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प्रदेश में भीषण जलसंकट, मुरैना के इस गांव में ग्रामीण पलायन करने को मजबूर - rural people migrate due to water problem

इन लोगों की मानें तो यह लोग कई सालों से इस समस्या को झेल रहे हैं और इससे निजात पाने के लिए सभी जिम्मेदार अधिकारियों के दफ्तरों में आवेदन दे चुके हैं. पानी के बिना पहाड़गढ़ इलाके की स्थिति दिन प्रतिदिन खतरनाक होती जा रही है

जिले में पेयजल संकट
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Published : Jun 8, 2019, 3:40 PM IST

मुरैना। बढ़ती गर्मी के साथ मुरैना जिले में भी जलसंकट गहरा गया है. जिले के कई दर्जन गांव में जल स्त्रोत सूख गए हैं.आलम ये है कि ग्रामीण पानी की किल्लत के चलते पलायन करने को मजबूर हैं. हालांकि प्रशासन ग्रामीणों को पानी पहुंचाने के लाख दावे कर रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.

वहीं कई गांव ऐसे भी हैं, जो दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. इस बारे में ग्रामीण कई बार अधिकारियों से स्वच्छ पेयजल के लिए गुहार लगा चुके हैं, लेकिन प्रशासन उन्हें खोखले आश्वासन दे रहा है. इसके चलते पहाड़गढ़ जनपद के कई गांव के ग्रामीण पलायन करने को मजबूर हैं. इतना हीं नहीं कुछ गांव के लोग तो पानी खरीदकर किसी तरह से गुजर-बसर कर रहे हैं.

जिले में पेयजल संकट

पेयजल संकट के चलते लोग पलायन करने को मजबूर
पहाड़गढ़ सहित तीन ब्लॉक में शासन ने पेयजल योजनाओं के तहत पानी पहुंचने का दावा तो किया, लेकिन आदिवासी बाहुल्य इलाके की तस्वीरें सरकार के वादों की पोल खोल रही है. यहां आलम यह है कि सारे हैंडपंप और बाकी के जलस्त्रोत सूख चुके हैं. अब पीने के पानी तक के लिए लोगों को दर-बदर भटकना पड़ रहा है, जबकि कई गांव तो ऐसे भी हैं, जिन्हें श्योपुर जिले की सीमा में जाकर अपनी प्यास बुझाना पड़ रहा है.
इन लोगों की मानें तो यह लोग कई सालों से इस समस्या को झेल रहे हैं और इससे निजात पाने के लिए सभी जिम्मेदार अधिकारियों के दफ्तरों में आवेदन दे चुके हैं. पानी के बिना पहाड़गढ़ इलाके की स्थिति दिन प्रतिदिन खतरनाक होती जा रही है. यहां के लोग पशुपालन और मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते है. आलम यह है कि जब लोगों के लिए पीने को पानी नहीं है तो वह जानवरों को पानी कहां से लाये.
ग्रामीणों की माने तो इस इलाके में केवल बरसात में ही पर्याप्त पानी मिलता है ,बाकी समय यूं ही जद्दोजहद करनी पड़ती है.

वहीं इस बारे में कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि उन्होंने खुद जाकर उन इलाको चिन्हित कर लिया है. जहां पेयजल समस्या है, वहां जो पुराने जलस्त्रोत है उनके संधारण के निर्देश दिए गए है. आवश्यकता पड़ने पर नए बोर खनन कराये जाएंगे जहाँ पानी नहीं है, वहां टेंकरो के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है

मुरैना। बढ़ती गर्मी के साथ मुरैना जिले में भी जलसंकट गहरा गया है. जिले के कई दर्जन गांव में जल स्त्रोत सूख गए हैं.आलम ये है कि ग्रामीण पानी की किल्लत के चलते पलायन करने को मजबूर हैं. हालांकि प्रशासन ग्रामीणों को पानी पहुंचाने के लाख दावे कर रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.

वहीं कई गांव ऐसे भी हैं, जो दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. इस बारे में ग्रामीण कई बार अधिकारियों से स्वच्छ पेयजल के लिए गुहार लगा चुके हैं, लेकिन प्रशासन उन्हें खोखले आश्वासन दे रहा है. इसके चलते पहाड़गढ़ जनपद के कई गांव के ग्रामीण पलायन करने को मजबूर हैं. इतना हीं नहीं कुछ गांव के लोग तो पानी खरीदकर किसी तरह से गुजर-बसर कर रहे हैं.

जिले में पेयजल संकट

पेयजल संकट के चलते लोग पलायन करने को मजबूर
पहाड़गढ़ सहित तीन ब्लॉक में शासन ने पेयजल योजनाओं के तहत पानी पहुंचने का दावा तो किया, लेकिन आदिवासी बाहुल्य इलाके की तस्वीरें सरकार के वादों की पोल खोल रही है. यहां आलम यह है कि सारे हैंडपंप और बाकी के जलस्त्रोत सूख चुके हैं. अब पीने के पानी तक के लिए लोगों को दर-बदर भटकना पड़ रहा है, जबकि कई गांव तो ऐसे भी हैं, जिन्हें श्योपुर जिले की सीमा में जाकर अपनी प्यास बुझाना पड़ रहा है.
इन लोगों की मानें तो यह लोग कई सालों से इस समस्या को झेल रहे हैं और इससे निजात पाने के लिए सभी जिम्मेदार अधिकारियों के दफ्तरों में आवेदन दे चुके हैं. पानी के बिना पहाड़गढ़ इलाके की स्थिति दिन प्रतिदिन खतरनाक होती जा रही है. यहां के लोग पशुपालन और मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते है. आलम यह है कि जब लोगों के लिए पीने को पानी नहीं है तो वह जानवरों को पानी कहां से लाये.
ग्रामीणों की माने तो इस इलाके में केवल बरसात में ही पर्याप्त पानी मिलता है ,बाकी समय यूं ही जद्दोजहद करनी पड़ती है.

वहीं इस बारे में कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि उन्होंने खुद जाकर उन इलाको चिन्हित कर लिया है. जहां पेयजल समस्या है, वहां जो पुराने जलस्त्रोत है उनके संधारण के निर्देश दिए गए है. आवश्यकता पड़ने पर नए बोर खनन कराये जाएंगे जहाँ पानी नहीं है, वहां टेंकरो के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है

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एंकर - बढ़ती गर्मी के साथ मुरैना जिले में भी जलसंकट गहरा गया है। जिले के कई दर्जन  गांव में जल स्त्रोत सुख गये है। प्रशासन ने ऐसे गांवों को चिन्हित कर इन गांव में पेयजल परिवहन करने के आदेेेश तो कलेेेक्टर ने सभी जनपद पंचायतोंं को भेज दिया गया है। वहीं कई गांव ऐसे भी है। जो दूषित पानी पीने को मजबूर है। इस बारे में वह कई बार जिले के अधिकारियों से स्वच्छ पेयजल के लिए गुहार लगा चुके है। कई बार के आश्वासन के बाद उन्हें अब तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाया है। पहाड़गढ़ जनपद के कई गांव खाली हो गये है। ओर कुछ गांंवों कि तो यह स््थिति है कि गाव के लोगों से पैैसेसेे पानी खरीद रहे है , इसलिए लोग इन गांव में पर्याप्त पानी न होने से पलायन कर रहे है। 

वीओ 1 -मुरैना जिले का पहाड़गढ़ ब्लॉक सहित तीन ब्लॉक प्रशासन ने  वहां विभिन्न योजनाओं के तहत पानी पहुंचने के दावे भी किये जा रहे है लेकिन आदिवासी बाहुल्य इलाके की तस्वीरें सरकार के वादों की कलई खोलने के लिए काफी है।  यहाँ के इलाको का आलम यह है कि सारे हैंडपंप और बाकी के जलस्त्रोत पानी छोड़ चुके है अब पीने के पानी तक के लिए लोगो को दरबदर भटकना पड़ता है , कई गाँव तो ऐसे भी है जिन्हे श्योपुर जिले की सीमा में जाकर अपनी प्यास बुझाते है , इन लोगो की माने तो यह लोग कई सालो से इस समस्या को झेल रहे है और इससे निजात पाने के लिए सभी जिम्मेदार अधिकारियो के दफ्तरों में आवेदन दे चुके है।   पानी के बिना पहाड़गढ़ इलाके की स्थिति दिन प्रतिदिन खतरनाक होते जा रहे है , यहाँ के लोग पशुपालन और मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते है आलम यह है कि जब लोगो के लिए पीने को पानी नहीं है तो वह जानवरो को पानी कहाँ से लाये।पानी न होने की दशा में कई परिवार है जो गर्मियों के मौसम में इस इलाके से पलायन कर जाते है।  ग्रामीणों की माने तो इस इलाके में केवल बरसात में ही पर्याप्त पानी मिलता है ,बाकी समय यूँ ही जद्दोजहद करनी पड़ती है। 

बाइट -  रामबती        ग्रामीण

बाइट - चिरौंजी        ग्रामीण

वीओ - वही इस बारे में कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि उन्होंने खुद जाकर उन इलाको चिन्हित कर लिया है जहाँ पेयजल समस्या है , वहां जो पुराने जलस्त्रोत है उनके संधारण के निर्देश दिए गए है आवश्यकता पड़ने पर नए बोर खनन कराये जाएंगे जहाँ पानी नहीं है , वहां  टेंकरो के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है 

बाइट - प्रियंका दास             कलेक्टर




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