ETV Bharat / state

नाकाफी साबित हुई फसल बीमा की राशि, अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं मुरैना के किसान

मुरैना में भारी बारिश के चलते ज्यादातर किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिसके बाद सरकार ने फसल बीमा के तहत खेतों का सर्वे कराया, जिसमें 7,368 किसानों की फसलें खराब मिलीं, सर्वे के बाद कुछ किसानों को बीमा की राशि तो मिली लेकिन किसी को 200 रुपए तो किसी को 1,000 रुपए दिए गए. जिससे किसान बेहद नाराज हैं, वहीं कई किसानों को मुआवजा मिला ही नहीं.

Farmers are feeling cheated
ठगा महसूस कर रहे है किसान
author img

By

Published : Sep 23, 2020, 4:50 PM IST

Updated : Sep 24, 2020, 1:27 PM IST

मुरैना। प्राकृतिक आपदा से नष्ट होने वाली फसलों की क्षतिपूर्ति के नाम पर चलाई जा रही फसल बीमा योजना किसानों के लिए छलावा साबित हो रही है. मुरैना में कुल 7,368 किसानों को 85 लाख रुपये की क्षति पूर्ति देने की बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम में कही थी. लेकिन इसकी सच्चाई का पता तब चला जब कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 90 फीसदी किसानों को सिर्फ 200 रुपये से 1000 रुपये तक की राशि दी गई. किसानों के मुताबिक जब उन्होंने आंकलन किया, तो पता चला कि औसत 18-19 रुपये प्रति बीघा क्षतिपूर्ति राशि दी गई है. जिससे किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

नाकाफी साबित हुई फसल बीमा की राशि

भारतीय ग्रामीण समाज पार्टी के अध्यक्ष रवि शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के किसानों के साथ बहुत बड़ा छलावा किया है. उप संचालक पीसी पटेल ने कहा कि इस घोटले में बीमा कंपनी को भी शामिल किया गया है.

किसान कल्याण के उप संचालक पीसी पटेल ने बताया कि मुरैना जिले में 7,368 किसानों को खरीफ फसल में हुए प्राकृतिक आपदा से नुकसान की क्षतिपूर्ति बीमा कराने वाले किसानों को वितरित करने की बात तो कही गई, लेकिन इसमें किन मापदंडों को किस किसान को कितनी राशि दी गई. इस संबंध के उनके पास कोई जानकारी नहीं है. एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के जिला प्रतिनिधि के के कटारे ने कहा कि हर बार किसानों के खातों से प्रीमियम काटने के निर्देश दिये जाते हैं वो उसका फायनेंस प्रीमियम सरकार देती है. बीमा राशि देने के सवाल पर इंश्योरेंस कंपनी के जिला प्रतिनिधि ने बताया कि फसल कटाई प्रयोग होता है उस समय राजस्व विभाग के अधिकारी कटाई के आंकड़े लेते हैं और आंकड़े राजस्व अधिकारी सरकार और इंश्योरेंस कंपनी को देते हैं उसके बाद निधारित किया जाता है कि एक एकड़ में किसान को कितना प्रीमियम देना है.

कांग्रेस के अलावा भारतीय ग्रामीण विकास पार्टी ने किसानों की इस समस्या को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि प्रदेश सरकार ने बीमा कंपनी के साथ मिलकर किसानों के साथ छलावा किया है. सिर्फ उपचुनाव को भुनाने के लिए किसानों के नाम पर राजनीति करने की कोशिश की जा रही है जबकि वास्तविकता में उनकी मदद करने के बजाय उनके साथ धोखा किया गया है. अब दिखना होगा कि सरकार किसानों के नुकसान का भुगतान करेगी या फिर मध्यप्रदेश के किसान अपने आप को ठगा महसूस करेंगे.

Farmers Welfare and Agriculture Department Office
किसान कल्याण एंव कृषि विभाग ऑफिस

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी का कहना है कंपनी द्वारा फसल में गए नुकसान का सर्वे कराया जाता है. इसके अलावा सरकार का राजस्व विभाग भी सर्वे करता है और इसके बाद फसल कटाई के बाद जो औसत उत्पादन राजस्व विभाग के पोर्टल पर अपडेट किया जाता है. दोनों सर्वे के रिपोर्ट के बीच में जो अंतर होता है उसके अनुसार भुगतान किया जाता है. इसलिए इस तरह छोटी छोटी राशि किसानों को बीमा दवा के रूप में भुगतान की जा रही हैं.

कांग्रेस के अलावा भारतीय ग्रामीण विकास पार्टी ने किसानों की इस समस्या को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि प्रदेश सरकार ने बीमा कंपनी के साथ मिलकर किसानों के साथ छलावा किया है सिर्फ उपचुनाव को बनाने के लिए किसानों के नाम पर राजनीति करने की कोशिश की जा रही है जबकि वास्तविकता में उनकी मदद करने के बजाय उनके साथ धोखा किया गया है.

दावे और हकीकत में उलझे किसान

मुरैना में सरकार ने 7,368 किसानों के बैंक खाते में 85 लाख रुपये जमा करने का दावा किया है. लेकिन हकीकत इससे अलग है. अभी तक मुरैना जिले में सिर्फ 489 किसानों को फसल बीमा की राशि बैंक के माध्यम से देने की सूची बीमा कंपनी द्वारा जिला प्रशासन और कृषि विभाग को दी. जिससे यह प्रमाणित है कि फसल बीमा की राशि सिर्फ 489 किसानों को ही मिल सकी है. जिले के बाकि किसानों को राशि कब मिलेगी, इस बारे में कृषि अधिकारी और बीमा कंपनी कोई ठोस जानकारी नहीं दे रहे हैं.

नाम मात्र की बीमा राशि

फसल बीमा के मापदंडों की बात की जाए तो निर्धारित नियमानुसार 25 फ़ीसदी से अधिक नुकसान होने पर ही बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति देती है, अगर 25 फ़ीसदी नुकसान माना जाता है तो एक बीघे पर कम से कम तीन हजार रुपए और एक हेक्टेयर पर कम से कम 8,000 का फसल में नुकसान का आकलन बीमा कंपनी और राजस्व विभाग के सर्वे नियमों के अनुसार बनता है. बावजूद इसके किसानों को मुरैना जिले में 200 से 1,000 के बीच में 90 फ़ीसदी किसानों के भुगतान किए गए हैं जो किसानों के गले नहीं उतर रहे और उन्हें अपने साथ छलावा लगता है.

मुरैना। प्राकृतिक आपदा से नष्ट होने वाली फसलों की क्षतिपूर्ति के नाम पर चलाई जा रही फसल बीमा योजना किसानों के लिए छलावा साबित हो रही है. मुरैना में कुल 7,368 किसानों को 85 लाख रुपये की क्षति पूर्ति देने की बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम में कही थी. लेकिन इसकी सच्चाई का पता तब चला जब कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक 90 फीसदी किसानों को सिर्फ 200 रुपये से 1000 रुपये तक की राशि दी गई. किसानों के मुताबिक जब उन्होंने आंकलन किया, तो पता चला कि औसत 18-19 रुपये प्रति बीघा क्षतिपूर्ति राशि दी गई है. जिससे किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

नाकाफी साबित हुई फसल बीमा की राशि

भारतीय ग्रामीण समाज पार्टी के अध्यक्ष रवि शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश के किसानों के साथ बहुत बड़ा छलावा किया है. उप संचालक पीसी पटेल ने कहा कि इस घोटले में बीमा कंपनी को भी शामिल किया गया है.

किसान कल्याण के उप संचालक पीसी पटेल ने बताया कि मुरैना जिले में 7,368 किसानों को खरीफ फसल में हुए प्राकृतिक आपदा से नुकसान की क्षतिपूर्ति बीमा कराने वाले किसानों को वितरित करने की बात तो कही गई, लेकिन इसमें किन मापदंडों को किस किसान को कितनी राशि दी गई. इस संबंध के उनके पास कोई जानकारी नहीं है. एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी के जिला प्रतिनिधि के के कटारे ने कहा कि हर बार किसानों के खातों से प्रीमियम काटने के निर्देश दिये जाते हैं वो उसका फायनेंस प्रीमियम सरकार देती है. बीमा राशि देने के सवाल पर इंश्योरेंस कंपनी के जिला प्रतिनिधि ने बताया कि फसल कटाई प्रयोग होता है उस समय राजस्व विभाग के अधिकारी कटाई के आंकड़े लेते हैं और आंकड़े राजस्व अधिकारी सरकार और इंश्योरेंस कंपनी को देते हैं उसके बाद निधारित किया जाता है कि एक एकड़ में किसान को कितना प्रीमियम देना है.

कांग्रेस के अलावा भारतीय ग्रामीण विकास पार्टी ने किसानों की इस समस्या को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि प्रदेश सरकार ने बीमा कंपनी के साथ मिलकर किसानों के साथ छलावा किया है. सिर्फ उपचुनाव को भुनाने के लिए किसानों के नाम पर राजनीति करने की कोशिश की जा रही है जबकि वास्तविकता में उनकी मदद करने के बजाय उनके साथ धोखा किया गया है. अब दिखना होगा कि सरकार किसानों के नुकसान का भुगतान करेगी या फिर मध्यप्रदेश के किसान अपने आप को ठगा महसूस करेंगे.

Farmers Welfare and Agriculture Department Office
किसान कल्याण एंव कृषि विभाग ऑफिस

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी का कहना है कंपनी द्वारा फसल में गए नुकसान का सर्वे कराया जाता है. इसके अलावा सरकार का राजस्व विभाग भी सर्वे करता है और इसके बाद फसल कटाई के बाद जो औसत उत्पादन राजस्व विभाग के पोर्टल पर अपडेट किया जाता है. दोनों सर्वे के रिपोर्ट के बीच में जो अंतर होता है उसके अनुसार भुगतान किया जाता है. इसलिए इस तरह छोटी छोटी राशि किसानों को बीमा दवा के रूप में भुगतान की जा रही हैं.

कांग्रेस के अलावा भारतीय ग्रामीण विकास पार्टी ने किसानों की इस समस्या को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि प्रदेश सरकार ने बीमा कंपनी के साथ मिलकर किसानों के साथ छलावा किया है सिर्फ उपचुनाव को बनाने के लिए किसानों के नाम पर राजनीति करने की कोशिश की जा रही है जबकि वास्तविकता में उनकी मदद करने के बजाय उनके साथ धोखा किया गया है.

दावे और हकीकत में उलझे किसान

मुरैना में सरकार ने 7,368 किसानों के बैंक खाते में 85 लाख रुपये जमा करने का दावा किया है. लेकिन हकीकत इससे अलग है. अभी तक मुरैना जिले में सिर्फ 489 किसानों को फसल बीमा की राशि बैंक के माध्यम से देने की सूची बीमा कंपनी द्वारा जिला प्रशासन और कृषि विभाग को दी. जिससे यह प्रमाणित है कि फसल बीमा की राशि सिर्फ 489 किसानों को ही मिल सकी है. जिले के बाकि किसानों को राशि कब मिलेगी, इस बारे में कृषि अधिकारी और बीमा कंपनी कोई ठोस जानकारी नहीं दे रहे हैं.

नाम मात्र की बीमा राशि

फसल बीमा के मापदंडों की बात की जाए तो निर्धारित नियमानुसार 25 फ़ीसदी से अधिक नुकसान होने पर ही बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति देती है, अगर 25 फ़ीसदी नुकसान माना जाता है तो एक बीघे पर कम से कम तीन हजार रुपए और एक हेक्टेयर पर कम से कम 8,000 का फसल में नुकसान का आकलन बीमा कंपनी और राजस्व विभाग के सर्वे नियमों के अनुसार बनता है. बावजूद इसके किसानों को मुरैना जिले में 200 से 1,000 के बीच में 90 फ़ीसदी किसानों के भुगतान किए गए हैं जो किसानों के गले नहीं उतर रहे और उन्हें अपने साथ छलावा लगता है.

Last Updated : Sep 24, 2020, 1:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.