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जिंदगी पर भारी फैक्ट्रियों की मनमानी, बीमारी को बुलावा दे रहे खुले में फेंके अपशिष्ट पदार्थ

मुरैना शहर और उसके आसपास संचालित फैक्ट्रियां लगातार प्रदूषण फैलाकर बीमारियों को बढ़ावा दे रही है. वहीं जिम्मेदार अधिकारियों ने इस मनमानी पर अपनी आंखे फेर ली है.

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Published : Jun 9, 2019, 1:53 PM IST

मुरैना

मुरैना। शहर और उसके आसपास रहवासी क्षेत्रों में संचालित फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रशासन फैक्ट्रियों की मनमानी रोकने में पूरी तरह विफल रहा है. प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित आसपास के रहवासी होते हैं.

फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से बीमारी का बढ़ा खतरा

चंबल संभाग के मुरैना जिले में 12 से ज्यादा तेल उत्पादक इकाई संचालित हो रही है, इनमें कुछ तेल उत्पादक फैक्ट्री ऐसी हैं, जिनमें सॉल्वेंट प्लांट और रिफाइनरी सॉल्वेंट संचालित हो रही है. स्टील उत्पादक और रिफाइनरी से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को बिना शोधन किए आसपास फेंका जा रहा है, जिससे यहां के ग्रामीण गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. ट्रक ऑपरेटर ने बातचीत में बताया कि फैक्ट्री संचालक बोलता है कि इन अपशिष्ट पदार्थों को आसपास की जगह पर फेंका जाए.
क्या कहते हैं नियम

नियम के मुताबिक फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को सबसे पहले शोधन कर शुद्ध किया जाता है. केमिकल रहित होने पर इसे दूर ऐसे स्थान पर डंप किया जाता है, जिससे किसी तरह की बीमारी न फैले और न ही किसी प्रकार का पर्यावरण को नुकसान हो. यदि कोई कारखाना संचालक इन नियमों की अनदेखी करता है तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कार्रवाई की जाती है.

मुरैना। शहर और उसके आसपास रहवासी क्षेत्रों में संचालित फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन प्रशासन फैक्ट्रियों की मनमानी रोकने में पूरी तरह विफल रहा है. प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित आसपास के रहवासी होते हैं.

फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों से बीमारी का बढ़ा खतरा

चंबल संभाग के मुरैना जिले में 12 से ज्यादा तेल उत्पादक इकाई संचालित हो रही है, इनमें कुछ तेल उत्पादक फैक्ट्री ऐसी हैं, जिनमें सॉल्वेंट प्लांट और रिफाइनरी सॉल्वेंट संचालित हो रही है. स्टील उत्पादक और रिफाइनरी से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ को बिना शोधन किए आसपास फेंका जा रहा है, जिससे यहां के ग्रामीण गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. ट्रक ऑपरेटर ने बातचीत में बताया कि फैक्ट्री संचालक बोलता है कि इन अपशिष्ट पदार्थों को आसपास की जगह पर फेंका जाए.
क्या कहते हैं नियम

नियम के मुताबिक फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को सबसे पहले शोधन कर शुद्ध किया जाता है. केमिकल रहित होने पर इसे दूर ऐसे स्थान पर डंप किया जाता है, जिससे किसी तरह की बीमारी न फैले और न ही किसी प्रकार का पर्यावरण को नुकसान हो. यदि कोई कारखाना संचालक इन नियमों की अनदेखी करता है तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कार्रवाई की जाती है.

Intro:मुरैना शहर और आसपास संचालित फैक्ट्रियां लगातार प्रदूषण फैलाकर बीमारियां परोसने में लगी हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन का इन फैक्ट्रियों पर कोई प्रतिबंध नहीं मुरैना शहर के नजदीक वार्ड क्रमांक 47 में संचालित तेल उत्पादक इकाई गुप्ता सॉल्वेंट से निकलने वाले अपशिष्ट को ज्यों का त्यों ही आसपास के क्षेत्रों में फेंकना ग्रामीणों के लिए बीमारी का कारण बन रहा है तो वही खेतों में जाने से वह खेतों की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर रहा है लेकिन प्रदूषण नियंत्रण विभाग उद्योग विभाग और जिला प्रशासन इन फैक्ट्री संचालकों के विरोध कोई कार्यवाही करने की हिमाकत नहीं कर सका


Body:मुरैना में 1 दर्जन से अधिक बड़ी तेल उत्पादक इकाई संचालित हैं और लगभग 2 दर्जन से अधिक मध्यम तेल उत्पादक इकाई संचालित हो रही हैं इनमें आधा दर्जन तेल उत्पादक फैक्ट्री ऐसी हैं जिनमें सॉल्वेंट प्लांट ली और रिफाइनरी गुप्ता सॉल्वेंट भी संचालित होती है जिसके संचालक नारायण हरि गुप्ता है , जो विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों को खाद्य तेलों में परिवर्तित करती हैं ऐसी ही एक फैक्ट्री एबी रोड पर जैन मंदिर के सामने स्थित है जिस के ठीक पीछे प्रधानमंत्री आवास के 1000 से अधिक क्वार्टर बनाए गए हैं तो वही नगर निगम का वार्ड नंबर 47 जो अतरसुमा गांव के नाम से पहचाना जाता है की बसाहट है यहां लगभग 5000 से अधिक लोग स्थाई रूप से निवास करते हैं स्टील उत्पादक और रिफाइनरी से निकलने वाले अपशिष्ट को बिना शोधन किए आसपास फेंका जा रहा है जिससे यहां के ग्रामीणों में एंकर और गंभीर बीमारियां फैल रही हैं ट्रक ऑपरेटर और क्लीनर द्वारा ईटीवी भारत को बताया गया क्या आप सिस्ट पदार्थ बिना शोधन किए सीधे यहां फेंकने के लिए उनके प्लांट के कि किसी अधिकारी द्वारा उन्हें निर्देशित कर आसपास की जगहों पर फेंकने के लिए बोला जाता है जिस जो खास बातचीत में सामने आया ।


Conclusion:इस तरह पानी फेक्ट्री का अपशिष्ट पानी फेकेना वालो को कई बार द्वारा ग्रामीणों रोका गया तो ।तो फैक्ट्री संचालक इसे पास की क्वारी नदी में डालना शुरू कर देते हैं जिससे नदी का पानी भी दूषित होता है जो आम लोगों और पशु पक्षियों के लिए नुकसानदायक है नियमानुसार यह अपशिष्ट पदार्थ पहले शोधन कर शुद्ध करें और केमिकल रहित होने पर इसे दूर ऐसे स्थान पर डाला जाए जहां किसी तरह की बीमारी फैलने अथवा पेड़ पौधों को नुकसान होने की स्थिति निर्मित ना हो लेकिन संचालक द्वारा ना तो इसे शोधित किया जाता है और ना ही इसे दूरदराज नष्ट करने की कोई व्यवस्था है इधर जिला प्रशासन उद्योग विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भी ऐसी फैक्ट्री संचालकों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा रही हो ।
बाईट -1 रमेश तोमर - टैंकर चालक
बाईट- 2 ट्रक क्लीनर
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