मुरैना। जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर पहाड़गढ़ के जंगलों में बरई कोट प्राचीन महादेव मंदिर है. मंदिर तक पहुंचने के लिए केवल कच्चा रास्ता है, सावन के महीने में यहां शिव भक्तों की अच्छी खासी भीड़ देखी जा सकती है. चंबल क्षेत्र में शिव भक्तों का अच्छा खासा इतिहास रहा है, यही वजह है कि, यहां पर पूरे क्षेत्र में प्राचीन शिव मंदिरों की अच्छी-खासी संख्या पाई जाती है. जो प्राचीन होने के साथ-साथ ही ऐतिहासिक भी हैं.
बरई कोट के किले में विराजमान शिवलिंग अपने आप में विशेष है, गुफा में शिवलिंग पर अविरल जल की धारा 24 घंटे अभिषेक करती है. गुफा में घुटनों तक पानी भरा रहता है, जो कि गर्मियों के दिनों में भी बहुत ही ठंडा रहता है, जिसमें होकर ही भक्तों को शिवलिंग तक पहुंचना होता है. हालांकि घने जंगल में होने और ज्यादा प्रचार-प्रसार ना होने से यहां तक कम ही लोग पहुंचते हैं.
बरई कोट महादेव मंदिर के इतिहास की बात करें, तो ये सदियों पुराना है. मान्यता के अनुसार इसकी स्थापना राजा विक्रमादित्य ने करवाई थी. तो वहीं कुछ लोगों का मनना है कि, इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी. यहां पर कई ऐसे चिन्ह मौजूद हैं, जो उसका संबंध महाभारत काल से जोड़ते हैं.
चंबल का इतिहास सदियों पुराना है, चंबल क्षेत्र में महाभारत कालीन और उससे भी पुरानी कई ऐतिहासिक धरोहर और इमारतें हैं, जो कि बिना प्रचार-प्रसार के दुनिया की नजरों से छिपी हुई हैं, पुरातत्व विभाग भी इन मंदिरों को लेकर योजना बना रहा है. पर्यटन को लेकर मुरैना में बहुत संभावनाएं हैं. पास में ईश्वरा महादेव मंदिर सहित कई पुरातात्विक धरोहर क्षेत्र में हैं. अधिकारियों की मानें तो उन्होंने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है, जिस पर जल्द ही कोई फैसला लिए जाने की संभावना है.