ETV Bharat / state

राम मंदिर आंदोलन से जुड़े थे मुरैना के राधेश्याम गुप्ता, ईटीवी भारत से साझा किए अपने अनुभव - राम मंदिर आंदोलन से जुड़े मुरैना के लोग

राम मंदिर आंदोलन से लंबे समय तक जुड़े रहे मुरैना के राधेश्याम गुप्ता ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा मंदिर निर्माण को लेकर चलाए गए आंदोलन से जुड़े खुद के अनुभवों को ईटीवी भारत से साझा किया.

Morena's RSS pracharak Radheshyam Gupta
मुरैना के राधेश्याम गुप्ता
author img

By

Published : Aug 1, 2020, 7:05 PM IST

मुरैना। 550 सालों से अधिक समय तक देश के हिंदुओं के संघर्ष के बाद 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थान पर राम के भव्य मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम किया जा रहा है. इसको लेकर हिंदुओं और हिंदूवादी संगठनों में खासा उत्साह है कि लंबे संघर्ष के बाद उनकी महत्वाकांक्षा पूरी होने जा रही है. राम मंदिर के लिए आंदोलन करने वाले मुरैना के आरएसएस विचारक राधेश्याम गुप्ता का मानना है कि अयोध्या में बनने वाला भगवान श्री राम का मंदिर केवल राम मंदिर नहीं बल्कि इसे राष्ट्र मंदिर के रूप में भविष्य में पहचाना जाएगा. इसके साथ देश के हिंदुओं की आस्था और स्वाभिमान दोनों जुड़े हैं.

मुरैना के RSS प्रचारक राधेश्याम गुप्ता

राम मंदिर आंदोलन से लंबे समय तक जुड़े रहे मुरैना के राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 1980 से राम जन्मभूमि के विवादित स्थल को अपने संज्ञान में लिया और तब से निरंतर संघ के मार्गदर्शन में आंदोलन से जुड़े रहे. 1983 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्देश पर विश्व हिंदू परिषद द्वारा गंगा यात्रा निकाली, जो गंगोत्री से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे देश में गई. लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद आंदोलन की गति धीमी हो गई.

राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा मंदिर निर्माण को लेकर एक और आंदोलन की शुरुआत की और 9 नवंबर 1989 को बिहार के एक दलित कार्यकर्ता के हाथों अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी गई.

दिसंबर 1992 में लगभग 5 सैकड़ा से अधिक कारसेवक मुरैना से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे. जिनमें लगभग 1 सैकड़ा से अधिक महिलाएं भी शामिल थीं. जिन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा रास्ते में रोक लिया गया और उरई की जेल में बंद कर दिया, जिन्हें 6 दिसंबर के बाद छोड़ा गया. जेल से निकालकर भिंड जिले और उत्तर प्रदेश की सीमा पर छोड़ दिया.

यहां से 40 किलोमीटर पैदल चलकर यह जिले के लहार पहुंचे और वहां से बस द्वारा मुरैना. इन कारसेवकों में से एक राधेश्याम गुप्ता ने बताते हैं कि आगामी 5 अगस्त को मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी जा रही है. यह सिर्फ भगवान श्रीराम का एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह देश के हिंदुओं की आस्था और स्वाभिमान का स्वरूप है. इसलिए यह भविष्य में न केवल राम मंदिर वालों के राष्ट्र मंदिर के नाम से जाना जाएगा.

मुरैना। 550 सालों से अधिक समय तक देश के हिंदुओं के संघर्ष के बाद 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थान पर राम के भव्य मंदिर के शिलान्यास का कार्यक्रम किया जा रहा है. इसको लेकर हिंदुओं और हिंदूवादी संगठनों में खासा उत्साह है कि लंबे संघर्ष के बाद उनकी महत्वाकांक्षा पूरी होने जा रही है. राम मंदिर के लिए आंदोलन करने वाले मुरैना के आरएसएस विचारक राधेश्याम गुप्ता का मानना है कि अयोध्या में बनने वाला भगवान श्री राम का मंदिर केवल राम मंदिर नहीं बल्कि इसे राष्ट्र मंदिर के रूप में भविष्य में पहचाना जाएगा. इसके साथ देश के हिंदुओं की आस्था और स्वाभिमान दोनों जुड़े हैं.

मुरैना के RSS प्रचारक राधेश्याम गुप्ता

राम मंदिर आंदोलन से लंबे समय तक जुड़े रहे मुरैना के राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 1980 से राम जन्मभूमि के विवादित स्थल को अपने संज्ञान में लिया और तब से निरंतर संघ के मार्गदर्शन में आंदोलन से जुड़े रहे. 1983 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्देश पर विश्व हिंदू परिषद द्वारा गंगा यात्रा निकाली, जो गंगोत्री से लेकर कन्याकुमारी तक पूरे देश में गई. लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद आंदोलन की गति धीमी हो गई.

राधेश्याम गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा मंदिर निर्माण को लेकर एक और आंदोलन की शुरुआत की और 9 नवंबर 1989 को बिहार के एक दलित कार्यकर्ता के हाथों अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी गई.

दिसंबर 1992 में लगभग 5 सैकड़ा से अधिक कारसेवक मुरैना से अयोध्या के लिए रवाना हुए थे. जिनमें लगभग 1 सैकड़ा से अधिक महिलाएं भी शामिल थीं. जिन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा रास्ते में रोक लिया गया और उरई की जेल में बंद कर दिया, जिन्हें 6 दिसंबर के बाद छोड़ा गया. जेल से निकालकर भिंड जिले और उत्तर प्रदेश की सीमा पर छोड़ दिया.

यहां से 40 किलोमीटर पैदल चलकर यह जिले के लहार पहुंचे और वहां से बस द्वारा मुरैना. इन कारसेवकों में से एक राधेश्याम गुप्ता ने बताते हैं कि आगामी 5 अगस्त को मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी जा रही है. यह सिर्फ भगवान श्रीराम का एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह देश के हिंदुओं की आस्था और स्वाभिमान का स्वरूप है. इसलिए यह भविष्य में न केवल राम मंदिर वालों के राष्ट्र मंदिर के नाम से जाना जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.