मुरैना। जिले में 628 शौचालयों के लिए 7 करोड़ की राशि को खर्च कर दिया गया, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि कई शौचालय तो ऐसी जगह बना दिए गए. जहां पानी की व्यवस्था ही नहीं है, ऐसे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन शौचालयों का क्या इस्तेमाल किया जा रहा होगा. कई जगहों पर शौचालय बंद हैं तो कई जगहों पर शौचालयों का इस्तेमाल गोदाम के रूप में किया जा रहा है. ऐसे में शौचालय बंद होने से छात्र-छात्राएं परेशान हो रहे हैं.
शिक्षा विभाग की इतनी बड़ी लापरवाही पर प्रशासन नियम-कायदे गिनाने में लगा है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पानी की व्यवस्था की जा रही है और सभी शौचालयों की जांच कराकर सभी को फिर से शुरू किया जाएगा.
कलेक्टर प्रियंका दास के अनुसार, जहां पानी की समस्या है, वहां के लिए शासन को नये हैडपंप लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है. जो शौचालय बेकार हो चुके हैं. उसमें भ्रष्टाचार की बात को माना और जांच कराकर कार्रवाई का भरोसा दिलाया. बड़ा सवाल यही है कि शौचालय बनाते समय इन बातों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया. वहीं उन स्कूलों का क्या, जहां शौचालयों में कबाड़ भर दिया गया है.