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कौमी एकता की मिसाल है ये दरगाह, होली पर होता है गोद भराई उर्स का आयोजन - holi news

मंदसौर में होली के दिन नाहर सैयद दरगाह पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, माना जाता है कि होली के दिन यहां सर झुकाने भर से महिलाओं को संतान की प्राप्ति हो जाती है.

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कौमी एकता की मिसाल है नाहर सैयद बाबा की दरगाह
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Published : Mar 9, 2020, 6:23 PM IST

Updated : Mar 9, 2020, 9:12 PM IST

मंदसौर। नाहर सैयद दरगाह कौमी एकता की अनूठी मिसाल है, जहां होली के त्योहार पर बाबा की इस दरगाह पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, हिंदू और मुस्लिम समुदाय की आस्था के इस केंद्र की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि यहां मजार के दर्शन भर से निःसंतान महिलाओं की गोद भर जाती है. लिहाजा होली के मौके पर आज भी यहां मन्नत मांगने वालों की भीड़ लगी रहती है, साथ ही जिन लोगों की मुराद पूरी हो जाती है, वो भी अपने बच्चों के साथ वहां पहुंचते हैं.

कौमी एकता की मिसाल है नाहर सैयद बाबा की दरगाह

शहर के उत्तर-पूर्वी इलाके में एक तालाब किनारे स्थित इस मजार की मान्यता है कि होली के दिन यहां सर झुकाने भर से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है. सदियों से चली आ रही इस धार्मिक परंपरा की ये भी मान्यता है कि दरगाह के किनारे स्थित तालाब पर निःसंतान महिलाओं और पुरुषों के नहाने के बाद सीधे बाबा के दर्शन और महिलाओं की गोद भराई से उन्हें संतान प्राप्ति का सुख मिलता है. होली के मौके पर दिन भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

कौमी एकता की मिसाल मानी जाने वाली इस दरगाह पर होली हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग धूमधाम से मनाते हैं, निःसंतान दंपतियों की मुराद पूरी होने के बाद लोग यहां अपने बच्चों की मन्नतें पूरी करने के लिए उन्हें मिठाई और फल-फ्रूट से तौलते हैं. पूरे इलाके की आस्था का केंद्र माने जाने वाले इस स्थान पर नगर पालिका परिषद हर साल मेले का भी आयोजन करती है.

मंदसौर। नाहर सैयद दरगाह कौमी एकता की अनूठी मिसाल है, जहां होली के त्योहार पर बाबा की इस दरगाह पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, हिंदू और मुस्लिम समुदाय की आस्था के इस केंद्र की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि यहां मजार के दर्शन भर से निःसंतान महिलाओं की गोद भर जाती है. लिहाजा होली के मौके पर आज भी यहां मन्नत मांगने वालों की भीड़ लगी रहती है, साथ ही जिन लोगों की मुराद पूरी हो जाती है, वो भी अपने बच्चों के साथ वहां पहुंचते हैं.

कौमी एकता की मिसाल है नाहर सैयद बाबा की दरगाह

शहर के उत्तर-पूर्वी इलाके में एक तालाब किनारे स्थित इस मजार की मान्यता है कि होली के दिन यहां सर झुकाने भर से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है. सदियों से चली आ रही इस धार्मिक परंपरा की ये भी मान्यता है कि दरगाह के किनारे स्थित तालाब पर निःसंतान महिलाओं और पुरुषों के नहाने के बाद सीधे बाबा के दर्शन और महिलाओं की गोद भराई से उन्हें संतान प्राप्ति का सुख मिलता है. होली के मौके पर दिन भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

कौमी एकता की मिसाल मानी जाने वाली इस दरगाह पर होली हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग धूमधाम से मनाते हैं, निःसंतान दंपतियों की मुराद पूरी होने के बाद लोग यहां अपने बच्चों की मन्नतें पूरी करने के लिए उन्हें मिठाई और फल-फ्रूट से तौलते हैं. पूरे इलाके की आस्था का केंद्र माने जाने वाले इस स्थान पर नगर पालिका परिषद हर साल मेले का भी आयोजन करती है.

Last Updated : Mar 9, 2020, 9:12 PM IST
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