मुरैना। मध्यप्रदेश में चंबल नदी के किनारे बसे अधिकांश गांव बढ़ते बीहड़ों की चपेट में आकर खत्म हो रहे हैं.चंबल नदी के किनारे की बीहड़ वाली जमीन में लगातार कटाव बढ़ता जा रहा है. वहीं शासन-प्रशासन भी इस जमीन को समतल करने में सफल नहीं हुआ है. नतीजतन चंबल किनारे बीहड़ में बसे सैंकड़ों गांव आज खत्म होते जा रहे हैं.
सैकड़ों गांवों के विस्थापन को रोकने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इससे 35,000 हेक्टेयर भूमि को समतल कर कृषि और पशुपालन योग्य बनाया जाएगा. इस काम में शासन ने वन विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग और बीहड़ कृषि करण योजना को शामिल किया है. अगर इस प्रस्ताव को शासन मंजूरी देता है, तो 600 करोड़ की लागत से इन बीहड़ों को समतल कर कृषि योग्य बनाया जाएगा.
सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी ने चंबल के बीहड़ों को समतल कर कृषि और पशुपालन योग्य बनाने की कार्ययोजना बनाकर राज्य शासन को भेजा है. इस योजना से ना सिर्फ क्षेत्र ही हरा-भरा होगा, बल्कि बीहड़ में चम्बल किनारे बसे एक सैकड़ा गांवों को रोजगार भी मिलेगा.