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निगम गोबर से बना रहा जैविक खाद - कृषि विज्ञान केंद्र

मुरैना जिले में नगर निगम गोबर से जैविक खाद बना रहा है. तैयार खाद को किसानों को बेचकर नगर निगम अब पैसा भी कमा रहा है. इससे न सिर्फ शहर साफ होगा बल्कि लोगों में जैविक खाद को लेकर जागरूकता भी आएगी.

Municipal corporation are making organic manure from cow dung
गोबर से बन रहा जैविक खाद
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Published : Apr 3, 2021, 1:02 PM IST

मुरैना। पूरे प्रदेश में मुरैना ऐसा शहर है, जहां हर रोज जितना कचरा निकलता है, उसमें कही ज्यादा मवेशियों का गोबर होता है. पशुपालन के चलते गंदगी का अंबार लगा रहता है. लोग गलियों में ही पशुओं के गोबर फेंककर शहर को गंदा करते हैं. अब नगर निगम ने इस समस्या से निजात पाने के लिए योजना तैयार की है, जिसमें शहर से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग उठाया जा रहा है. इसमें गीला कचरा यानी पशुओं के गोबर को देवरी गौशाला में ले जाकर उसका वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है, जिसे जैविक खाद भी कहते हैं. तैयार खाद को किसानों को बेचकर नगर निगम अब पैसा भी कमा रहा है. इसी के साथ भविष्य में नगर निगम अब लोगों से सीधे गोबर को खरीदने की तैयारी भी कर रहा है, जिससे शहर तो साफ होगा ही. साथ ही लोगों में जैविक खाद को लेकर जागरूकता भी आएगी.

गोबर से मिलेगी निजात
नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, शहर में 19 हजार से ज्यादा भैंस पाली जा रही हैं. इन भैंसों से इतना गोबर निकलता है कि हर रोज सुबह सड़क किनारे गोबर को उठाने के लिए नगर निगम का अमला पहुंच जाता है. डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली सहित बुलडोजर लगाई जाती है. निगम के रिकॉर्ड के अनुसार, शहर में हर रोज 92 से 94 टन कचरा निकलता है. इसमें से 45 से 48 टन गोबर होता है. इस गोबर के कारण अधिकांश नालियां चोक हो जाते है. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाले वाहनों में कचरे से ज्यादा गोबर भर दिया जाता है. अब तक ये गोबर कचरे में फेंका जा रहा था, लेकिन अब इससे केंचुआ पद्धति से जैविक खाद बनाया जाएगा.

गोबर से बन रहा जैविक खाद

गौमाता के गोबर से बनी लकड़ी से शुद्ध होगा पर्यावरण


कृषि विज्ञान केंद्र की ली मदद
नगर निगम प्रशासन ने कृषि विज्ञान केंद्र की मदद ली. देवरी गौशाला के पास जैविक खाद बनाने का प्लांट बना लिया. गोबर से जो भी खाद बनेगा, उसे चंबल एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी खरीदेगी. इस कंपनी के साथ नगर निगम प्रशासन ने अनुबंध कर लिया है. यह कंपनी अपनी निगरानी में ही खाद बनवाने का काम करेगी.

चंबल एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी खरीदेगी जैविक खाद
प्रदेश के किसी भी नगर पालिका या नगर निगम क्षेत्र में इतना गोबर नहीं निकलता, जितना की मुरैना में निकलता है. कचरा कलेक्शन वाहनों तक को लोग गोबर से भर देते हैं. इसलिए ठेका लेने वाली कंपनी भी काम छोड़ कर चली गई. इसलिए अब इस गोबर से नगर निगम जैविक खाद बनाएगी. शहर भर से गोबर इकट्ठा करके देवरी गौशाला में बनाए गए प्लांट में भेजा जा रहा है. यहां बनने वाला खाद चंबल एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी खरीदेगी.

लोगों के लिए फ्री में जैविक खाद
शहर के लिए मुसीबत बन चुके गोबर को नगर निगम अपनी कमाई का जरिया बनाने जा रहा है. अब तक ये गोबर कचरे में फेंका जाता था, लेकिन अब इससे जैविक खाद (केंचुआ पद्धति से) बनाया जाएगा. अच्छी बात यह है कि खाद को बेचने के लिए नगर निगम प्रशासन ने एक कंपनी से भी अनुबंधित कर लिया है. हालांकि नगर निगम प्रशासन अभी लोगों को जैविक खाद फ्री में दे रही है.

मुरैना। पूरे प्रदेश में मुरैना ऐसा शहर है, जहां हर रोज जितना कचरा निकलता है, उसमें कही ज्यादा मवेशियों का गोबर होता है. पशुपालन के चलते गंदगी का अंबार लगा रहता है. लोग गलियों में ही पशुओं के गोबर फेंककर शहर को गंदा करते हैं. अब नगर निगम ने इस समस्या से निजात पाने के लिए योजना तैयार की है, जिसमें शहर से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग उठाया जा रहा है. इसमें गीला कचरा यानी पशुओं के गोबर को देवरी गौशाला में ले जाकर उसका वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है, जिसे जैविक खाद भी कहते हैं. तैयार खाद को किसानों को बेचकर नगर निगम अब पैसा भी कमा रहा है. इसी के साथ भविष्य में नगर निगम अब लोगों से सीधे गोबर को खरीदने की तैयारी भी कर रहा है, जिससे शहर तो साफ होगा ही. साथ ही लोगों में जैविक खाद को लेकर जागरूकता भी आएगी.

गोबर से मिलेगी निजात
नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, शहर में 19 हजार से ज्यादा भैंस पाली जा रही हैं. इन भैंसों से इतना गोबर निकलता है कि हर रोज सुबह सड़क किनारे गोबर को उठाने के लिए नगर निगम का अमला पहुंच जाता है. डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली सहित बुलडोजर लगाई जाती है. निगम के रिकॉर्ड के अनुसार, शहर में हर रोज 92 से 94 टन कचरा निकलता है. इसमें से 45 से 48 टन गोबर होता है. इस गोबर के कारण अधिकांश नालियां चोक हो जाते है. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करने वाले वाहनों में कचरे से ज्यादा गोबर भर दिया जाता है. अब तक ये गोबर कचरे में फेंका जा रहा था, लेकिन अब इससे केंचुआ पद्धति से जैविक खाद बनाया जाएगा.

गोबर से बन रहा जैविक खाद

गौमाता के गोबर से बनी लकड़ी से शुद्ध होगा पर्यावरण


कृषि विज्ञान केंद्र की ली मदद
नगर निगम प्रशासन ने कृषि विज्ञान केंद्र की मदद ली. देवरी गौशाला के पास जैविक खाद बनाने का प्लांट बना लिया. गोबर से जो भी खाद बनेगा, उसे चंबल एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी खरीदेगी. इस कंपनी के साथ नगर निगम प्रशासन ने अनुबंध कर लिया है. यह कंपनी अपनी निगरानी में ही खाद बनवाने का काम करेगी.

चंबल एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी खरीदेगी जैविक खाद
प्रदेश के किसी भी नगर पालिका या नगर निगम क्षेत्र में इतना गोबर नहीं निकलता, जितना की मुरैना में निकलता है. कचरा कलेक्शन वाहनों तक को लोग गोबर से भर देते हैं. इसलिए ठेका लेने वाली कंपनी भी काम छोड़ कर चली गई. इसलिए अब इस गोबर से नगर निगम जैविक खाद बनाएगी. शहर भर से गोबर इकट्ठा करके देवरी गौशाला में बनाए गए प्लांट में भेजा जा रहा है. यहां बनने वाला खाद चंबल एग्रो फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी खरीदेगी.

लोगों के लिए फ्री में जैविक खाद
शहर के लिए मुसीबत बन चुके गोबर को नगर निगम अपनी कमाई का जरिया बनाने जा रहा है. अब तक ये गोबर कचरे में फेंका जाता था, लेकिन अब इससे जैविक खाद (केंचुआ पद्धति से) बनाया जाएगा. अच्छी बात यह है कि खाद को बेचने के लिए नगर निगम प्रशासन ने एक कंपनी से भी अनुबंधित कर लिया है. हालांकि नगर निगम प्रशासन अभी लोगों को जैविक खाद फ्री में दे रही है.

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