मंदसौर। मालवा में कई सालों बाद इस बार फिर मानसून की सीजन में खंड वर्षा होने से अब सूखे के आसार बन गए हैं. पिछले 5 सालों की तुलना में मंदसौर जिले में इस बार आधी से भी कम बारिश हुई है. जिससे खरीफ की फसलें चौपट होने के कगार पर पहुंच गईं हैं. भरपूर बरसात वाले अगस्त महीने के दौरान भी जिले के कई इलाकों में इतनी भी बारिश नहीं हो पाई है कि खेतों में पर्याप्त नमी हो पाए. लिहाजा ज्यादातर किसानों ने खेत खाली छोड़ दिए हैं. कुछ ने सोयाबीन की बोवनी की भी तो फसल की हालत खराब होती जा रही है.
किसानों का कहना है कि पिछले सीजन में भारी बारिश होने के चलते फसलें खराब हो गईं थीं, लेकिन तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने मुआवजा दिया था. वहीं इस साल 31 जुलाई तक औसत से भी कम बारिश हुई है, तो सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक जिले में सूखा घोषित कर देना चाहिए और प्रदेश सरकार को मुआवजे की व्यवस्था करना चाहिए.
हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों की राय कुछ अलग है. उपसंचालक डॉ अजीत सिंह राठौड़ का कहना है कि जिले में बारिश कम जरूर हुई है. लेकिन अलग-अलग इलाकों में खंड वर्षा होने से अभी हालात ठीक हैं. मौसम वैज्ञानिकों ने संभावना जताई है कि कुछ दिनों में क्षेत्र में अच्छी बारिश हो सकती है.
मालवा माटी गहन गंभीर,पग-पग रोटी डग-डग नीर की कहावत वाला ये इलाका अब धीरे-धीरे सूखे की चपेट में जा रहा है. बची हुई फसलों को पानी की सख्त जरूरत है. अगर आगामी कुछ दिनों में बारिश नहीं होती है तो किसानों को भारी नुकसान हो सकता है. कोरोना काल में वैसे ही किसानों का बुरा हाल है ऊपर ये मौसम की ये मार उनके जख्मों पर नमक का काम करेगी.