मुरैना। लॉकडाउन के 2 सप्ताह गुजरने के बाद मुरैना जिले के 2000 से अधिक ई-रिक्शा चालकों के सामने दैनिक जरूरतों के सामान का भी अभाव होने लगा है. किसी को बैंक किस्त की तो किसी को ब्याज चुकाने की चिंता सता रही है.
यही नहीं ज्यादातर ई-रिक्शा चालक तो खाने पीने के सामान के लिए भी कर्ज लेने को मजबूर नजर आ रहे हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोग सरकार का समर्थन तो कर रहे हैं, लेकिन घर के अंदर रहने से परिवार की दैनिक जरूरतों को पूरा नहीं करने का जो संकट सामने नजर आ रहा है, उनको लेकर होने वाली बेचैनी को सहन करना किसी धर्म संकट से कम नहीं है. बस अब तो सब भगवान से यही प्रार्थना कर रहे हैं कि ये महामारी का संकट जल्द टले, ताकि आम आदमी की गाड़ी पटरी पर आ सके.
मुरैना जिले की बात करें तो जिले में ऐसे ही ई रिक्शा चलाने वाले लगभग 2000 से अधिक लोग हैं, जिनके परिवार ई रिक्शा का पहिया घूमने के साथ कि उनका पेट भरता था. एक ही रिक्शा के चलने से न केवल रिक्शा चलाने वाला बल्कि उस चालक का परिवार फिर उस पर निर्भर था. इस तरह अगर बात करें तो मुरैना जिले में लगभग 10 हजार से अधिक लोग ई-रिक्शा बंद होने से प्रभावित हो रहे हैं.
ई रिक्शा चालक एलकार सिंह का कहना है कि पिछले 15 दिन से उनका रिक्शा बंद है, इसलिए वह घर के दैनिक खर्च की जरूरतों को पूरा करने के लिए समाज के लोगों से कर्ज लेने को मजबूर हैं. एक ही रिक्शा से वह 400 से 500 रुपये प्रति दिन कमाते थे, जिसमें से 300 से 400 तक के उनके परिवार के खर्चे थे, साथ ही ई रिक्शा में भी कुछ मरम्मत का काम आ गया तो शेष बचत उसमें चली जाती थी, ऐसी स्थिति में महीने भर उन्हें किस्त की चिंता सताती रहती है. पिछले 15 दिन से काम बंद होने से जो भी बचत में रखा था उसको खर्च कर लिए हैं.