मुरैना। खेती को उन्नत बनाने और किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से केंद्र सरकर ने साल 2014-15 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरूआत की थी. जिसके तहत खेतों की मिट्टी का परीक्षण करके उसमें मौजूद पोषक तत्त्वों की सही जानकारी किसानों को दी जाती है. ताकि किसान रासायनिक उर्वरकों का कम से कम इस्तेमाल करके अपने उत्पादन को बढ़ा सकें. लेकिन मुरैना जिले में ये योजना दम तोड़ती नजर आ रही है.
मुरैना जिले में करीब 10 लाख किसान हैं. 2015 में जब इस योजना की शुरूआत की गई थी तब करीब 2 हजार किसानों ने मृदा परीक्षण करवाया था. लेकिन मौजूदा स्थितियां ये हैं कि अब चंद किसान ही मृदा परीक्षण करवा रहे हैं.
मुरैना जिले के सभी ब्लॉक का एवरेज देखा जाए तो यहां की मिट्टी में कुछ सालों में कार्बनिक कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर और सूक्ष्म पोषक तत्वों में जिंक की कमी आई है. जबकि फॉस्फोरस और पोटाश पर्याप्त मात्रा में हैं. मिट्टी की पूरी प्रोफाइल तैयार करने के लिए ब्लॉक स्तर पर मिट्टी परीक्षण लैब भी खोली गईं हैं, लेकिन कहीं न कहीं किसानों में जागरूकता की कमी के चलते वे इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.
मिट्टी में पोषक तत्वों की सही जानकारी न होने के चलते किसान आम तौर पर रासायनिक खाद का प्रयोग ज्यादा कर रहे हैं. जो न सिर्फ कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के लिए खतरनाक हैं, बल्कि इससे भूमिगत जल भी प्रदूषित होता है और लोगों के स्वास्थ्य पर भी इससे बुरा असर पड़ता है.