंगतियों की परतें खुलती गईं. वे सभी बिन्दु भी जांच के दौरान उजागर हो गये जिनमें व्यापक स्तर पर आर्थिक अनियमितताएं भी उजागर हो रही हैं. पिछले दिनों महाविद्यालय में हुई चोरियों और गांधी स्मारक का निर्माण पूर्ण न हो पाने और धीरे धीरे स्मारक में लगने वाले गांधी के जीवनव्रत की महत्वपूर्ण घटनाओं के शिलालेख भी अब धीरे धीरे चोरी हो जाने के साथ फूटने लगे हैं. इनका भी मौके पर निरीक्षण प्रभारी अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है.

निरीक्षण पंजियां भी अपने सुविधा के हिसाब से बनाई गई है. जिनमें अपने हिसाब से निरीक्षण के समय प्रस्तुत कर दी जाती है. अन्य अधिकारियों के आने पर निरीक्षण पंजी चाबी में होने और चाबी न होने का हवाला देकर बच जाते हैं. चूंकि शासकीय महाविद्यालय तेंदूखेड़ा में इतिहास के व्याख्याता को प्रभारी प्राचार्य का दायित्व सौंपा गया है लेकिन वे लगातार छुट्टी पर ही रहते हैं कॉलेज स्टाफ का हाजिरी रजिस्टर उनकी 95 दिनों की उपस्थिति ही बता रहा है. जैसी विभिन्न प्रकार की विसंगतियां यहां पर देखते हुए अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य भी देखकर अचंभित रह गये.

गौरतलब है कि तेंदूखेड़ा शासकीय महाविद्यालय में काफी लम्बे समय से अनियमितताएं जारी हैं. और यह महाविद्यालय जिले के अन्य महाविद्यालयों जैसा नहीं लग रहा है और न ही छात्रों को उच्च शिक्षा जैसा माहौल मिल रहा है. नगर के जबाबदार वर्गों एवं पालकों द्वारा कभी भी किसी भी प्रकार की कोई आपत्ति दर्ज न किये जाने के कारण मनमानियां सिर चढ़कर बोलने लगी हैं.

नरसिंहपुर। तहसील तेंदूखेड़ा का एक मात्र सरकारी कॉलेज इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है. यहां नियमित अधिकारियों और अतिथि विद्वानों की चल रही मनमानीपूर्ण कार्यशैली के चलते छात्रों का भविष्य चौपट हो रहा है. बार-बार स्थानीय वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा औचक निरीक्षण किये जाने के बाद कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं.

इन सब विसंगतियों के बीच विगत दिवस अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. आरके चैकसे, डाॅ. जवाहर शुक्ला एवं डाॅ. धीरेंद्र सिंह जाट द्वारा जब महाविद्यालय खुलने के समय औचक निरीक्षण किया गया. उस वक्त भी व्यापक स्तर पर विसंगतियां उजागर हुईं और एक बार फिर पत्रकारों के माध्यम से जो खुलासे कॉलेज को लेकर किये जा रहे थे वे सभी सही निकले हैं. जांच के दौरान धीरे धीरे नियमित अधिकारी और अतिथि विद्वान अपने समय के हिसाब से महाविद्यालय में पहुंचते चले गये. लेकिन जब इनसे लेट आने का कारण पूछा गया और पंचनामा बनाया जा रहा था, उस वक्त जांच दल पर मनमानी करने वालों का गुस्सा फूट पड़ा और आरोप प्रत्यारोपों का दौर काफी देर तक चलता रहा.

इसी बीच अनुविभागीय अधिकारी आरएस राजपूत और पत्रकारों के पहुंचने के बाद मामला कुछ शांत हुआ. लेकिन बात रोटेशन को लेकर अतिथि विद्वानों के द्वारा कई प्रकार के सवाल किये गये. अग्रणी प्राचार्य द्वारा किये गये बिन्दुवार निरीक्षण के उपरांत तरह-तरह की विसंगतियों की परतें खुलती गईं. वे सभी बिन्दु भी जांच के दौरान उजागर हो गये जिनमें व्यापक स्तर पर आर्थिक अनियमितताएं भी उजागर हो रही हैं. पिछले दिनों महाविद्यालय में हुई चोरियों और गांधी स्मारक का निर्माण पूर्ण न हो पाने और धीरे धीरे स्मारक में लगने वाले गांधी के जीवनव्रत की महत्वपूर्ण घटनाओं के शिलालेख भी अब धीरे धीरे चोरी हो जाने के साथ फूटने लगे हैं. इनका भी मौके पर निरीक्षण प्रभारी अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है.

निरीक्षण पंजियां भी अपने सुविधा के हिसाब से बनाई गई है. जिनमें अपने हिसाब से निरीक्षण के समय प्रस्तुत कर दी जाती है. अन्य अधिकारियों के आने पर निरीक्षण पंजी चाबी में होने और चाबी न होने का हवाला देकर बच जाते हैं. चूंकि शासकीय महाविद्यालय तेंदूखेड़ा में इतिहास के व्याख्याता को प्रभारी प्राचार्य का दायित्व सौंपा गया है लेकिन वे लगातार छुट्टी पर ही रहते हैं कॉलेज स्टाफ का हाजिरी रजिस्टर उनकी 95 दिनों की उपस्थिति ही बता रहा है. जैसी विभिन्न प्रकार की विसंगतियां यहां पर देखते हुए अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य भी देखकर अचंभित रह गये.

गौरतलब है कि तेंदूखेड़ा शासकीय महाविद्यालय में काफी लम्बे समय से अनियमितताएं जारी हैं. और यह महाविद्यालय जिले के अन्य महाविद्यालयों जैसा नहीं लग रहा है और न ही छात्रों को उच्च शिक्षा जैसा माहौल मिल रहा है. नगर के जबाबदार वर्गों एवं पालकों द्वारा कभी भी किसी भी प्रकार की कोई आपत्ति दर्ज न किये जाने के कारण मनमानियां सिर चढ़कर बोलने लगी हैं.

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