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गजब! MBBS छात्र को मिल रही 8वीं की स्कॉलरशिप - Government High School Balaganj Mandsaur

मंदसौर में महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक प्रकाशचंद चौहान के बेटे को कक्षा 8 का छात्र बताकर छात्रवृत्ति निकाल ली गई, जबकि वह रतलाम मेडिकल कॉलेज में द्वितीय वर्ष का छात्र है.

Scholarship scam in Mandsaur
मंदसौर में छात्रवृत्ति घोटाला
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Published : Feb 22, 2021, 7:12 PM IST

मंदसौर। एक एमबीबीएस छात्र के साथ स्कॉलरशिप के नाम पर छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है. घोटाले को जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा विभाग के छात्रवृत्ति प्रभारी, प्राइवेट शिक्षण संस्थानों और बैंक के अधिकारी की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है, साथ ही मामले में चौंकाने वाली जानकारी यह है कि महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक प्रकाशचंद चौहान के बेटे को कक्षा 8 का छात्र बताकर छात्रवृत्ति निकाल ली गई, जबकि वह रतलाम मेडिकल कॉलेज में द्वितीय वर्ष का छात्र है. जब प्रकाशचंद चौहान ने इसकी शिकायत दर्ज करवाई तो इसके बाद पूरा मामला प्रकाश में आया है.

ऐसे किया छात्रवृत्ति घोटाला

प्रारंभिक तौर पर इस घोटाले को दबाने के प्रयास किए गए. क्योंकि इस वर्ष पूर्व हुई शिकायत के बाद अब जाकर मामले में अधिकारी हरकत में आए हैं. वर्तमान में केवल वर्ष 2018-19 ओर 2019-20 के मामले ही प्रकाश में आए हैं. इसकी विस्तृत जांच की जाए पर यह घोटाला करोड़ों में निकल कर सामने आ सकता है. छात्रवृत्ति घोटाले की अधिकारियों ने जांच की तो उनके भी होश उड़ गए. जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी और निजी शिक्षण संस्थानों ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर कक्षा 7वीं में पढ़ने वाले छात्र की, कक्षा 12वीं तक छात्रवृत्ति निकाली है. इसके बाद फिर वही छात्र पलटकर कक्षा 7 में आ गया और फिर से छात्रवृत्ति निकालना शुरू कर दिया. ऐसे एक नहीं दर्जनों मामले हैं.

मंदसौर में छात्रवृत्ति घोटाला

ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में घुसा विदेशी नागरिक

कई स्कूलों के नाम आए सामने

कई निजी शिक्षण संस्थान अस्तित्व में नहीं है. इसके बाद भी इनमें छात्र-छात्राओं को अध्ययनरत बताकर उनके नाम से छात्रवृत्ति निकाली गई. आधिकारिक सूत्रों की माने तो जिले में हुए छात्रवृत्ति घोटाले मैं प्रारंभिक प्राथमिक तौर पर जिलाशिक्षा अधिकारी, आहरण एवं संवितरण अधिकारी संकुल प्राचार्य शाउमावि क्रमांक दो, संकुल प्राचार्य शाउमावि पिपलियामंडी, शासकीय कन्या उमावि मंदसोर, शासकीय हाई स्कूल बालागंज मंदसौर को दोषी माना है. इन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने की बजाय घोटाले करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

दोषियों पर होगी ठोस कार्रवाई

मंदसोर जिले में हुए इस छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में कुछ छात्र-छात्राओं द्वारा सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन इन शिकायतों का अब तक निराकरण नहीं किया गया. अगर सीएम हेल्पलाइन में अधिकारी ईमानदार से शिकायत करता कि सुनते तो यह घोटाला पहले ही प्रकाश में आ जाता. अब पूरे मामले में मंदसौर जिला कलेक्टर मनोज पुष्प का कहना है कि छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने पर इसकी सघन जांच की गई है. इसमें प्रारंभिक तौर पर जिला शिक्षा अधिकारी, छात्रवृत्ति प्रभारी, शिक्षण संस्थान, बैंक के अधिकारी की मिलीभगत मुख्य रूप से सामने आई है. इसकी जड़ तक जाकर जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी.

मंदसौर। एक एमबीबीएस छात्र के साथ स्कॉलरशिप के नाम पर छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है. घोटाले को जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा विभाग के छात्रवृत्ति प्रभारी, प्राइवेट शिक्षण संस्थानों और बैंक के अधिकारी की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है, साथ ही मामले में चौंकाने वाली जानकारी यह है कि महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक प्रकाशचंद चौहान के बेटे को कक्षा 8 का छात्र बताकर छात्रवृत्ति निकाल ली गई, जबकि वह रतलाम मेडिकल कॉलेज में द्वितीय वर्ष का छात्र है. जब प्रकाशचंद चौहान ने इसकी शिकायत दर्ज करवाई तो इसके बाद पूरा मामला प्रकाश में आया है.

ऐसे किया छात्रवृत्ति घोटाला

प्रारंभिक तौर पर इस घोटाले को दबाने के प्रयास किए गए. क्योंकि इस वर्ष पूर्व हुई शिकायत के बाद अब जाकर मामले में अधिकारी हरकत में आए हैं. वर्तमान में केवल वर्ष 2018-19 ओर 2019-20 के मामले ही प्रकाश में आए हैं. इसकी विस्तृत जांच की जाए पर यह घोटाला करोड़ों में निकल कर सामने आ सकता है. छात्रवृत्ति घोटाले की अधिकारियों ने जांच की तो उनके भी होश उड़ गए. जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी और निजी शिक्षण संस्थानों ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर कक्षा 7वीं में पढ़ने वाले छात्र की, कक्षा 12वीं तक छात्रवृत्ति निकाली है. इसके बाद फिर वही छात्र पलटकर कक्षा 7 में आ गया और फिर से छात्रवृत्ति निकालना शुरू कर दिया. ऐसे एक नहीं दर्जनों मामले हैं.

मंदसौर में छात्रवृत्ति घोटाला

ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में घुसा विदेशी नागरिक

कई स्कूलों के नाम आए सामने

कई निजी शिक्षण संस्थान अस्तित्व में नहीं है. इसके बाद भी इनमें छात्र-छात्राओं को अध्ययनरत बताकर उनके नाम से छात्रवृत्ति निकाली गई. आधिकारिक सूत्रों की माने तो जिले में हुए छात्रवृत्ति घोटाले मैं प्रारंभिक प्राथमिक तौर पर जिलाशिक्षा अधिकारी, आहरण एवं संवितरण अधिकारी संकुल प्राचार्य शाउमावि क्रमांक दो, संकुल प्राचार्य शाउमावि पिपलियामंडी, शासकीय कन्या उमावि मंदसोर, शासकीय हाई स्कूल बालागंज मंदसौर को दोषी माना है. इन्होंने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने की बजाय घोटाले करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

दोषियों पर होगी ठोस कार्रवाई

मंदसोर जिले में हुए इस छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में कुछ छात्र-छात्राओं द्वारा सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करवाई, लेकिन इन शिकायतों का अब तक निराकरण नहीं किया गया. अगर सीएम हेल्पलाइन में अधिकारी ईमानदार से शिकायत करता कि सुनते तो यह घोटाला पहले ही प्रकाश में आ जाता. अब पूरे मामले में मंदसौर जिला कलेक्टर मनोज पुष्प का कहना है कि छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने पर इसकी सघन जांच की गई है. इसमें प्रारंभिक तौर पर जिला शिक्षा अधिकारी, छात्रवृत्ति प्रभारी, शिक्षण संस्थान, बैंक के अधिकारी की मिलीभगत मुख्य रूप से सामने आई है. इसकी जड़ तक जाकर जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी.

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