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सड़क हादसे में नीलगाय की मौत, अंतिम संस्कार के लिए विभाग के पास नहीं है बजट

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Published : May 20, 2020, 5:52 PM IST

संरक्षित जंगली जानवरों की मौत पर विभाग द्वारा उनका विधिवत अंतिम संस्कार कराया जाता है. इसकी जवाबदरी उस क्षेत्र के रेंजर या डिप्टी रेंजर की होती है, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए विभाग से कोई खर्च ना मिलना कर्मचारियों के लिए आफत हो गई है.

dead blue cow
मृत नील गाय

मुरैना। वन मंडल का पूरा क्षेत्र में दो राष्ट्रीय राजमार्ग निकलते हैं, जहां ट्रैफिक होने के चलते आए दिन दुर्घटना होती रहती हैं. दुर्घटना में घायल जानवर और पक्षियों की मौत के बाद उन्हें अंतिम संस्कार के लिए अधिकारी आदेश तो देते हैं पर उस पर होने वाले व्यय हजारों रुपये की जवाबदारी कोई नहीं लेता है. जिससे कर्मचारी परेशान हैं.

वनकर्मी परेशान

आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राज मार्ग पर घड़ियाल केंद्र के पास रेत के परिवहन करने वाले एक ट्रैक्टर ने नीलगाय को टक्कर मार दी. जिससे घायल नीलगाय की कुछ समय में मौत हो गई. सूचना मिलने के बाद डिप्टी रेंजर घटना स्थल पहुंचा, लेकिन मृत नीलगाय को घटना स्थल से ले जाने के लिए वाहन, मजदूर और अंतिम संस्कार पर खर्च होने वाले रुपये को लेकर उसने बात का गोलमाल जवाब दिया और अधिकारियों को कोसने लगा.

डिप्टी रेंजर आर आई राजावत ने कहा कि मेरा ट्रांसफर हुए यहां एक साल से ज्यादा हो गया है. इस दौरान उन्होंने कई राष्ट्रीय पक्षी मोर के अंतिम संस्कार किये. कई नीलगाय की मौत पर उसके अंतिम संस्कार करने पड़े. उन्होंने बताया कि एक नील गाय के अंतिम संस्कार पर हजारों रुपये खर्च होता है, लेकिन अधिकारी सिर्फ आदेश देते हैं कोई ये नहीं कहता कि व्यय होने वाली राशि कहा से आएगी.

मुरैना। वन मंडल का पूरा क्षेत्र में दो राष्ट्रीय राजमार्ग निकलते हैं, जहां ट्रैफिक होने के चलते आए दिन दुर्घटना होती रहती हैं. दुर्घटना में घायल जानवर और पक्षियों की मौत के बाद उन्हें अंतिम संस्कार के लिए अधिकारी आदेश तो देते हैं पर उस पर होने वाले व्यय हजारों रुपये की जवाबदारी कोई नहीं लेता है. जिससे कर्मचारी परेशान हैं.

वनकर्मी परेशान

आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राज मार्ग पर घड़ियाल केंद्र के पास रेत के परिवहन करने वाले एक ट्रैक्टर ने नीलगाय को टक्कर मार दी. जिससे घायल नीलगाय की कुछ समय में मौत हो गई. सूचना मिलने के बाद डिप्टी रेंजर घटना स्थल पहुंचा, लेकिन मृत नीलगाय को घटना स्थल से ले जाने के लिए वाहन, मजदूर और अंतिम संस्कार पर खर्च होने वाले रुपये को लेकर उसने बात का गोलमाल जवाब दिया और अधिकारियों को कोसने लगा.

डिप्टी रेंजर आर आई राजावत ने कहा कि मेरा ट्रांसफर हुए यहां एक साल से ज्यादा हो गया है. इस दौरान उन्होंने कई राष्ट्रीय पक्षी मोर के अंतिम संस्कार किये. कई नीलगाय की मौत पर उसके अंतिम संस्कार करने पड़े. उन्होंने बताया कि एक नील गाय के अंतिम संस्कार पर हजारों रुपये खर्च होता है, लेकिन अधिकारी सिर्फ आदेश देते हैं कोई ये नहीं कहता कि व्यय होने वाली राशि कहा से आएगी.

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