मुरैना। गायों की रक्षा और सुरक्षा के लिए अब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार गोधन संरक्षण और संवर्धन के लिए 'गौ कैबिनेट' गठित करने का निर्णय लिया है. जिसके बाद ईटीवी भारत की टीम मुरैना की देवरी गौशाला में पहुंची, जहां गायों के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया.
देश में गाय के नाम पर राजनीति का पुराना इतिहास रहा है, कुछ लोगों ने गाय के हालातों को सुधारने की बात की, तो कुछ ने इसे राजनीति कहकर इससे पल्ला झाड़ा. सरकार बदली बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन किसी भी सरकार में गाय की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया. अब मध्य प्रदेश सरकार फिर से गायों के लिए कैबिनेट बनाकर उनकी स्थिति सुधारने का प्रयास करने जा रही है. गौशाला में गायों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. मुरैना जिले से लगी हुई देवरी गौशाला में 1800 गाय हैं. लेकिन हर रोज लगभग तीन से चार गायों की मौत हो जाती है. हालांकि इसमें से कई गाय नेशनल हाईवे पर दुर्घटना में घायल होकर आईं हैं, पर इसके बाद भी हर महीने लगभग 70 से 80 गायों की मौत का आंकड़ा रहता है.
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भूसा भी नसीब नहीं
गौशाला में गायों के लिए 7 टीन शेड है. बाकि जगह छांव के लिए बांस बल्ली लगाकर व्यवस्था की गई थी, लेकिन वो भी टूट गई है. कर्मचारियों की कमी के कारण बांस बल्ली वाला टूटा शेड भी सही नहीं हो पा रहा. इसके अलावा कम कर्मचारियों के चलते गायों को ठीक से भूसा भी नहीं दिया जा रहा है. ऐसे हालातों में कैबिनेट बनने के बाद कितने हालात बदलेंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
1800 गाय 16 कर्मचारियों के भरोसे
देवरी गौशाला में वर्तमान में 1800 गाय हैं, जिनकी देखभाल के लिए मात्र 16 कर्मचारी है, जिनमें से दो डॉक्टर हैं. गौशाला में गायों की दयनीय स्थिति है. वहीं गौशाला में एक माह का खर्च लगभग 10 से 11 लाख रुपए का आता है. हरे चारे की व्यवस्था भी शहर के समाजसेवियों द्वारा की जाती है.
हर रोज 4 गायों की मौत
रोजाना दुर्घटना में घायल होकर 3 से 4 गाय आती हैं. जिनका इलाज किया जाता है. लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही से गायों का इलाज भी ठीक तरह से नहीं हो पा रहा, जहां हर रोज 4 गायों की मौत हो जाती है.
गायों को नहीं मिलता हरा चारा
देवरी गौशाला में 26 कर्मचारियों की जगह थी, अब केवल 16 ही कर्मचारी काम कर रहे हैं, उसमें से भी दो डॉक्टर हैं. कम कर्मचारियों के चलते गौशाला में गायों के लिए उचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है. देवरी गौशाला में नगर निगम कर्मचारियों की व्यवस्था करता है. जिसके अलावा वेटरनरी विभाग से डॉक्टर की व्यवस्था की गई है. हरा चारा भी केवल एक ट्रॉली रोज आता है, जोकि समाजसेवियों के द्वारा उपलब्ध कराई जाता है.
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बदला कैबिनेट मीटिंग का स्थान
गौ-कैबिनेट का गठन होने के बाद सबसे पहली गौ-कैबिनेट बैठक अब भोपाल स्थित मंत्रालय में ऑनलाइन आयोजित की जाएगी. इसके पहले आगर-मालवा के गौ अभ्यारण्य में 22 नवंबर को ये बैठक होनी थी. कहीं न कहीं इसके पीछे की वजह गौ अभ्यारण्य की बदहाल व्यवस्था है. ईटीवी भारत ने सालरिया गौ अभ्यारण्य में व्यवस्थाओं का रियलिटी टेस्ट किया था. जिसमें यहां की अव्यस्थाएं खुलकर सामने आईं थीं. हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बैठक के बाद आगर जिले में स्थित सालरिया गौ अभ्यारण्य जाएंगे.
प्रदेश में अभी 1300 गौ शालाएं
जानकारी के अनुसार गौ अभ्यारण में गायों के संरक्षण व संवर्धन के लिए कई राज्यों के गौशाला संचालक और अन्य लोगों को भी बुलाया गया है. ताकि वे गौ संवर्धन और संरक्षण को लेकर अपनी राय दें सकें. वर्तमान में प्रदेश में 1300 गौशाला हैं, जिनमें करीब एक लाख अस्सी हजार गायों को रखा गया है.
गौ-कैबिनेट में ये मंत्री बनाए गए सदस्य
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एलान के साथ ही गौ कैबिनेट का गठन कर दिया गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में पांच मंत्रियों को इसका सदस्य बनाया गया है. इसमें गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, वन मंत्री विजय शाह, कृषि मंत्री कमल पटेल, पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया और पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल को सदस्य बनाया गया है. पशुपालन विभाग के अपर मुख्य सचिव समिति के भार साधक सचिव होंगे.