मुरैना। शहर और उसके आसपास रहवासी क्षेत्रों में संचालित फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रशासन फैक्ट्रियों की मनमानी रोकने में पूरी तरह विफल रहा है. प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित आसपास के रहवासी होते हैं.
चंबल संभाग के मुरैना जिले में 12 से ज्यादा तेल उत्पादक इकाई संचालित हो रही है, इनमें कुछ तेल उत्पादक फैक्ट्री ऐसी हैं, जिनमें सॉल्वेंट प्लांट और रिफाइनरी सॉल्वेंट संचालित हो रही है. स्टील उत्पादक और रिफाइनरी से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को बिना शोधन किए आसपास फेंका जा रहा है, जिससे यहां के ग्रामीण गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. ट्रक ऑपरेटर ने बातचीत में बताया कि फैक्ट्री संचालक बोलता है कि इन अपशिष्ट पदार्थों को आसपास की जगह पर फेंका जाए.
क्या कहते हैं नियम
नियम के मुताबिक फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को सबसे पहले शोधन कर शुद्ध किया जाता है. केमिकल रहित होने पर इसे दूर ऐसे स्थान पर डंप किया जाता है, जिससे किसी तरह की बीमारी न फैले और न ही किसी प्रकार का पर्यावरण को नुकसान हो. यदि कोई कारखाना संचालक इन नियमों की अनदेखी करता है तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कार्रवाई की जाती है.