मुरैना। हाल ही में पशु चिकित्सा विभाग में हुई ड्राइवरों की नियुक्ति में बड़ा घोटाला सामने आया है. पशुधन विकास निगम ने अनिवार्य योग्यता संबंधी नियम को ताक पर रखकर ड्राइवरों की नियुक्ति कर दी. यही नहीं पैराविट स्टॉफ की सूची भी रातों-रात बदल दी गई. ड्राइवर व पैराविट स्टॉफ की नियुक्तियां तो पशुधन विकास निगम के माध्यम से की गई, लेकिन इसका आदेश पशु चिकित्सा सेवा विभाग से जारी किया गया है. इससे योग्यताधारी बेरोजगार युवक नौकरी से वंचित रह गए. पशु चिकित्सा विभाग के इस कारनामे से प्रदेशभर में विरोध के स्वर उठने लगे हैं.
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पशुधन विकास निगम में स्कैम: जानकारी के अनुसार, सरकार की मंशा के अनुरूप पशु चिकित्सा विभाग ने पशु पालकों को बड़ी सौगात देते हुए डोर-टू-डोर पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. इस योजना के तहत प्रदेश के सभी जिलों में मोबाइल वेटनरी यूनिट शुरू की गई है. योजना को सफलता पूर्वक क्रियान्वित करने के लिए जिलों को एम्बुलेंस मुहैया कराई गई है. एम्बुलेंस में पैराविट स्टॉफ की नियुक्ति की गई है. इसमें ड्राइवर के साथ एक डॉक्टर व कंपाउंडर मौजूद रहेगा. 1962 पर कॉल करते ही मोबाइल वेटनरी यूनिट पशु पालक के घर पहुंचकर मात्र 150 रुपये के मामूली शुल्क पर उपचार करेगी. यह योजना अभी धरातल पर भी नहीं आई कि, इससे पहले पशुधन विकास निगम का बड़ा घोटाला सामने आ गया.
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ड्राइवरों की नियुक्ति के लिए ये थी योग्यता: दरअसल, मोबाइल वेटनरी यूनिट के लिए ड्राइवरों की नियुक्ति में भारी अनियमितता बरती गई है. ड्राइवरों की नियुक्ति के लिए पशुधन विकास निगम ने एक विज्ञप्ति जारी की थी. इस विज्ञप्ति में ड्राइवरों की नियुक्ति के लिए अनिवार्य योग्यता के रूप में कक्षा 8वीं पास होने के साथ-साथ गौसेवक अथवा मैत्री का डिप्लोमा होना अनिवार्य बताया गया. इसके पीछे विभाग की मंशा थी कि, डिप्लोमाधारी ड्राइवर अपने काम के साथ डॉक्टरों को भी सहयोग करेंगे.
पशुधन विकास निगम ने अनिवार्य योग्यता संबंधी नियम को ताक पर रखकर ड्राइवरों की नियुक्ति कर विभाग की इस मंशा पर ही पानी फेर दिया. इससे न सिर्फ विभाग पर उंगली उठने लगी है, बल्कि डिप्लोमाधारी बेरोजगार युवक नौकरी से वंचित रह गए हैं. यही नहीं पैराविट स्टॉफ की नियुक्ति में भी अनियमितता सामने आई है. पैराविट स्टॉफ की नियुक्ति संबंधी आदेश का मैसेज डॉक्टरों के मोबाइल पर आ चुका था, लेकिन दूसरे दिन ही इन डॉक्टरों के नाम बदल दिए गए.
विभाग का कोई लेना देना नहीं है: सूत्रों का कहना है कि, ड्राइवर व पैराविट स्टॉफ की नियुक्त पशुधन विकास निगम के माध्यम से की गई है, लेकिन इसका आदेश पशु चिकित्सा सेवा के द्वारा जारी किया गया है. यह सब इस गड़बड़ झाले को छिपाने के लिए किया गया है. इसका प्रदेशभर में विरोध शुरू हो गया है. नौकरी से वंचित रहे डिप्लोमाधारी युवक एकजुट होकर अब प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन करने का मन बना रहे है. जॉइन डायरेक्टर पशु चिकित्सा विभाग अशोक सिंह तोमर का कहना है कि, "ये नियुक्तियां निजी कंपनी द्वारा आउटसोर्स कर्मचारी के तौर पर की गई है. इसका विभाग से कोई लेना देना नहीं है. गौसेवक और मैत्री डिप्लोमाधारी को प्राथमिकता के तौर पर रखा गया था, अनिवार्य योग्यता के रूप में नहीं. यह वरिष्ठ कार्यालय का मामला है."