मुरैना। जिले के कैलारस क्षेत्र के नरसिंहपुरा गांव में बाघ की आमद और ग्रामीण पर हमले की सूचना पर वन विभाग और WWF के रिसर्चर सोनू वर्मा गांव में पहुंचे. यहां ग्रामीणों के बताए अनुसार उन झाड़ियों को जेसीबी से साफ कराया गया जिनमें बाघ के छिपे होने का डर ग्रामीणों को था. रिसर्चर सोनू वर्मा को कुछ पगमार्क भी मिले हैं, लेकिन वह बहुत धुंधले हैं. जिससे स्पष्ट कर पाना मुश्किल है कि हिंसक जानवर बाघ है या कोई जंगली जानवर.
अब लगेंगे नाइट विजन कैमरे: राजस्थान के रणथंभौर से भी एक बाघ लंबे समय से मिसिंग है. वहां लगे निगरानी कैमरों में उसकी कोई एक्टिविटी नजर नहीं आई है. धौलपुर में चंबल नदी के किनारे विचरण करने वाले T-116 और T-117 से जमें 2 शावक अब ढाई साल के यानि वयस्क हो चुके हैं, इनका मूवमेंट भी पिछले 6 महीने से उनकी टेरेटिरी में नहीं दिखा है. बकौल के ग्रामीणों ने बीहड़ इलाके में बाघ देखा था. ऐसे में रणथंभौर के वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों का मानना है कि, चंबल के बीहड़ में 2 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में इन बाघों ने अपनी नई टेरेटिरी बना ली है.
ग्रामीणों को दी गई समझाइश: इस पूरे मामले में DFO स्वरूप दीक्षित का कहना हैं कि, कैलारस क्षेत्र में लंबी सर्चिंग के बाद बाघ के मूवमेंट जैसा कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिला. हां कुछ धुंधले पगमार्क जरूर मिले हैं बाघ का मूवमेंट तलाशने हम नाइट विजन कैमरे लगवा रहे हैं. ग्रामीणों को समझाइश दी है कि एहतियात बरतें.