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चंबल की बेटी ने किया प्रदेश का नाम रोशन, हरियाणा में होने वाले फुटबॉल नेशनल गेम में खेलेगी आयुषी

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Published : Jan 8, 2020, 7:03 PM IST

गोली बारी और कई तरह के क्राइम से हटकर अब चंबल अंचल खेल के क्षेत्र में चर्चित हो रहा है. मुरैना जिले की बेटी आयुषी का सिलेक्शन नेशनल टीम में हो गया है.

Aayushi Gole
मैदान पर आयुषी

मुरैना। चंबल अंचल की बेटियों का डंका धीरे-धीरे पूरे देश में बजने लगा है. चाहे वो हॉकी हो या वेटलिफ्टिंग. इस बार फुटबॉल में आयुषी गोले ने चंबल को पहचान दिलाई है. फुटबॉल की नेशनल टीम में अपनी जगह बनाकर एक बार फिर से चंबल का नाम रोशन किया है. आयुषी का 14 से 18 जनवरी तक हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शुरू होने वाले नेशनल गेम के लिए स्टेट टीम में चयन हुआ है उसकी इस सफलता ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि चंबल अब वो चंबल नहीं रहा. अब यहां की बेटियां देश दुनिया में संभाग का नाम रोशन कर रही हैं.

चंबल की बेटी खेलेगी नेशनल


मुरैना के एसएएफ मैदान में फुटबॉल खेलने वाली बच्ची अब देश के लिए खेलने जा रही है. चंबल की माटी में पैदा हुई आयुषी यहां की सोच से आगे निकल गई है, जहां बच्चियों को बाहर जाने नहीं दिया जाता था वहां अब 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के सफल परिणाम अब धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं. पहली बार बालिका वर्ग से नेशनल टीम में शामिल हुई आयुषी खुश है और उससे ज्यादा खुश यहां के लोग हैं क्योंकि अब बेटियों को लेकर समाज और परिवार की सोच बदल रही है.


आयुषी गोले के कोच रामचंद्र तोमर ने हजारों बच्चों को फुटबॉल के गुर सिखाए हैं. उनके मुताबिक बच्चियों को भी अब लोग खेलों के लिए बाहर भेजने लगे हैं. ये एक अच्छा संकेत है. आयुषी दूसरी लड़की है, जिसका मुरैना जिले से फुटबॉल की नेशनल टीम में चयन हुआ है. हालांकि, उससे पहले कई बच्चे नेशनल टीम का हिस्सा रह चुके हैं. रामचंद्र के मुताबिक बिना ग्राउंड और सुविधाओं के ही ये बच्चे इतना कर रहे हैं. अगर इसमें शासन का सहयोग और मदद मिले तो मुरैना से कई और बेहतरीन खिलाड़ी मिल सकते हैं.

मुरैना। चंबल अंचल की बेटियों का डंका धीरे-धीरे पूरे देश में बजने लगा है. चाहे वो हॉकी हो या वेटलिफ्टिंग. इस बार फुटबॉल में आयुषी गोले ने चंबल को पहचान दिलाई है. फुटबॉल की नेशनल टीम में अपनी जगह बनाकर एक बार फिर से चंबल का नाम रोशन किया है. आयुषी का 14 से 18 जनवरी तक हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शुरू होने वाले नेशनल गेम के लिए स्टेट टीम में चयन हुआ है उसकी इस सफलता ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि चंबल अब वो चंबल नहीं रहा. अब यहां की बेटियां देश दुनिया में संभाग का नाम रोशन कर रही हैं.

चंबल की बेटी खेलेगी नेशनल


मुरैना के एसएएफ मैदान में फुटबॉल खेलने वाली बच्ची अब देश के लिए खेलने जा रही है. चंबल की माटी में पैदा हुई आयुषी यहां की सोच से आगे निकल गई है, जहां बच्चियों को बाहर जाने नहीं दिया जाता था वहां अब 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के सफल परिणाम अब धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं. पहली बार बालिका वर्ग से नेशनल टीम में शामिल हुई आयुषी खुश है और उससे ज्यादा खुश यहां के लोग हैं क्योंकि अब बेटियों को लेकर समाज और परिवार की सोच बदल रही है.


आयुषी गोले के कोच रामचंद्र तोमर ने हजारों बच्चों को फुटबॉल के गुर सिखाए हैं. उनके मुताबिक बच्चियों को भी अब लोग खेलों के लिए बाहर भेजने लगे हैं. ये एक अच्छा संकेत है. आयुषी दूसरी लड़की है, जिसका मुरैना जिले से फुटबॉल की नेशनल टीम में चयन हुआ है. हालांकि, उससे पहले कई बच्चे नेशनल टीम का हिस्सा रह चुके हैं. रामचंद्र के मुताबिक बिना ग्राउंड और सुविधाओं के ही ये बच्चे इतना कर रहे हैं. अगर इसमें शासन का सहयोग और मदद मिले तो मुरैना से कई और बेहतरीन खिलाड़ी मिल सकते हैं.

Intro:एंकर - चंबल अंचल की बेटियों का डंका धीरे-धीरे पूरे देश में बजने लगा है। चाहे वो हॉकी हो, वेटलिफ्टिंग हो या फिर अब फुटबॉल हो, जी हां चंबल अंचल की आयुषी गोली ने फुटबॉल की नैशनल टीम में अपनी जगह बना कर एक बार फिर से चंबल का नाम रोशन किया है। आयुषी गोले का 14 जनवरी से 18 जनवरी तक हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शुरू होने वाले नेशनल गेम के लिए स्टेट टीम में चयन हुआ है। आयुषी की इस सफलता ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि चंबल अब वो चंबल नहीं रहा। अब यहां की बेटियां देश दुनिया में संभाग का नाम रोशन कर रही है।




Body:वीओ1 - मुरैना के एसएएफ मैदान में फुटबॉल खेल रही ये बच्ची अब मध्यप्रदेश के लिए खेलने जा रही है। चंबल की माटी में पैदा होने के बाद अब यह सोच में आगे निकल चुकी है। जहां पर बच्चियों को बाहर जाने नहीं दिया जाता था।वहां बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की सफल परिणाम अब धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। पहली बार बालिका वर्ग से नैशनल टीम में शामिल हुई आयुषी खुश है, और उससे ज्यादा खुश है कि अब बेटियों को लेकर समाज और परिवार की सोच बदल रही है।

बाइट1 - आयुषी गोले - नेशनल खिलाड़ी।





Conclusion:वीओ2 - आयुषी गोले के गुरु रामचंद्र तोमर जिन्होंने उसे और उस जैसे हजारों बच्चों को फुटबॉल के गुर सिखाए। उनके अनुसार बच्चियों को भी अब लोग खेलों के लिए बाहर भेजने लगे हैं,ये एक अच्छा संकेत है। आयुषी दूसरी लड़की है जिसका मुरैना जिले से फुटबॉल की नैशनल टीम में चयन हुआ है। हालांकि उससे पहले कई बच्चे नेशनल टीम का हिस्सा रह चुके हैं रामचंद्र के अनुसार बिना ग्राउंड और सुविधाओं के ही ये बच्चे इतना कर रहे हैं। अगर इसमें शासन का सहयोग और मदद मिले तो मुरैना से कई और बेहतरीन खिलाड़ी मिल सकते हैं।

बाइट2 - रामचंद्र तौमर - कोच।
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