मुरैना। सबलगढ़ की रामपुर घाटी में पानी के लिए चल रहे आंदोलन को लेकर 17 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे संत रविंद्र चौबे पर प्रशासन को शक होने लगा है, अधिकारियों को संत चौबे पर ये शक इसलिए हो रहा है क्योंकि संत चौबे का ब्लड प्रेशर और पल्स रेट सामान्य बताया जा रहा है.
रामपुर घाटी में पीने और सिंचाई के पानी के लिए श्योपुर जिले के चेटीखेड़ा में निर्माणाधीन डैम से नहर निकलने और प्रधामनंत्री किसान सम्मान निधि का सत प्रतिशत किसानों को लाभ दिलाने की मांग को लेकर किसान 10 फरवरी से धरने पर बैठे हैं. जब 10 दिन में किसान आंदोलनकारियों की मांग को प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया, तब 19 फरवरी से क्रमिक भूख हड़ताल की गई. इसके बाद 29 फरवरी से संत रविन्द्र चोबे भूख हड़ताल पर बैठ गए.
संत चौबे को SDM और विधायक सबलगढ़ ने धरना और भूख हड़ताल खत्म करने की समाझाइश दी, इसके बावजूद समस्या का हल नहीं निकलने तक स्थायी भूख हड़ताल जारी रखेंगें. रामपुर घाटी क्षेत्र के 12 ग्राम पंचायतों के करीब 40 गांव इस समय सूखा और पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. प्रशासन ने भूख हड़ताल करने वाले संत चौबे की हालत पर नजर बनाना शुरू किया और BMO सबलगढ़ को संत चौबे के नियमत स्वास्थ्य परीक्षण करने भेजा.
फिलहाल डॉक्टर का मानना है कि संत चौबे के भूख हड़ताल पर होने के चलते उनका वजन लगातार कम होना चाहिए, जोकि नहीं हो रहा है. इसके अलावा भूख हड़ताल के चलते स्वास्थ्य में गिरावट आनी चाहिए थी, जैसे ब्लड प्रेशर कम या ज्यादा होना चाहिए, पल्स भी कम होनी चाहिए, लेकिन संत चौबे के स्वास्थ्य पर कोई असर भूख हड़ताल का देखने को नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से प्रशासन को संत चौबे की भूख हड़ताल पर भी शक होने लगा है.