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आपसी भाईचारा बढ़ाने लेकर संत हरिगिरि महाराज की पहल, रामधुन का हुआ आयोजन - एमपी समाचार

संत हरिगिरि महाराज ने 2017 से रामधुन के प्रचार-प्रसार से शराब और शादियों में दहेज प्रथा बंद कराने का बेड़ा उठाया है.

रामधुन का हुआ आयोजन
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Published : Apr 15, 2019, 5:45 PM IST

मुरैना। संत हरिगिरि महाराज के आह्वान पर मध्यप्रदेश व राजस्थान के सैकड़ों गांवों में 2011 से दहेज बंदी, मृत्यु भोज और शादी में बैंड बाजा बंद की शुरुआत हुई. जिसके बाद से बड़ी संख्या में लोगों ने मृत्यु भोज और शादी में बैंड बाजा से तोबा कर ली.

हरिगिरि महाराज ने 2017 से रामधुन के प्रचार-प्रसार से शराब और शादियों में दहेज प्रथा बंद कराने का बेड़ा उठाया है. इस बार फिर से हरिगिरि महाराज के मार्गदर्शन में गांव-गांव में रामधुनी से लोगों को जागरूक करने की शुरुआत की है. जिसका लोगों में असर भी दिखाई दे रहा है. आज 24 गांवों ने आगे आकर रामधुन का आयोजन करने का संकल्प लिया है.

रामधुन का हुआ आयोजन

इसी क्रम में हंसाई मेवदा गांव में हरिगिरि महाराज के शिष्यों ने आज ग्रामीणों के साथ मिलकर रामधुन का आयोजन किया. यह रामधुन एक गांव में अंखड ज्योति के साथ 24 घंटे चलाई जाती है. फिर एक गांव से दूसरे गांव तक पहुंचती है. तपती धूप में खुले आसमान के नीचे बैठकर हरिगिरि महाराज ने कई घाटों तक तपस्या की, फिर ग्रामीणों को बुराइयों से दूर रहने की शपथ दिलाई. रामधुन का मुख्य मकसद आपसी भाईचारा बढ़ाना और मतभेद दूर करना है. संत हरिगिरि ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के चंबल किनारे वाले 222 गांव में साल 2011 में मृत्यु भोज बंद कराने का अभियान चलाया था, जो पूरी तरह सफल रहा. इसके बाद शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची को भी बंद करवाया गया.

मुरैना। संत हरिगिरि महाराज के आह्वान पर मध्यप्रदेश व राजस्थान के सैकड़ों गांवों में 2011 से दहेज बंदी, मृत्यु भोज और शादी में बैंड बाजा बंद की शुरुआत हुई. जिसके बाद से बड़ी संख्या में लोगों ने मृत्यु भोज और शादी में बैंड बाजा से तोबा कर ली.

हरिगिरि महाराज ने 2017 से रामधुन के प्रचार-प्रसार से शराब और शादियों में दहेज प्रथा बंद कराने का बेड़ा उठाया है. इस बार फिर से हरिगिरि महाराज के मार्गदर्शन में गांव-गांव में रामधुनी से लोगों को जागरूक करने की शुरुआत की है. जिसका लोगों में असर भी दिखाई दे रहा है. आज 24 गांवों ने आगे आकर रामधुन का आयोजन करने का संकल्प लिया है.

रामधुन का हुआ आयोजन

इसी क्रम में हंसाई मेवदा गांव में हरिगिरि महाराज के शिष्यों ने आज ग्रामीणों के साथ मिलकर रामधुन का आयोजन किया. यह रामधुन एक गांव में अंखड ज्योति के साथ 24 घंटे चलाई जाती है. फिर एक गांव से दूसरे गांव तक पहुंचती है. तपती धूप में खुले आसमान के नीचे बैठकर हरिगिरि महाराज ने कई घाटों तक तपस्या की, फिर ग्रामीणों को बुराइयों से दूर रहने की शपथ दिलाई. रामधुन का मुख्य मकसद आपसी भाईचारा बढ़ाना और मतभेद दूर करना है. संत हरिगिरि ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के चंबल किनारे वाले 222 गांव में साल 2011 में मृत्यु भोज बंद कराने का अभियान चलाया था, जो पूरी तरह सफल रहा. इसके बाद शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची को भी बंद करवाया गया.

Intro:एंकर - मुरैना में संत हरीगिरी महाराज के आह्वान पर मध्यप्रदेश व राजस्थान के सैकड़ों गाँव 2011 से दहेज बंदी,मृत्यु भोज,और शादी में बैंड बाजा बंद की शुरुआत हुई।जिसके बाद से बड़ी संख्या में लोगों ने मृत्यु भोज और शादी में बैंड बाजा से तोबा कर ली।2017 से हरिगिरि महाराज ने रामधुन के प्रचार प्रसार से शराब और शादियों में दहेज प्रथा बंद कराने का बेड़ा उठाया है।इस बार फिर से हरि गिरि महाराज के मार्गदर्शन में गांव गांव में रामधुनी से लोगों को जागरूक करने की शुरुआत की है जिसका लोगों में असर भी दिखाई दे रहा है हरि गिरि महाराज के विषय के साथ आज 24 गांवों ने आगे आकर रामधुन का आयोजन करने का संकल्प लिया है।


Body:वीओ1 - मुरैना के हंसाई मेवदा गाँव मे हरिगिरि महाराज के शिष्य आज ग्रामीणों के साथ रामधुन का आयोजन कर रहे है।यह रामधुन एक गाँव मे अंखड ज्योति के साथ 24 घंटे चलती है।फिर एक गांव से दूसरे गांव तक पहुंचती है।रामधुन के साथ साथ इस तपती धूप में खुले आसमान के नीचे बैठकर हरिगिरि महाराज के शिष्य कई घाटों तक तपस्या करने के बाद ग्रामीणों को बुराइयों से दूर रहने की शपथ दिलाई जाती है। रामधुन से गुर्जर समाज के लोगों में काफी असर देखने के अलावा अन्य समाजों भी असर दिखाई दे रहा हैं।ये रामधुन अकेले मुरैना जिले में नही बल्कि 12 जिलों में भी चलाई जाएगी।इससे समाज मे आपसी मतवेद भी दूर हो रहे है,आपस मे भाईचारा देखनों को मिल रहा है।हंसाई मेवादा गाँव के ग्रामीण संत हरिगिरि महाराज को भगवान का अवतार मान रहे है।जो समाज मे फैली कुरूतियों को मिटाने का काम कर रहे है।

बाईट - पप्पू सिंह - ग्रामीण हंसाई मेवादा।


Conclusion:वीओ2 - संत हरीगिरी महाराज ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के चंबल किनारे वाले 222 गांव में साल 2011 में मृत्यु भोज बंद कराने का अभियान चलाया था।यह पूरी तरह सफल रहा इसके बाद शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची को भी बंद करवाया गया।साल 2017 में चंबल के इन गांवों में संत हरी गिरी की अपील पर शराब बंदी हुई जो पूरी तरह सफल रही 16 मई 2018 से संत हरी गिरी महाराज ने दहेज बंदी का सफल अभियान चलाया और अब चंबल में आपसी मतवेद के साथ साथ शराब बंदी व शादियों में होने वाली फिजूल खर्चों को खत्म करने का काम किया जा रहा है। सामाजिक कुरीतियों में शामिल दहेज प्रथा और शराब के चलते न जाने कितने घर बर्बाद हो चुके हैं।इनको लेकर कानून भी बनाए गए पर फिर भी यह नासूर की तरह समाज को सड़ाने का काम कर रहे हैं। पर मुरैना में संत हरी गिरी महाराज ने अब रामधुन के जरिए समाज से इन कुरीतियों को उखाड़ने का महासंकल्प लिया है।जिसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

बाईट - संत जनवेदगिरी महाराज - शिष्य हरिगिरि महाराज।

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