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बीहड़ की भूमि में हो रहा कटाव, चंबल नदी किनारे बसे गांव हो रहे खत्म - ending the village near Chambal river in morena

चंबल नदी के किनारे बीहड़ में बसे सैकड़ों गांव आज खत्म होने की कगार पर हैं. जमीन को समतल करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इससे 35,000 हेक्टेयर भूमि को समतल कर कृषि योग्य और पशुपालन योग्य बनाया जाएगा.

चंबल नदी किनारे बसे गांव हो रहे खत्म
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Published : Jun 18, 2019, 1:43 PM IST

मुरैना। मध्यप्रदेश में चंबल नदी के किनारे बसे अधिकांश गांव बढ़ते बीहड़ों की चपेट में आकर खत्म हो रहे हैं.चंबल नदी के किनारे की बीहड़ वाली जमीन में लगातार कटाव बढ़ता जा रहा है. वहीं शासन-प्रशासन भी इस जमीन को समतल करने में सफल नहीं हुआ है. नतीजतन चंबल किनारे बीहड़ में बसे सैंकड़ों गांव आज खत्म होते जा रहे हैं.

चंबल नदी किनारे बसे गांव हो रहे खत्म

सैकड़ों गांवों के विस्थापन को रोकने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इससे 35,000 हेक्टेयर भूमि को समतल कर कृषि और पशुपालन योग्य बनाया जाएगा. इस काम में शासन ने वन विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग और बीहड़ कृषि करण योजना को शामिल किया है. अगर इस प्रस्ताव को शासन मंजूरी देता है, तो 600 करोड़ की लागत से इन बीहड़ों को समतल कर कृषि योग्य बनाया जाएगा.

सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी ने चंबल के बीहड़ों को समतल कर कृषि और पशुपालन योग्य बनाने की कार्ययोजना बनाकर राज्य शासन को भेजा है. इस योजना से ना सिर्फ क्षेत्र ही हरा-भरा होगा, बल्कि बीहड़ में चम्बल किनारे बसे एक सैकड़ा गांवों को रोजगार भी मिलेगा.

मुरैना। मध्यप्रदेश में चंबल नदी के किनारे बसे अधिकांश गांव बढ़ते बीहड़ों की चपेट में आकर खत्म हो रहे हैं.चंबल नदी के किनारे की बीहड़ वाली जमीन में लगातार कटाव बढ़ता जा रहा है. वहीं शासन-प्रशासन भी इस जमीन को समतल करने में सफल नहीं हुआ है. नतीजतन चंबल किनारे बीहड़ में बसे सैंकड़ों गांव आज खत्म होते जा रहे हैं.

चंबल नदी किनारे बसे गांव हो रहे खत्म

सैकड़ों गांवों के विस्थापन को रोकने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इससे 35,000 हेक्टेयर भूमि को समतल कर कृषि और पशुपालन योग्य बनाया जाएगा. इस काम में शासन ने वन विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग और बीहड़ कृषि करण योजना को शामिल किया है. अगर इस प्रस्ताव को शासन मंजूरी देता है, तो 600 करोड़ की लागत से इन बीहड़ों को समतल कर कृषि योग्य बनाया जाएगा.

सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी ने चंबल के बीहड़ों को समतल कर कृषि और पशुपालन योग्य बनाने की कार्ययोजना बनाकर राज्य शासन को भेजा है. इस योजना से ना सिर्फ क्षेत्र ही हरा-भरा होगा, बल्कि बीहड़ में चम्बल किनारे बसे एक सैकड़ा गांवों को रोजगार भी मिलेगा.

Intro:चंबल नदी के किनारे की बीहड़ वाली भूमि में लगातार कटाव बढ़ता जा रहा है , ना तो शासन-प्रशासन इस भूमि को समतल कर पाए और ना ही यहां वृक्षारोपण कर बरसात के सीजन में होने वाले मिट्टी के कटाव को रोकने में सफल हुआ , परिणाम स्वरूप चंबल किनारे बीहड़ में बसे एक सैकड़ा गांव आज विस्थापित होते चले जा रहे हैं ।


Body:चंबल के बिहार कम होने के बजाय लगातार बढ़ते जा रहे हैं जिसे रोकने के लिए अभी तक किए गए सरकारी प्रयास धरातल का असफल साबित हुए लेकिन सरकार ने इस बार चंबल के भी बेसन में बसे एक साकड़ा गांव के विस्थापन को रोकने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है जिससे 35000 हेक्टेयर भूमि को समतल कर कृषि योग्य अयोग्य और पशुपालन योग्य बनाया जाएगा इस काम में शासन ने वन विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग और बीहड़ कृषि करण योजना ( सोंग कंजर्वेशन ) को शामिल किया है । अगर इस प्रस्ताव को शासन मंजूरी देता है तो 600 करोड़ की लागत से इन बीहड़ों को समतल का कृषि योग्य बनाया जाएगा ।


Conclusion:कृषि विभाग के नेतृत्व बीहड़ वशीकरण योजना विभाग सहित विभागों ने संयुक्त रूप से चंबल के बीहड़ों को समतल कर कृषि योग्य एवं पशुपालन योग्य बनाने का कार्य योजना बनाकर राज्य शासन को भेजी है जो योजना ना तो सिर्फ क्षेत्र को हरा-भरा करेगी बल्कि बीहड़ में चम्बल किनारे बसे एक सैकड़ा गांव को रोजगार भी मुहैया कराने महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी । यही नहीं मिट्टी के कटाव से बढ़ रहे दुर्दांत बीहड़ो को समतल भूमि में बदलने के कारण ग्रामीणों के विस्थापन को भी रोकने में मददगार साबित होगी ।
बाइट 1 - डॉ रमन पचौरी - उप संचालक , बीहड़ कृषि कारण योजना

बाईट 2 -श्रीमती प्रियंका दास, कलेक्टर मुरैना
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