मंदसौर। अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस.. यह दिन खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं के उत्थान और उनकी वर्तमान स्थिति को दर्शाने के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन देश के अधिकांश हिस्सों में अभी भी ग्रामीण महिलाओं की स्थिति काफी बदतर है.
प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली अधिकतर महिलाएं आज भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. मंदसौर जिले के 930 गावों में करीब साढ़े 6 लाख महिलाएं रहती हैं. इन महिलाओं का जीवन पशुपालन और खेती-किसानी के अलावा उससे जुड़ी दिहाड़ी मजदूरी पर टिका हुआ है. माध्यम और गरीब तबके की महिलाओं के हालात यहां काफी बदतर हैं. घरेलू कामकाज करने वाली 17 से 70 साल तक की महिलाएं महज 150 से 200 रुपए कमाने के लिए पुरुषों के बराबर ही कड़ी मशक्कत करती हैं.
इसके साथ ग्रामीण इलाकों में सामाजिक बदलाव नहीं होने से अधिकतर महिलाएं आज भी पर्दा प्रथा जैसी रूढ़ीवादी परंपराओं की शिकार हैं. महिलाओं का कहना है कि उनके विकास की तरफ अभी तक सरकारों का ध्यान न होने से वे आज भी मजदूरी करके अपना पेट पाल रही हैं. इन महिलाओं ने अब अपने विकास की उम्मीद भी छोड़ दी है.
जिला कलेक्टर मनोज पुष्प ने इन महिलाओं की बेहतर स्थिति की तरफ शासन की योजना का जिक्र करते हुए उनके उत्थान और बेहतर जीवन के लिए संबंधित प्रशासनिक मदद देने का भी दावा किया है, लेकिन प्रशासनिक दावे से उलट जमीनी हकीकत कुछ और ही है.