मुरैना। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार और स्वास्थ्य महकमा भले ही लाख जतन कर रहा हो लेकिन कहीं न कहीं इसमें कमी रह ही जा रही है. ऐसी ही एक कमी फिलहाल जिला अस्पताल समेत कई सीएसी(CSC) केंद्रों में देखने को मिल रही है, जहां प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं की कोरोना जांच ही नहीं कराई जा रही है. ऐसे में न सिर्फ किसी महिला के संक्रमित होने बल्कि उस महिला के साथ आने वाले अटेंडर और प्रसव के बाद नवजात को भी कोरोना संक्रमण का खतरा है.
संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में नहीं है बदलाव
कोरोना काल में सामने आ रहे संस्थागत प्रसव के आंकड़ों में कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है. जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वो सामान्य दिनों की तरह ही हैं. बता दें, संस्थागत प्रसव का लाभ शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र की महिलाएं ले रही हैं. एक ओर जहां शहरी इलाकों में लोग आसानी से अस्पताल पहुंच रहे हैं वहीं दूरदराज ग्रामीण इलाकों में जननी एक्सप्रेस और 108 एंबुलेंस की सुविधा समय पर मिल रही है.
अगर हम जिले के पिछले 6 महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 01 जनवरी से 31 मार्च तक शासकीय अस्पतालों में 7733 प्रसव हुए. साथ ही नर्सिंग होम में 940 महिलाओं को प्रसव की सुविधा मिली. इस दौरान जिला अस्पताल में 199 सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए प्रसव कराए गए, वहीं निजी अस्पतालों में 363 महिलाओं के सिजेरियन ऑपरेशन के बाद प्रसव संपन्न हुआ.
लॉकडाउन के दौरान 01 अप्रैल से 30 जून तक की तिमाही में जिला अस्पताल में 6777 महिलाओं को संस्थागत प्रसव का लाभ मिला तो वहीं 782 महिलाओं ने निजी नर्सिंग होम में डिलीवरी की सुविधा ली. इस दौरान जिला अस्पताल में 210 महिलाओं के सिजेरियन ऑपरेशन हुए तो वहीं निजी अस्पतालों में 315 महिलाओं के सिजेरियन ऑपरेशन कर प्रसव कराए गए.
गंभीर नहीं हो रहा जिला अस्पताल
नियमित रूप से इतनी बड़ी संख्या में आ रहे मरीजों और उनके साथ अटेंडरों को जिला अस्पताल में सीधे भर्ती करने की अनुमति दे दी जाती है. अगर ऐसे में कोई भी महिला संक्रमित पाई जाती है तब नवजात शिशुओं सहित कई प्रसूताओं को कोरोना संकट का खतरा बना रहता है. लेकिन जिला अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस मसले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है.
मिल रहीं सभी सुविधाएं लेकिन नहीं हुआ कोरोना टेस्ट
जोरा तहसील के उप स्वास्थ्य केंद्र में प्रसूता को लेकर आई महिला ने बताया कि हमें आते ही जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया गया और सामान्य प्रसव हो गया. सारी सुविधाएं अस्पताल प्रबंधन द्वारा दी जा रही हैं लेकिन कोरोना को लेकर ना तो किसी तरह की कोई जांच हुई और न ही हमसे इस बारे में पूछा गया. वहीं शहर से लेकर गांव तक प्रसूता को संस्थागत प्रसव कराने के लिए प्रेरित करने के लिए नियुक्त की गई आशा कार्यकर्ताओं को भी इस समय कोरोना काल में एहतियात बरतने के लिए कहा गया है.
आशा कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसूताओं को समय-समय पर टीके लगवाने से लेकर जिला अस्पताल आकर संस्थागत प्रसव कराने के लिए प्रेरित कर रही हैं. साथ ही प्रसूताओं लेकर भी आ रही है लेकिन इन महिलाओं को जिला अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती करने से पहले कोरोना संक्रमित है या नहीं इसकी पुष्टि के लिए कोरोना संबंधित कोई भी जांच नहीं कराई जा रही हैं.
प्रेम नगर से आने वाली आशा कार्यकर्ता गीता ने बताया कि वे अपने क्षेत्र की प्रसूता को लेकर आई थीं, जिन्हें भर्ती कराया गया है और वह पिछले चार महीने में लगातार कई पहलुओं को लेकर आए हैं लेकिन आज तक कोरोना की जांच किसी महिला की नहीं कराई गई, उन्हें सीधे लेबर रूम या प्रसव पूर्व वार्ड में भर्ती करा दिया जाता है.
स्वास्थ्य विभाग कर रहा दावा
वहीं स्वास्थ्य महकमे का दावा है कि उन्होंने सुबह 9 बजे से 5 बजे तक आने वाली हर प्रसूति महिला की कोरोना जांच कराने की दावा किया है. यही नहीं अगर कोई संक्रमित आता है तो उसके लिए स्पेशल लेबर रूम और भर्ती बोर्ड भी तैयार किया गया है, जहां प्रसूता को रखने की व्यवस्था की गई है. लेकिन इन दावों की पोल स्वास्थ्य तैनात कर्मचारी और आने वाली प्रसूताओं ने खोल कर रख दी है. उनका कहना है कि अभी किसी भी महिला को भर्ती करने से पहले प्रसूता या उसके अटेंडर की कोरोना संक्रमण की जांच नहीं कराई जा रही है.
सिविल सर्जन डॉ अशोक गुप्ता का कहना है किन विभागों में काम करने वाले सभी कर्मचारी चाहे वह नर्सिंग स्टाफ हो, डॉक्टर हो या फिर कोई भी कर्मचारी. सभी को PPE किट मुहैया कराई जाती है, हैंड सैनिटाइजर और बाकी की सुविधाएं भी दी जा रही हैं, जिससे संक्रमण का कोई खतरा न हो और कोरोना संक्रमित प्रसूति महिलाओं के लिए अलग से विशेष वार्ड भी बनाया गया है, जहां उन्हें रखने की सुविधा है.
हालांकि, जिस तरह से मुरैना शहर और जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. उनमें बड़ी मात्रा में महिलाओं की संख्या भी है. बावजूद इसके पिछले चार महीने में एक भी प्रसूता कोरोना पॉजिटिव नहीं आने की बात कहकर स्वास्थ्य विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह कहीं न कहीं प्रसूति वार्ड में आने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ कोरोना जांच न कर न केवल अनदेखी कर रहा है बल्कि भी खिलवाड़ कर रहा है.