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जिला अस्पताल में अव्यवस्था का अंबार, मरीजों को हाथ में दिया जा रहा भोजन

जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं से मरीज और उनके परिजन परेशान हैं. आलम ये है कि उन्हें भोजन भी थाली में नहीं बल्कि हाथ में दी जा रही है.

जिला अस्पताल में मरीज
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Published : Jul 30, 2019, 2:58 PM IST

मुरैना। जिला अस्पताल में मरीजों को खाना तो बांटा जा रहा है, लेकिन उनके लिए थाली की सुविधा नहीं है. इसी के चलते मरीज और उनके परिजन भोजन को हाथ में लेकर खाने के लिए मजबूर हैं. कलेक्टर ने इस बारे में कहा कि थालियों की व्यवस्था की जा रही है, जल्द ही मरीज और उनके परिजनों को इस तरह भोजन नहीं करना पड़ेगा.

जिला अस्पताल में अव्यवस्था का अंबार


जिला अस्पातल में मरीजों को निःशुल्क भोजन दिया जाता है, जिसके लिए टेंडर निकाला जाता है. इस भोजन व्यवस्था के तहत मरीजों को चाय-नाश्ता, दोपहर और शाम का भोजन दिया जाता है, लेकिन भोजन देने का ये अमानवीय तरीका मरीजों के लिए मददगार न होकर उन्हें बेइज्जत करने वाला है. अस्पताल प्रबंधन का इस बारे में कहना है कि मरीज अपनी थाली खुद लाए या फिर पैसे जमा कर किचन से थाली ले.


जिला अस्पताल में मरीजों को दिए जाने वाले भोजन को हाथ में देने के मामले में कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि अस्पताल की क्षमता 300 मरीजों के भर्ती करने की है, लेकिन यहां कई बार मरीजों की संख्या 500 तक हो जाती है, जिससे अव्यवस्थाएं होती है, इसलिए 100 रुपए जमा कर मरीजों को अस्पताल की कैंटीन से थाली दी जाती है, जिसे जरूरत के मुताबिक लिया जा सकता और बाद में मरीज थाली वापस कर पैसे ले सकता है.

मुरैना। जिला अस्पताल में मरीजों को खाना तो बांटा जा रहा है, लेकिन उनके लिए थाली की सुविधा नहीं है. इसी के चलते मरीज और उनके परिजन भोजन को हाथ में लेकर खाने के लिए मजबूर हैं. कलेक्टर ने इस बारे में कहा कि थालियों की व्यवस्था की जा रही है, जल्द ही मरीज और उनके परिजनों को इस तरह भोजन नहीं करना पड़ेगा.

जिला अस्पताल में अव्यवस्था का अंबार


जिला अस्पातल में मरीजों को निःशुल्क भोजन दिया जाता है, जिसके लिए टेंडर निकाला जाता है. इस भोजन व्यवस्था के तहत मरीजों को चाय-नाश्ता, दोपहर और शाम का भोजन दिया जाता है, लेकिन भोजन देने का ये अमानवीय तरीका मरीजों के लिए मददगार न होकर उन्हें बेइज्जत करने वाला है. अस्पताल प्रबंधन का इस बारे में कहना है कि मरीज अपनी थाली खुद लाए या फिर पैसे जमा कर किचन से थाली ले.


जिला अस्पताल में मरीजों को दिए जाने वाले भोजन को हाथ में देने के मामले में कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि अस्पताल की क्षमता 300 मरीजों के भर्ती करने की है, लेकिन यहां कई बार मरीजों की संख्या 500 तक हो जाती है, जिससे अव्यवस्थाएं होती है, इसलिए 100 रुपए जमा कर मरीजों को अस्पताल की कैंटीन से थाली दी जाती है, जिसे जरूरत के मुताबिक लिया जा सकता और बाद में मरीज थाली वापस कर पैसे ले सकता है.

Intro:ऐसा लगता है जिला अस्पताल में मरीजो को मिलने वाला भोजन शासन की व्यवस्थाएं न होकर अस्पताल प्रबंधन द्वारा दी जाने वाली भीख है । जिस तरह मरीजो और उनके परिजनों को अस्पताल से भोजन बांटा जा रहा है , वह व्यस्था तो यह वयां जिला अस्पताल मरीजो की भोजन न देकर घर की दहलीज पर किसी भिखारियों को भीख दी जा रही है । Body:शासन द्वारा मरीजो को सभी अस्पताल में निशुल्क भोजन दिया जाता है ।जिसका टेंडर होकर एक एजेंसी निर्धारित की जाती है । इस भोजन व्यवस्था के तहत मरीजो की सुबह का चाय नास्ता , दोपहर और शाम का भोजन दिया जाता है । लेकिन भोजन देना का ये अमानवीय तरीका मरीजो की मदद न होकर उन्हें बेज्जत करना है । अस्पताल प्रवंधन का इस बारे में कहना है कि मरीज अपनी थाली खुद लाये या फिर किचिन से पैसे जमा कर लेले ।
Conclusion:जिला अस्पताल में मरीजो को भिखारियों की तरह हाथ मे दिए जाने वाले भोजन पर कलेक्टर का कहना है कि अस्पताल की क्षमता से 300 मरीजो की भर्ती करने की है , लेकिन हमारे यहाँ कई बार 500 तक मारिजों की संख्या होने अव्यवस्थाएं होती है । इसलिए 100 रुपये जमा कर मरीजो को अस्पताल की किचिन से थाली इश्यू की जाती है जिसे जरूरत हो ले सकता है । बाद में वह थाली वापस कर पैसे ले सकता है । प्रशासन की नजर में ये व्यवस्था उचित या अनुचित ये तो कही जाने पर इस भोजन व्यवस्था से मरीजो को भिखारियों की तरह लाइन में खड़े होकर एक ही जगह भोजन देना उन्हें बेज्जत करने से कम नही है ।
बाईट 1 - मनीष , भोजन वितरित करने वाला कर्मचारी
बाईट - 2 श्रीमती प्रियंका दास , कलेक्टर मुरैना
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