मुरैना। कोरोना संक्रमण के चलते किए गए लॉकडाउन ने करोड़ों लोगो को बेरोजगार कर दिया. उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया और उन्हें मजबूरन लौटकर अपने घर और गांव आना पड़ा. ऐसे में सरकार ने इन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार देने का वादा किया. लेकिन स्थानीय स्तर पर प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता के चलते न तो मजदूरों के पंजीयन हो सके और न ही उन्हें रोजगार ही उपलब्ध कराया गया. ऐसे में मजदूर दोबारा शहरों की तरफ पलायन करने को मजबूर हैं.
कोरोना काल में मजदूरों से किए वादे भूली सरकार, न पंजीयन हुए और न मिला रोजगार - मजदूरों का पंजीयन
सरकार भले ही प्रवासी मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के दावे कर रही है, लेकिन हकीकत ये है कि स्थानीय स्तर पर उदासीनता और लापरवाही के चलते मजदूरों का न तो पंजीयन हो पाया और न ही रोजगार मिल पाया है.
रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे प्रवासी मजदूर
मुरैना। कोरोना संक्रमण के चलते किए गए लॉकडाउन ने करोड़ों लोगो को बेरोजगार कर दिया. उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया और उन्हें मजबूरन लौटकर अपने घर और गांव आना पड़ा. ऐसे में सरकार ने इन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार देने का वादा किया. लेकिन स्थानीय स्तर पर प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता के चलते न तो मजदूरों के पंजीयन हो सके और न ही उन्हें रोजगार ही उपलब्ध कराया गया. ऐसे में मजदूर दोबारा शहरों की तरफ पलायन करने को मजबूर हैं.