मुरैना। बढ़ती गर्मी के साथ मुरैना जिले में भी जलसंकट गहरा गया है. जिले के कई दर्जन गांव में जल स्त्रोत सूख गए हैं.आलम ये है कि ग्रामीण पानी की किल्लत के चलते पलायन करने को मजबूर हैं. हालांकि प्रशासन ग्रामीणों को पानी पहुंचाने के लाख दावे कर रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.
वहीं कई गांव ऐसे भी हैं, जो दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. इस बारे में ग्रामीण कई बार अधिकारियों से स्वच्छ पेयजल के लिए गुहार लगा चुके हैं, लेकिन प्रशासन उन्हें खोखले आश्वासन दे रहा है. इसके चलते पहाड़गढ़ जनपद के कई गांव के ग्रामीण पलायन करने को मजबूर हैं. इतना हीं नहीं कुछ गांव के लोग तो पानी खरीदकर किसी तरह से गुजर-बसर कर रहे हैं.
पेयजल संकट के चलते लोग पलायन करने को मजबूर
पहाड़गढ़ सहित तीन ब्लॉक में शासन ने पेयजल योजनाओं के तहत पानी पहुंचने का दावा तो किया, लेकिन आदिवासी बाहुल्य इलाके की तस्वीरें सरकार के वादों की पोल खोल रही है. यहां आलम यह है कि सारे हैंडपंप और बाकी के जलस्त्रोत सूख चुके हैं. अब पीने के पानी तक के लिए लोगों को दर-बदर भटकना पड़ रहा है, जबकि कई गांव तो ऐसे भी हैं, जिन्हें श्योपुर जिले की सीमा में जाकर अपनी प्यास बुझाना पड़ रहा है.
इन लोगों की मानें तो यह लोग कई सालों से इस समस्या को झेल रहे हैं और इससे निजात पाने के लिए सभी जिम्मेदार अधिकारियों के दफ्तरों में आवेदन दे चुके हैं. पानी के बिना पहाड़गढ़ इलाके की स्थिति दिन प्रतिदिन खतरनाक होती जा रही है. यहां के लोग पशुपालन और मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते है. आलम यह है कि जब लोगों के लिए पीने को पानी नहीं है तो वह जानवरों को पानी कहां से लाये.
ग्रामीणों की माने तो इस इलाके में केवल बरसात में ही पर्याप्त पानी मिलता है ,बाकी समय यूं ही जद्दोजहद करनी पड़ती है.
वहीं इस बारे में कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि उन्होंने खुद जाकर उन इलाको चिन्हित कर लिया है. जहां पेयजल समस्या है, वहां जो पुराने जलस्त्रोत है उनके संधारण के निर्देश दिए गए है. आवश्यकता पड़ने पर नए बोर खनन कराये जाएंगे जहाँ पानी नहीं है, वहां टेंकरो के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है