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मुरैना में इल्ली का प्रकोप, बर्बाद हो रही बाजरे की फसल, प्रशासन नहीं ले रहा सुध

मुरैना में कम बारिश और इल्ली के प्रकोप से किसानों की बाजरे की फसल बर्बाद हो रही है. जिसके चलते किसान फसलों का सर्वे कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

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Published : Sep 17, 2020, 8:14 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 5:45 PM IST

Worm's crop is ruining the millet crop in morena
इल्ली के प्रकोप से बर्बाद हो रही बाजरे की फसल

मुरैना। एक ओर जहां प्रदेश में किसान अतिवृष्टि से परेशान हैं,तो वहीं चंबल अंचल में बारिश कम होने से किसान को न केवल खरीफ, बल्कि रबी की फसल को लेकर भी चिंता सताने लगी है. वर्तमान समय में बाजरे की फसल कटने के लिए तैयार है, लेकिन पानी की कमी और इल्ली के प्रकोप के कारण फसल कमजोर होती नजर आ रही है. जिससे काफी बड़े रकबे में बाजरे की फसल को नुकसान हो रहा है. ऐसे में किसान प्रशासन से फसल का सर्वे करने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है.

मुरैना में इल्ली का प्रकोप

कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था को जीवंत रखने वाला कृषि क्षेत्र ग्वालियर- चंबल अंचल में संकट से जूझ रहा है. यहां औसत से भी कम वर्षा होने के कारण फसलें दम तोड़ती नजर आ रही हैं, तो आने वाली खरीफ फसल भी समय से होती नजर नहीं आ रही है, जिससे किसान की भी कमर टूटती जा रही है. दशकों बाद बाजरे की फसल में इल्ली का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जो किसानों की फसल चौपट करने में लगी हुई है, इसके बाद भी कोरोना काल और चुनावी माहौल को देखते हुए प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

लक्ष्य से अधिक हुई बाजरे की बुवाई

कृषि विभाग द्वारा खरीफ फसल की बुवाई का कुल लक्ष्य 2 लाख 12 हजार 650 हेक्टेयर रखा गया था, जिस पर लक्ष्य से अधिक 2 लाख 22 हजार 957 हेक्टेयर बोवनी की गई. जिसमें से 1 लाख 71 हजार 631 हेक्टेयर में बाजरे की बोवनी की गई. यदि विकासखंड वार बाजरे की फसल का रकबा देखें तो पोरसा विकासखंड में 25 हजार 400 हेक्टेयर, अंबा विकासखंड में 30,815 हेक्टेयर, मुरैना विकासखंड में 44 हजार 740 हेक्टेयर, जरा विकासखंड में 24 हजार 410 हेक्टेयर, पहाड़गढ़ विकासखंड में 13 हजार 527 हेक्टेयर, कैलारस विकासखंड में 15 हजार 450 हेक्टेयर और सबलगढ़ विकासखंड में 17 हजार 250 हेक्टेयर बाजरे की फसल वर्तमान समय में खड़ी है .

बाली के अंदर ही नष्ट हो रहे दाने

किसानों ने बताया कि, वर्षा न होने के कारण फसल अभी पक नहीं पाई है और बाजरे की बाली में फूल होने के कारण इल्ली अत्यधिक नुकसान पहुंचा रही है. बालियां फूल के अंदर ही नष्ट होती जा रही हैं और किसान दूर से उसे देख भी नहीं पा रहा. जब बाली से फूल हटाकर देखा जाता है, तो पता चलता है कि, इल्ली सारे दाने को पहले ही चट कर चुकी है. किसान अपनी समस्या के बारे में राजस्व अधिकारियों को भी अवगत करा चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

क्या कहते हैं अधिकारी

जब ईटीवी भारत ने उपसंचालक, कृषि एवं किसान कल्याण से बात की, तो उन्होंने माना कि, इल्ली का प्रकोप होने की शिकायत मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि, हमने अपने मैदानी अमले के अधिकारियों को इस सर्वे के लिए निर्देशित किया है. हालांकि किसानों के द्वारा बताए जाने वाला 70 फ़ीसदी नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन इल्ली के प्रकोप से 30 फ़ीसदी नुकसान होने की जानकारी आ रही है.

मुरैना। एक ओर जहां प्रदेश में किसान अतिवृष्टि से परेशान हैं,तो वहीं चंबल अंचल में बारिश कम होने से किसान को न केवल खरीफ, बल्कि रबी की फसल को लेकर भी चिंता सताने लगी है. वर्तमान समय में बाजरे की फसल कटने के लिए तैयार है, लेकिन पानी की कमी और इल्ली के प्रकोप के कारण फसल कमजोर होती नजर आ रही है. जिससे काफी बड़े रकबे में बाजरे की फसल को नुकसान हो रहा है. ऐसे में किसान प्रशासन से फसल का सर्वे करने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है.

मुरैना में इल्ली का प्रकोप

कोरोना काल में देश की अर्थव्यवस्था को जीवंत रखने वाला कृषि क्षेत्र ग्वालियर- चंबल अंचल में संकट से जूझ रहा है. यहां औसत से भी कम वर्षा होने के कारण फसलें दम तोड़ती नजर आ रही हैं, तो आने वाली खरीफ फसल भी समय से होती नजर नहीं आ रही है, जिससे किसान की भी कमर टूटती जा रही है. दशकों बाद बाजरे की फसल में इल्ली का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जो किसानों की फसल चौपट करने में लगी हुई है, इसके बाद भी कोरोना काल और चुनावी माहौल को देखते हुए प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

लक्ष्य से अधिक हुई बाजरे की बुवाई

कृषि विभाग द्वारा खरीफ फसल की बुवाई का कुल लक्ष्य 2 लाख 12 हजार 650 हेक्टेयर रखा गया था, जिस पर लक्ष्य से अधिक 2 लाख 22 हजार 957 हेक्टेयर बोवनी की गई. जिसमें से 1 लाख 71 हजार 631 हेक्टेयर में बाजरे की बोवनी की गई. यदि विकासखंड वार बाजरे की फसल का रकबा देखें तो पोरसा विकासखंड में 25 हजार 400 हेक्टेयर, अंबा विकासखंड में 30,815 हेक्टेयर, मुरैना विकासखंड में 44 हजार 740 हेक्टेयर, जरा विकासखंड में 24 हजार 410 हेक्टेयर, पहाड़गढ़ विकासखंड में 13 हजार 527 हेक्टेयर, कैलारस विकासखंड में 15 हजार 450 हेक्टेयर और सबलगढ़ विकासखंड में 17 हजार 250 हेक्टेयर बाजरे की फसल वर्तमान समय में खड़ी है .

बाली के अंदर ही नष्ट हो रहे दाने

किसानों ने बताया कि, वर्षा न होने के कारण फसल अभी पक नहीं पाई है और बाजरे की बाली में फूल होने के कारण इल्ली अत्यधिक नुकसान पहुंचा रही है. बालियां फूल के अंदर ही नष्ट होती जा रही हैं और किसान दूर से उसे देख भी नहीं पा रहा. जब बाली से फूल हटाकर देखा जाता है, तो पता चलता है कि, इल्ली सारे दाने को पहले ही चट कर चुकी है. किसान अपनी समस्या के बारे में राजस्व अधिकारियों को भी अवगत करा चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

क्या कहते हैं अधिकारी

जब ईटीवी भारत ने उपसंचालक, कृषि एवं किसान कल्याण से बात की, तो उन्होंने माना कि, इल्ली का प्रकोप होने की शिकायत मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि, हमने अपने मैदानी अमले के अधिकारियों को इस सर्वे के लिए निर्देशित किया है. हालांकि किसानों के द्वारा बताए जाने वाला 70 फ़ीसदी नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन इल्ली के प्रकोप से 30 फ़ीसदी नुकसान होने की जानकारी आ रही है.

Last Updated : Sep 17, 2020, 5:45 PM IST
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