मुरैना। कोरोना की दूसरी लहर ने हाहाकार मचा रखा है. हर जगह कोरोना के मरीज पाए जा रहे है, लेकिन ऐसे दौर में भी पोरसा की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं हैं. सरकारी अस्पताल में कोई भी चिकित्सक नहीं है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. गरीब मरीजों को निजी चिकित्सकों की शरण में जाना पड़ रहा है. इतना सब होने के बावजूद अभी तक आलाधिकारियों ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है.
सरकारी अस्पताल में कुछ समय पूर्व तक सात चिकित्सक पदस्थ थे, लेकिन वर्तमान की बात करें, तो यहां एक भी चिकित्सक नहीं है. दरअसल, यहां पदस्थ दो चिकित्सक कोरोना की वजह से होम क्वारंटाइन हैं. वहीं दो चिकित्सकों का अन्य जगह अटेचमेंट हो गया है. इसके अलावा एक चिकित्सक विगत दिवस त्यागपत्र देकर चला गया. बचे दो चिकित्सक यहां सम्बद्ध थे. वे भी अपने मूल स्थान पर पहुंच गए हैं.
पदस्थ चिकित्सकों की जानकारी
दरअसल, ब्लाॅक मेडिकल अधिकारी डाॅ. पीपी शर्मा और डाॅ. एसएन मेवाफरोश ने खुद को होम क्वारंटाइन कर लिया है. डाॅ. शिल्पी शर्मा अंबाह के अस्पताल और डाॅं सोनू शर्मा का सुमावली अस्पताल में अटेलचमेंट हो गया है. डाॅ. तरुण शर्मा विगत दिवस त्यागपत्र देकर चले गए. इसके अलावा डाॅ. पुष्पेन्द्र डण्डौतिया और डाॅ. जबर सिंह राठौर महुआ में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में व्यवस्था संभाल रहे हैं. इस तरह पोरसा का सरकारी अस्पताल अब चिकित्सक विहीन हो गया है.
वर्तमान में स्थिति यह है कि यहां कोई चिकित्सक नहीं होने की वजह से लोगों को निजी चिकित्सकों में जाना पड़ रहा है. चूंकि इस समय कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. ऐसे में निजी चिकित्सक भी मरीजों को ठीक तरह से नहीं देख रहे हैं.
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बीएमओ की कार्यप्रणाली से है रोष
सरकारी अस्पताल के बीएमओ डाॅ. पीपी शर्मा की कार्यप्रणाली सदैव विवादों में रही है. यही वजह है कि उनको लेकर यहां काफी रोष भी है. यहां तक कि उन्हें यहां से हटाने का आवेदन भी अधिकारियों को दिया जा चुका है.
बताया जाता है कि डाॅ. तरुण शर्मा ने त्यागपत्र बीएमओ की कार्यप्रणाली से तंग आकर ही दिया था. इसके अलावा डाॅ. पुष्पेन्द्र और डाॅ जबर सिंह पहले पोरसा के अस्पताल सहित महुआ स्वास्थ्य केन्द्र में भी व्यवस्था संभालते थे, लेकिन यह दोनों चिकित्सक भी बीएमओ की प्रताड़ना से तंग आकर अब सिर्फ महुआ में ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं.